Mar २९, २०१६ १८:४२ Asia/Kolkata

दुनिया में ईरानी क़ालीन की ज़्यादातर डीज़ाइनें, ईरान में जिस जगह बुनी गयी हैं, उसी स्थान के नाम से मशहूर हैं।

दुनिया में ईरानी क़ालीन की ज़्यादातर डीज़ाइनें, ईरान में जिस जगह बुनी गयी हैं, उसी स्थान के नाम से मशहूर हैं। जैसे इस्फ़हान, काशान, मशहद, सारूक़ और तबरीज़। जबकि ईरान के भीतर क़ालीन के बुनकरों और डीज़ाइनों के एक स्थान से दूसरे स्थान पलायन करने के कारण कुछ डीज़ाइनें अपने नाम से तो कुछ बुनाई के स्थल के नाम से मशहूर हैं।

विशेषज्ञों ने ईरानी डीज़ाइनों की संख्या 2000 तक बतायी है। ईरानी क़ालीन की डीज़ाइन के 19 मूल ग्रूप हैं। कुछ विशेषज्ञों ने ईरानी क़ालीन की डीज़ाइनों का दूसरा वर्गीकरण पेश किया है। इन विशेषज्ञों ने ईरानी क़ालीन के डीज़ाइनों के दो भाग और आठ मूल वर्गीकरण किए है। इन दो भागों में कुछ डीज़ाइनें ऐसी हैं जिनका आधार प्राकृति है और कुछ डीज़ाइनों के नाम चित्र, चित्रों की बार बार तकरार, डीज़ाइन और बुनाई के स्थल, क़बीले, जाति और हस्तियों के नाम, इमारतों के चित्रण एतिहासिक या धार्मिक अवशेष के नाम पर हैं।

ईरानी क़ालीन की डीज़ाइन के बारे में कुछ ग़ैर ईरानी विशेषज्ञों ने भी अपने शोध प्रकाशित किए हैं। सिसील एडवर्ड्ज़ ने अपनी किताब ‘ईरानी क़ालीन’ में लिखा है, क्या ईरानी क़ालीन के चित्र व डीज़ाइन में से हर एक किसी विचार या किसी प्रकार के जीवन का पता देते हैं? क्या ईरानी क़ालीन के डीज़ाइनरों का उद्देश्य, सौंदर्य व समरूपता के ज़रिए आनंद पैदा करना है। स्पष्ट है कि उनकी डीज़ाइन का स्रोत प्रकृति है या उसके बाहर का स्रोत है। इन दोनों ही स्थिति में इन चित्रों व शक्लों का सूफ़ी व आत्मज्ञानी विचारों के साथ संपर्क की बात बहुत सोच समझ कर करनी चाहिए और इस बारे में शोध होना चाहिए।

यह बात बिना झिझक कही जा सकती है कि कला और ख़ास कर ईरानी क़ालीन प्रतीकात्मक कला है और प्रतीक की उपयोगिता को ईरानी कलाओं की विभिन्न शाखाओं में साफ़ तौर पर देखा जा सकता है। यही कारण है कि ईरान कला की इस विशेषता का मिथक, पौराणिक विचारों व अर्थों से गहरा व मज़बूत संबंध है। मिसाल के तौर पर ईरानी क़ालीन पर वक्र व गोलाकार चित्र, पौराणिक विचारों के अनुसार जीवन व सृष्टि के प्रतीक हैं। यह प्रतीक ज़नाना प्रतीक को दर्शाते हैं और हमें इस वास्तविकता के निकट करते हैं कि इस कला रचना के बुनकर पुरुष नहीं बल्कि महिलाए हैं और इनमें से ज़्यादातर ने अपनी काल्पनिक दुनिया का चित्रण किया है।

ईरानी क़ालीन की डीज़ाइन चित्र की दृष्टि से वनस्पति, जानवर, इमारत और मिश्रित चित्र जैसे वर्ग में विभाजित है किन्तु ज़्यादातर पौराणिक चित्र पेड़ या किसी जानवर के चित्र में प्रकट होते हैं। ये चित्र उन लोगों के मन की बात को प्रकट करते हैं जो हज़ारों साल से चित्र, रंग और धागे की मदद से अपने विचार प्रकट करते आ रहे हैं। मिसाल के तौर पर क़ालीन पर विभिन्न आकार में बना हुआ फूल का गमला उत्पत्ति और ज़मीन के बीच संबंध का प्रतीक होता है।

पौराणिक विचारों में यह माना जाता है कि इंसान ज़मीन से पैदा हुआ है। ज़मीन को पेड़, फूल, हरियाली और नदी जैसे जीवन के लिए ज़रूरी तत्वों को जीवन देने वाले साधन के रूप में क़ालीन पर चित्रित किया जाता है। इन डीज़ाइनों में ज़मीन को न सिर्फ़ जीवन गुज़ारने के स्थान बल्कि जीवन की उत्पत्ति के स्थान के रूप में दर्शाया जाता है और इसका प्रतिबिंबन विभिन्न चित्रों यहां तक कि क़ालीन बुनने से पहले भी दिखाई देता है।

हालांकि इतिहास का सांस्कृतिक दृष्टि से वर्गीकरण करते हैं तो यह तथ्य सामने आता है कि हर दौर में कला विशेष अर्थ पेश करती है किन्तु ईरानी क़ालीन की डीज़ाइनों की समीक्षा में इस एतिहासिक क्रम

