नया सवेराः जीना कोलर का कहना है कि इस्लाम अपनाने से पहले मेरा जीवन लक्ष्यहीन हो चुका था
अमरीका के कैलिफ़ोर्निया राज्य की निवासी Gina Kollar जीना कोलर का कहना है कि इस्लाम ने मुझको नया जीवन प्रदान किया है।
इस ईश्वरीय धर्म ने मुझको फिर से जीवन बिताने का अवसर प्रदान किया। इस्लाम ने मुझको व्यक्तित्व और पहचान दी। वे कहती हैं कि मुसलमान होने के बाद मैं यह आभास करती हूं कि मैं अब एक दूसरे इंसान में बदल चुकी हूं। इस्लाम अपनाने से पहले मेरा जीवन लक्ष्यहीन हो चुका था। उस समय मैं यह सोचा करती थी कि मुझको पता ही नहीं है कि मैं किस आधार पर जीवन गुज़ार रही हूं।
संसार में वास्तविकता, न्याय और शांति के खोजी अब भी इस्लाम की ओर उन्मुख हो रहे हैं। हर उस स्थान पर जहां इस्लामी स्रोतों तथा मुसलमानों तक पहुंच आसान है वहां पर ईश्वरीय धर्म इस्लाम का फैलाव बहुत ही तेज़ी से हो रहा है। दूसरे शब्दों में कहा जा सकता है कि इस्लामी शिक्षाओं के प्रचार व प्रसार के कारण इस्लाम की ओर लोगों के बढ़ने की गति भी तेज़ी से बढ़ती जा रही है। पश्चिम विशेषकर अमरीका में इस समय इस्लाम की ओर झुकाव तेज़ी से हो रहा है। अमरीका के कैलिफ़ोर्निया राज्य का "मेंटन" क्षेत्र एसा क्षेत्र हैं जहां पर इस्लाम का विस्तार बहुत ही तीव्र गति से होता जा रहा है। इस बारे में अमरीका की इस्लामी संपर्क परिषद के मीडिया प्रभारी "अहमद रेहाब" कहते हैं कि इस क्षेत्र के रहने वाले तेज़ी से मुसलमान हो रहे हैं विशेषकर यहां पर रहने वाली लैटिन अमरीकी मूल की महिलाएं। इस्लाम अपनाकर शांति प्राप्त करने वालों में से एक महिला श्रीमती "जीना कोलर" भी हैं।
श्रीमती जीना कोलर की माता की देहांत उनके बचपन में हो गया था। उनकी माता, मैक्सिको मूल की अमरीकी महिला थीं जबकि उनके पिता का संबन्ध क़फ़क़ाज़ से था। उनका परिवार ईसाई धर्म का पालन करता था जिसके कारण वे ईसाई धर्म के संस्कारों में पली-बढ़ी थीं। कोलर का कहना है कि मुझको गिरजाघर में कभी भी शांति का आभास नहीं हुआ। इस बारे में उनका कहना है कि जब मैं ईसाई धर्म को मानती थी तो मेरे मन में धर्म के बारे में बहुत से सवाल थे। मुझको उनका कभी भी संतोषजनक उत्तर नहीं मिला जिसके कारण मैं परेशान रहा करती थी। मुझसे बार-बार यही कहा जाता था कि कुछ बातों का संबन्ध आस्था से होता है जिनको मानना ही पड़ेगा। यह उत्तर मुझको शांत नहीं कर सका।
देखा गया है कि सामान्यतः किशोरों और युवाओं के मन में अपने बारे में या अपने इर्दगिर्द के बारे में कुछ प्रश्न उठते हैं जिनके वे संतोषजनक उत्तर पाने की तलाश में रहते हैं। उनके सवालों के जवाब यदि ठीक प्रकार से न दिये जाएं तो उनका धर्म से मोह भंग हो जाता है। जीना कोलर के पास एक विकल्प यह था कि वह दूसरे धर्मों से अवगत हो सकती थीं। अब वह एसे धर्म की तलाश में थी जो उसके सवालों के जवाब अच्छे ढंग से दे सकें। कोलर, विश्वविद्यालय में एक एसे प्रोफेसर से परिचित हुई जिन्होंने हाल ही में इस्लाम को गले लगाया था। उनकी यह पहचान ही इस्लाम से अवगत होने की भूमिका सिद्ध हुई। कुछ समय के बाद जीना कोलर ने उन प्रोफेसर से विवाह कर लिया। अब उनके पास इस्लाम को सही ढंग से समझने और उसको पहचानने का बहुत अच्छा अवसर उपलब्ध हो चुका था। बाद में जीना कोलर ने स्वेच्छा से इस्लाम को गले लगा लिया।
