Apr १७, २०१९ १४:५५ Asia/Kolkata

इस कार्यक्रम में भी हम वरिष्ठ नेता आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनई के नैतिकता पर दिये गये भाषण का उल्लेख कर रहे हैं।

पैगम्बरे इस्लाम से पूछा गया कि धर्म में आस्था रखने वालों में से  कौन सब से अधिक बुद्धिमान है? तो पैगम्बरे इस्लाम ने कहा कि जो सब से अधिक अपनी मृत्यु को याद रखता है वही सब से अधिक बुद्धिमान है। यदि देखा जाए तो यह बहुत बड़ी सच्चाई है और मौत को भूलना या उसे अनदेखा करना एक एसी सच्चाई को अनदेखा करना है जिसका सामना कर व्यक्ति को करना होता है तो जब मौत एसी सच्चाई है तो फिर उसके बारे में हर मनुष्य को सोचना चाहिए और विचार करना चाहिए। हमें हमेशा यह याद रखना चाहिए कि जीवन एक सफर है और इस यात्रा का गंतव्य, मृत्यु है। इस में कोई शंका नहीं, किसी प्रकार का संदेह नहीं है। इस लिए हरेक को उस क्षण के लिए तैयार रहना चाहिए जब उसकी मृत्यु आएगी। लेकिन सवाल यह है कि यह तैयारी कैसी होगी? तो जैसा कि बताया गया है इस तैयारी के लिए थोड़े से कर्म की ज़रूरत है और उसके साथ , ईश्वरीय सहायता व अनुकंपा की। यदि यह दोनों चीज़ों किसी के पास हों तो वह मौत के लिए तैयार होता है। वास्तव में मनुष्य और ईश्वर के मध्य कोई पर्दा नहीं है, इन्सान को अपनी गलतियां , अपने पापों को ईश्वर के समक्ष स्वीकार करना चाहिए और उससे मदद मांगनी चाहिए और यह संकल्प करना चाहिए कि पापों और गलतियों को दोहराएगा नहीं और पाप व गलती के दलदल में लौट कर नहीं जाएगा।

एक व्यक्ति था जो पैगम्बरे इस्लाम को बहुत प्रिय था। जब वह मरने लगा तो पैगंबरे इस्लाम उसके सिरहाने पहुंचे और उन्होंने देखा कि मौत का फरिशता वहां पहुंचा हुआ है और उस व्यक्ति की आत्मा को शरीर से निकालना चाह रहा है। यह देख कर पैगम्बरे इस्लाम ने फरमाया कि हमारे इस मित्र का ज़रा ध्यान रखना। वास्तव में पैगम्बरे इस्लाम को इस बात की चिंता थी कि उसे आत्मा व शरीर के अलगाव से पीड़ा होगी इस लिए उन्होंने उसकी पीड़ा को कम करने के लिए मौत के फरिश्ते को ध्यान रखने की सिफारिश की। इस पर मौत के फरिश्ते ने उस व्यक्ति से कहा कि आराम से रहो और तुम्हारे आंखे प्रकाशमय हों। धर्म के अनुसार किसी धार्मिक व्यक्ति के लिए इस से बड़ी कोई खुशखबरी नहीं हो सकती। मौत के फरिश्ते ने कहा कि धर्म पर आस्था रखने वालो के लिए मैं बेहद दयालु हूं और उन्हें अधिक पीड़ा सहन नहीं करने देता।  (Q.A.)

 

 

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