फ़ार्स खाड़ी के ईरानी द्वीप- 9
कीश द्वीप की मिट्टी मूंगे की मिट्टी है जिसका का चांदी जैसा रंग धूप पड़ने पर इस तरह चमकने लगता है कि आंखें नहीं ठहरतीं।
यह विशेषता दुनिया के दूसरे अधिकतर तटीय इलाक़ों में नज़र नहीं आती क्योंकि वहां की रेत मटमैले रंग की होती है। कीश द्वीप के तट पर समुद्र का पानी बिल्कुल साफ़ है और तह आसानी से दिखाई देती है। पर्यावरण विदों का कहना है कि द्वीप के आस पास पाए जाने वाले मूंगे के कारण यह स्थिति है क्योंकि मूंगे प्राकृतिक रूप से पानी की सफ़ाई करते रहते हैं और उसकी सुंदरता और पारदर्शिता बढ़ाते रहते हैं।
कीश के तट के क़रीब नज़र आने वाली मछलियां और अन्य जलप्राणी इस द्वीप की एक और विशेषता हैं क्योंकि यह दुर्लभ प्रजाति के हैं। कीश द्वीप के तट के क़रीब तैरती सुंदर मछलियां जो आम तौर पर एक्वेरियम की शोभा बढ़ाने के काम आती हैं, दर्शकों को लुभाती हैं लोग घंटों इन मछलियों को देखते और आनंदित होते रहते हैं। इसके साथ ही खाई जाने वाली अत्यंत स्वादिष्ट मछलियां भी इस इलाक़े में मिलती हैं। इनका शिकार स्थानीय मछुआरे करते हैं। जिन लोगों को मछली के शिकार का शौक़ है वह इस द्पीप के दक्षिणी और पश्चिमी तटों पर मछली का शिकार कर सकते हैं।
कीश का तट दुनिया के सबसे कम जोखिम वाले तटों में से एक है। कीश के तट के क़रीब शार्क मछली नहीं है अतः समुद्र के भीतर जाने में कोई ख़तरा नहीं है। कीश के तट के क़रीब जो शार्क मछलियां कभी कभी दिखाई देती हैं वह छोटी मछलियों से अपना आहार प्राप्त करती हैं और तैराकी करने वालों को उनसे कोई ख़तरा नहीं होता। कीश के तटों का आनंद सर्दी के मौसम में भी और गर्मी के मौसम में भी भरपूर तरीक़े से उठाया जा सकता है और जल व्यायाम के लिए यहां बड़ा अच्छा वातावरण है।
कीश की जलवायु गर्म और आर्द्र है और यहां का औसत तापमान 26 डिग्री सेंटीग्रेड रहता है। कीश द्वीप की जलवायु पर दक्षिणी और पश्चिमोत्तरी इलाक़ों के मौसम का भी असर पड़ता है। कुल मिलाकर इस द्वीप में वर्षा कम होती है। सर्दी के मौसम में अधिक वर्षा होती है।
अगर वनस्पतियों और पेड़ पौधों की दृष्टि से देखा जाए तो कीश द्वीप ईरान के उस भूभाग में स्थित है जो काफ़ी गर्म है और बड़ी विविधता पायी जाती है। यहां खजूर के बाग़, यूकालिप्टस रेशम आदि अधिक हैं। इस इलाक़े में अकासिया के पेड़ पाए जाते हैं। अकासिया वनस्पति कई प्रजातियों पर आधारित है। अकासिया वनस्पति की पत्तियों और अन्य भागों का उपचारिक उपयोग है साथ ही इनमें पौष्टिक तत्व भी पाए जाते हैं।
अकासिया का गम या लासा एसा तत्व है जिसमें ग़्लुकोज़, शर्करा, कैल्शियम, मुनीज़ियम, पोटैशियम और सोडियम की अच्छी मात्रा होती है। इस वनस्पतियों की डालियों पर कीटाड़ुओं के काटने या हवा चलने से टहनियों के एक दूसरे से रगड़ने के कारण ख़राश पड़ जाती है और उसके भीतर से एक पदार्थ रिस कर बाहर निकलता है और लसीला पदार्थ निकलता है जिसे गम अरबिक कहा जाता है। इस गम से सिर के बालों को संवारा जाता है, गोंद तैयार की जाती है, ड्राप और पाउडर बनाया जाता है। इसे थोड़ा बहुत खाने पीने की चीज़ों और मिठाइयां बनाने में भी प्रयोग किया जाता है।