को बहुत ज़्यादा मद्देनज़र नहीं रखा जाता बल्कि एक चित्र में समय के साथ आए बदलाव और स्थानों के बदलने से उसमें हुए अंतर पर शोधकर्ता ध्यान देते हैं।

जिन क़ालीन में वनस्पति का चित्र बनाते हैं वे इस प्रकार हैं, पेड़, गमला, बेल, चकोतरा, बाग़, खेत, स्वर्ग, अनार का फूल, शाह अब्बासी, इस्लीमी या अरबेस्क, स्टार एनिस, प्राकृतिक, गुलाब, और बेगट फ़्रेम

इसी प्रकार ईरानी क़ालीन पर जानवरों के बनने वाले चित्र कई प्रकार के होते हैं। जैसे शिकार स्थल, जानवर का शिकार करते हुए, हौज़ और उसके आस-पास मछलियों की विशेष डीज़ाइन,शीरी नामक विशेष डीज़ाइन, 12 पत्ती वाले फूल की डीज़ाइन, 8 पत्ती वाले फूल की डीज़ाइन, मुर्ग़ी का झुंड, मोर, पहाड़ी बकरी, मेंढा, घोड़ा और परंदे मछली।

ईरानी क़ालीन पर एक और प्रकार का डीज़ाइन भी बनाते है। इस डीज़ाइन के तहत क़ालीन पर पुरातात्विक चीज़ों और इस्लामी इमारतों के चित्र बनाए जाते हैं। इस प्रकार की डीज़ाइन बनाने वाले इस्लामी इमारतों के मुख्य चित्र की डीज़ाइन में थोड़ा बहुत बदलाव करते हैं किन्तु यह बदलाव मामूली होता है। क़ालीन पर बने चित्र और एतिहासिक इस्लामी इमारत के मूल चित्र व ढांचे में समानता पूरी तरह बाक़ी रहती है।

इस शैली की मशहूर डीज़ाइनों के नाम इस प्रकार हैं, शैख़ लुत्फ़ुल्लाह मस्जिद का गुंबद, इमामज़ादे महरूक़ के मक़बरे का प्रवेश द्वार, मस्जिदे इमाम का गुंबद, तख़्ते जमशीद, ताक़े बुस्तान, इस्फ़हान की जामा मस्जिद इत्यादि।

ईरानी क़ालीन की एक मशहूर डीज़ाइन का नाम शाह अब्बासी डीज़ाइन है। इस डीज़ाइन का मूल स्वरूप एक फूल होता है जिसे शाह अब्बासी कहते हैं। इस डीज़ाइन में शाह अब्बासी फूल को बंदहाए ख़ताई नामक विशेष डीज़ाइन के साथ और कभी इन दोनों को इस्लीमी के साथ मिलाकर विभिन्न प्रकार के चित्र क़ालीन पर बनाए जाते हैं। ख़ताई डीज़ाइन में पेड़ की डाल, फूल को पौधे के साथ या पत्ते को कली के साथ क़ालीन पर डीज़ाइन बनाते हैं। इस गुट की विभिन्न डीज़ाइनों के नाम इस प्रकार हैं, लचक तुरंज, शाह अब्बासी, अफ़शान शाह अब्बासी, शाह अब्बासी दरख़्ती, शाह अब्बासी शैख़ सफ़ी, शाह अब्बासी जानवरी इत्यादि।

फ़ार्स क्षेत्र के क़ालीन पर एक चित्र बनाया जाता है जो बहुत पुराना है। इस चित्र का नाम नाज़िम है। नाज़िम नामक चित्र को सफ़वी शासन काल में नक़्शे गुलदानी के नाम से बुना जाता रहा। नाज़िम चित्र तेहरान में हाज ख़ानमी या बाग़ी के नाम से मशहूर था और कभी इसके सज्जादई भी कहते थे। यह चित्र 6, 9 और 12 मीटर के क़ालीन पर बनाया जाता है। नाज़िम डीज़ाइन के ऊपरी हिस्से पर दो आधा धनुषाकार बने होते हैं। कुछ लोग इसे ताक़ से उपमा देते हैं। लेकिन इस बात की संभावना ज़्यादा है कि यह धनुष सुंदर सृष्टि और मानव जीवन के रहस्य से पर्दा उठाते हैं। इस चित्र ने अपने क्रम विकास की प्रक्रिया में 3000 साल का सफ़र तय किया है किन्तु इसके बनाने के मूल सिद्धांत का बंजारा जीवन शैली से संबंध का इंकार नहीं किया जा सकता। नाज़िम चित्र वास्तव में क़शक़ाई बंजारा महिलाओं की कल्पना का पता देता है। इस डीज़ाइन में बंजारा महिला यह बताना चाहती है कि वह पलायन से थक चुकी है और वह एक एसे स्थान पर हमेशा रहना चाहती है जो फूल और अनुकंपाओं से समृद्ध स्थान हो। वे एसा घर चाहती हैं जिसके द्वार पर पर्दा लटकाएं और उसके दोनों छोर को खंबे से बांध कर घर से बाहर का नज़रा करें।

फ़ार्स प्रांत और शीराज़ के वकील बाज़ार में क़ालीन बेचने वाले और इस व्यवसाय से जुड़े लोग इस डीज़ाइन की कहानी बड़े रोचक अंदाज़ में ग्राहक को बताते हैं और इस बात पर भी बल देते हैं कि इसकी मूल डीज़ाइन को क़शक़ाई बंजारा कलाकारों ने तय्यार की है।