पवित्र क़ुरआन और पैग़म्बरे इस्लाम के कथनों में भी धैर्य या सब्र पर विशेष रूप में बल दिया गया है। सूरे बक़रा में एक स्थान पर ईश्वर कहता है कि हे ईमान लाने वालो, तुम सब्र, प्रतिरोध और नमाज़ से सहायता मांगो और ईश्वर धैर्यवानों के साथ है। पैग़म्बरे इस्लाम हज़रत मुहम्मद मुस्तफ़ा धैर्य या सब्र के बारे में कहते हैं कि सब्र तीन प्रकार का होता है। एक सब्र वह है जो मुसीबत के समय किया जाता है। दूसरा सब्र वह है जो ईश्वर के अनुसरण के समय करना पड़ता है। तीसरे प्रकार का सब्र वह है जो पापों को छोड़ते समय किया जाता है।
निःसन्देह, जीना कोलर की भांति मुसलमान बनने वालों को जीवन में अधिक धैर्य और प्रतिरोध की आवश्यकता होती है। इसका मुख्य कारण यह होता है कि जिस परिवेश में वे रह रहे होते हैं वहां पर सामान्यतः पाप का बोलबाला होता है। इस प्रकार के वातावरण में शैतानी बहकावे भी अधिक सिर उठाते हैं। जैसा कि क़ुरआन ने उन्हें बताया है कि मुश्किलों और भेदभाव के मुक़ाबले में सब्र से सहायता लें। इन समस्याओं का एक कारण यह है कि वह ताज़ा मुसलमान हुआ है जिसके साथ भेदभाव किया जा रहा है।
इस अमरीकी मुसलमान का कहना है कि इस्लाम स्वीकार करने के बाद मेरे बहुत से मित्र मुझसे बिछड़ गए। मेरे यह दोस्त अब मुझको आतंकवादी कहने लगे थे। उनका कहना है कि मैं अपने पूरे अस्तित्व के साथ यह मानती हूं कि इस्लाम वास्तव में शांति का धर्म है। यह धर्म पूरी मानतवा के लिए शांति का संदेश लाया है। मैं अपने धर्म की अन्तिम समय तक रक्षा करूंगी। यह बहुत ही खेद की बात है कि जीना कोलर के मुसलमान होेने के बाद उनके कुछ मित्र उनको आतंकवादी कहने लगे। हालांकि यह सब लोग जीना को पहले से जानते थे और उन्होंने अपने जीवन का बहुत समय उन्हीं के साथ गुज़ारा था। वास्तविकता यह है कि यह, पश्चिमी संचार माध्यमों के इस्लाम विरोधी दुष्प्रचारों का परिणाम है। पश्चिम के संचार माध्यम पूरी क्षमता के साथ इस्लाम को शांति विरोधी और हिंसक दिखाने के प्रयास करते हैं।
अमरीकी समाज में अपने विरुद्ध पाए जाने वाले भेदभावपूर्ण वातावरण के बावजूद जीना कोलर के यह विचार प्रशंसनीय हैं कि वह अमरीकी समाज के लिए शांति का संदेश आम करेंगी। इस बारे में उनका कहना है कि मुसलमान बनने के बाद हालांकि मेरे साथ बहुत भेदभाव किया जा रहा है किंतु मैं इसका बुरा नहीं मान रही हूं। मुसलमान बनने के बाद मेरे भीतर जो शांति और आराम आया है उस शांति का आभास इससे पहले मैंने अपने जीवन में नहीं किया था। इसी शांति केे माध्यम से मैं अपने रास्ते पर आगे बढ़ती रहूंगी। कोलर की यह भावना ही इस्लाम विरोधियों के दुष्प्रचार को निष्क्रिय करती है। पवित्र क़ुरआन एक बहुत ही बारीक नुक्ते की ओर संकेत करते हुए कहता है कि वे एसे हैं जो ईमान लाए और उनके हृदयों को ईश्वर की याद से शांति मिलती है। होशियार रहो कि दिलों को केवल ईश्वर की याद से ही आराम मिलता है।