कीश द्वीप के पूर्वी भाग में 20 हेक्टेयर की पट्टी पर लगभग 3 हज़ार नारियल के पेड़ होते हैं जिनसे इस भाग की हरियाली बड़ी सुंदर है और इस पूरे इलाक़े में विशेष आकर्षण है। गर्म इलाक़ों में खजूर के पेड़ का बड़ा आर्थिक महत्व होता है। कीश द्वीप में जलवायु को देखते हुए खजूर के पेड़ लगाने पर बहुत ध्यान दिया गया है। पुराने दस्तावेज़ों और यात्रा वृतांतों से पता चलता है कि प्राचीन काल से ही कीश द्वीप में खजूर के बड़े बड़े बाग़ थे।
खजूर के बाग़ को नख़लिस्तान कहा जाता है कीश का ग़ुरूब नख़लिस्तान दक्षिणी ईरान के अति सुंदर नख़लिस्तानों में है। यह नख़लिस्तान द्वीप के पश्चिमी भाग में लगभग 25 हेक्टेयर के भूभाग पर फैला हुआ है। दूसरा बिंदु जो कीश की यात्रा में स्पष्ट रूप से नज़र आता है यह है कि कीश फ़्री ज़ोन संस्था हुरमुज़गान प्रांत से बालिग़ पेड़ मंगवा कर उन्हें सड़कों के किनारे लगाकर बड़े सुंदर दृष्य उत्पन्न कर रही है।
कीश द्वीप के पेड़ पौधों में ज़ीज़ीफ़स भी बहुत महत्वपूर्ण है जो ईरान के इस भूभाग में उगते हैं। यह छोटी छोटी पत्तियों और कांटों से छुपा रहता है और इसका फल लाल रंग क होता है। यह पेड़ 15 मीटर का लंबा हो जाता है। इनमें से कुछ पेड़ तो एसे हैं जिनकी उम्र 500 से 600 साल है। इस पेड़ की लकड़ी बहुत मज़बूत होती है जिसक नौका बनाने और घरों के प्रयोग के चीज़ों के निर्माण में प्रयोग किया जाता है।
कीश में लूर के पेड़ भी बड़े सुंदर और दुर्लभ साथ ही दुनिया के बड़े विचित्र पेड़ है। इसका संबंध अंजीर के परिवार से है। कीश में इस पेड़ को भी जगह जगह देखा जा सकता है। इसकी पत्तियां अंडाकार और मोटी होती हैं जो पेड़ की टहनियां और तने पर लगती हैं इनमें सफ़ेद रंग का रस होता है। इस पेड़ की छाल बिल्कुल चिकनी और मटमैले रंग की होती है। इसका फल लाल और नारंगी रंग का होता है जो काबुली चने जितना बड़ा होता है। इस पेड़ की डालों से भी जड़े नीचे लटकती और ज़मीन तक पहुंच जाती हैं नतीजे में पेड़ को जड़ों के साथ ही टहनियों से लटकने वाली जड़ों से भी पानी मिलता है।
फ़ीकस रेलीजियोसा दुनिया के दुर्लभ वृक्षों में है। ईरान में यह पेड़ हुरमुज़गान, बंदर अब्बास, फ़ीन और कीश में उगता है। बूशहर में इस पेड़ को स्थानीय भाष में लीलक कहा जाता है। इसे शहर की सड़कों और पार्कों को सजाने के लिए प्रयोग किया जाता है। कहा जाता है कि यह पेड़ ईरान में पुर्तगालियों द्वारा भारतीय उपमहाद्वीप में लाया गया। यह पेड़ कीश द्वीप में एक हज़ार साल पुराना पेड़ है और इसका बड़ा सम्मान है। इस पुराने पेड़ की टहनियां और पत्तियां सब कुछ अन्य पेड़ों से अलग दिखाई पड़ती हैं। इस पेड़ की जड़े ज़मीन पर छतरी की तरह फैलती हैं और इनकी उम्र कई सौ साल की भी हो सकती है।
एक चीज़ जो पर्यटकों के लिए बहुत रोचक है और इस द्वीप की ओर खींचती है वह अंजीर के पेड़ हैं। एक पुराना अंजीर का पेड़ है जो अब 600 का हो चुका है इस पेड़ की डालों पर जगह जगह गांठें पड़ गई हैं। इस पर जगह जगह धागे और कपड़े भी बांधे गए हैं जिनसे लगता है कि मानो यह कोई पवित्र पेड़ हो। कुछ लोगों का यह मानना है कि यह एक बरकत वाला पेड़ है और बरकत की नीयत से इसे यहां लाया गया। लोग अपनी मन्नतें पूरी करने के लिए इस पेड़ पर धागे और कपड़े बांधते हैं। इस पेड़ के आस पास छोटे छोटे अलाचीक़ बना दिए गए हैं जहां लोग विश्राम करते हैं। यह पेड़ दो पर्यटक स्थलों अर्थात प्राचीन हरारी शहर और पारम्परिक जलभंडार के बीच में स्थित है। इस पेड़ से इन दोनों पर्यटक स्थलों की दूरी बहुत कम है और पैदल जाया जा सकता है।