क़ुरआन ईश्वरीय चमत्कार-769
क़ुरआन ईश्वरीय चमत्कार-769
وَأَنْزَلَ الَّذِينَ ظَاهَرُوهُمْ مِنْ أَهْلِ الْكِتَابِ مِنْ صَيَاصِيهِمْ وَقَذَفَ فِي قُلُوبِهِمُ الرُّعْبَ فَرِيقًا تَقْتُلُونَ وَتَأْسِرُونَ فَرِيقًا (26) وَأَوْرَثَكُمْ أَرْضَهُمْ وَدِيَارَهُمْ وَأَمْوَالَهُمْ وَأَرْضًا لَمْ تَطَئُوهَا وَكَانَ اللَّهُ عَلَى كُلِّ شَيْءٍ قَدِيرًا (27)
और ईश्वर, किताब वालों (अर्थात यहूदियों) में से जिन लोगों ने उन (अनेकेश्वरवादियों) की सहायता की थी, उन्हें उनके मज़बूत दुर्गों से उतार लाया और उनके दिलों में भय व आतंक बिठा दिया कि तुम (उनमें से) एक गुट की हत्या करते और एक गुट को बन्दी बनाते थे। (33:26) और उसने तुम्हें उनकी ज़मीन, उनके घरों और उनके मालों का वारिस बना दिया और उस ज़मीन का भी जिस पर तुमने क़दम भी नहीं रखा था। और ईश्वर हर चीज़ में सक्षम है। (33:27)
يَا أَيُّهَا النَّبِيُّ قُلْ لِأَزْوَاجِكَ إِنْ كُنْتُنَّ تُرِدْنَ الْحَيَاةَ الدُّنْيَا وَزِينَتَهَا فَتَعَالَيْنَ أُمَتِّعْكُنَّ وَأُسَرِّحْكُنَّ سَرَاحًا جَمِيلًا (28) وَإِنْ كُنْتُنَّ تُرِدْنَ اللَّهَ وَرَسُولَهُ وَالدَّارَ الْآَخِرَةَ فَإِنَّ اللَّهَ أَعَدَّ لِلْمُحْسِنَاتِ مِنْكُنَّ أَجْرًا عَظِيمًا
(29)
हे पैग़म्बर! अपनी पत्नियों से कह दीजिए कि यदि तुम सांसारिक जीवन और उसकी शोभा चाहती हो तो आओ, मैं तुम्हें (मेहर देकर) लाभान्वित करूं और (भली व) सुंदर रीति से विदा कर दूँ। (33:28) और यदि तुम ईश्वर, उसके पैग़म्बर और प्रलय के घर को चाहती हो तो निश्चय ही ईश्वर ने तुममें से सद्कर्मियों के लिए महान प्रतिफल तैयार कर रखा है। (33:29)
يَا نِسَاءَ النَّبِيِّ مَنْ يَأْتِ مِنْكُنَّ بِفَاحِشَةٍ مُبَيِّنَةٍ يُضَاعَفْ لَهَا الْعَذَابُ ضِعْفَيْنِ وَكَانَ ذَلِكَ عَلَى اللَّهِ يَسِيرًا (30) وَمَنْ يَقْنُتْ مِنْكُنَّ لِلَّهِ وَرَسُولِهِ وَتَعْمَلْ صَالِحًا نُؤْتِهَا أَجْرَهَا مَرَّتَيْنِ وَأَعْتَدْنَا لَهَا رِزْقًا كَرِيمًا (31)
हे नबी की पत्नियो! तुममें से जो भी खुला अनुचित कर्म करे तो उसके लिए दंड दोहरा होगा और यह ईश्वर के लिए बहुत सरल है। (33:30) और तुममें से जो कोई ईश्वर और उसके पैग़म्बर के समक्ष विनम्र रहे और सद्कर्म करे, तो उसे हम दोहरा प्रतिफल प्रदान करेंगे और उसके लिए हमने (स्वर्ग में) सम्मानित आजीविका तैयार कर रखी है। (33:31)