क़ुरआन ईश्वरीय चमत्कार-721
क़ुरआन ईश्वरीय चमत्कार-721
وَمَا كُنْتَ تَرْجُو أَنْ يُلْقَى إِلَيْكَ الْكِتَابُ إِلَّا رَحْمَةً مِنْ رَبِّكَ فَلَا تَكُونَنَّ ظَهِيرًا لِلْكَافِرِينَ (86)
और (हे पैग़म्बर) आपको इसकी आशा नहीं थी कि यह किताब आपकी ओर भेजी जाएगी। यह आपके पालनहार की दया के अतिरिक्त कुछ नहीं था। अतः आप कभी भी काफ़िरों का सहारा न बनिए। (28:86)
وَلَا يَصُدُّنَّكَ عَنْ آَيَاتِ اللَّهِ بَعْدَ إِذْ أُنْزِلَتْ إِلَيْكَ وَادْعُ إِلَى رَبِّكَ وَلَا تَكُونَنَّ مِنَ الْمُشْرِكِينَ (87)
और वे आपको ईश्वर की आयतों (को) आपके पास आने के बाद (लोगों तक पहुंचाने) से रोकने न पाएँ। और आप (लोगों को) अपने पालनहार की ओर बुलाइये और कदापि अनेकेश्वरवादियों में शामिल न हों। (28:87)
وَلَا تَدْعُ مَعَ اللَّهِ إِلَهًا آَخَرَ لَا إِلَهَ إِلَّا هُوَ كُلُّ شَيْءٍ هَالِكٌ إِلَّا وَجْهَهُ لَهُ الْحُكْمُ وَإِلَيْهِ تُرْجَعُونَ (88)
और ईश्वर के साथ किसी और (को) पूज्य (के रूप में) न पुकारो कि उसके अतिरिक्त कोई पूज्य नहीं। उसके अस्तित्व के अतिरिक्त हर वस्तु समाप्त होने वाली है। (सृष्टि का) शासन उसी के लिए है और उसी की ओर तुम सबको लौटना है। (28:88)