Feb २३, २०२० १५:५८ Asia/Kolkata

क़ुरआन ईश्वरीय चमत्कार-763

 

بِسْمِ اللَّهِ الرَّحْمَنِ الرَّحِيمِ. يَا أَيُّهَا النَّبِيُّ اتَّقِ اللَّهَ وَلَا تُطِعِ الْكَافِرِينَ وَالْمُنَافِقِينَ إِنَّ اللَّهَ كَانَ عَلِيمًا حَكِيمًا (1) وَاتَّبِعْ مَا يُوحَى إِلَيْكَ مِنْ رَبِّكَ إِنَّ اللَّهَ كَانَ بِمَا تَعْمَلُونَ خَبِيرًا (2) وَتَوَكَّلْ عَلَى اللَّهِ وَكَفَى بِاللَّهِ وَكِيلًا (3)

अल्लाह के नाम से जो अत्यंत कृपाशील और दयावान है। हे पैग़म्बर! (केवल) ईश्वर से डरिये और काफ़िरों व मिथ्याचारियों की बात न मानिये कि निश्चय ही ईश्वर सबसे बड़ा ज्ञानी (व) तत्वदर्शी है। (33:1) और (हे पैग़म्बर!) जो चीज़ आपके पालनहार की ओर से आपकी ओर (विशेष संदेश द्वारा) भेजी गई है, उसी का पालन कीजिए कि निश्चय ही ईश्वर हर उस बात से अच्छी तरह अवगत है जो तुम लोग करते हो। (33:2) और (हे पैग़म्बर!) ईश्वर पर भरोसा कीजिए कि वही भरोसे के लिए काफ़ी है। (33:3)

 

مَا جَعَلَ اللَّهُ لِرَجُلٍ مِنْ قَلْبَيْنِ فِي جَوْفِهِ وَمَا جَعَلَ أَزْوَاجَكُمُ اللَّائِي تُظَاهِرُونَ مِنْهُنَّ أُمَّهَاتِكُمْ وَمَا جَعَلَ أَدْعِيَاءَكُمْ أَبْنَاءَكُمْ ذَلِكُمْ قَوْلُكُمْ بِأَفْوَاهِكُمْ وَاللَّهُ يَقُولُ الْحَقَّ وَهُوَ يَهْدِي السَّبِيلَ (4)

ईश्वर ने किसी भी पुरुष के अंदर दो दिल नहीं रखे। और न उसने तुम्हारी उन पत्नियों को, जिनसे तुम ज़िहार करते हो, तुम्हारी माँएं बनाया, और न उसने तुम्हारे मुँह बोले बेटों को तुम्हारे (वास्तविक) बेटे बनाया है। ये तो तुम्हारी बातें हैं जो तुम अपने मुँह से कहते हो और ईश्वर तो सच्ची बात कहता है और वही (सीधा) मार्ग दिखाता है। (33:4)

 

 

ادْعُوهُمْ لِآَبَائِهِمْ هُوَ أَقْسَطُ عِنْدَ اللَّهِ فَإِنْ لَمْ تَعْلَمُوا آَبَاءَهُمْ فَإِخْوَانُكُمْ فِي الدِّينِ وَمَوَالِيكُمْ وَلَيْسَ عَلَيْكُمْ جُنَاحٌ فِيمَا أَخْطَأْتُمْ بِهِ وَلَكِنْ مَا تَعَمَّدَتْ قُلُوبُكُمْ وَكَانَ اللَّهُ غَفُورًا رَحِيمًا (5)

 

उन्हें (अर्थात मुंह बोले बेटों को) उनके बापों के नाम से पुकारो कि यह ईश्वर के निकट अधिक न्यायसंगत है। और यदि तुम उनके बापों को नहीं जानते तो वे धर्म में तुम्हारे भाई और तुम्हारे मित्र हैं। इस संबंध में तुमसे (पहले) जो ग़लती हुई हो उसमें तुम पर कोई पाप नहीं किन्तु जिसका संकल्प तुम्हारे दिलों ने कर लिया था और जो कुछ तुमने जान बूझ कर किया था (उसमें तुम पापी हो) और ईश्वर तो अत्यन्त क्षमाशील व दयावान है। (33:5)

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