Aug १८, २०२० १३:५९ Asia/Kolkata

आपको याद होगा कि पिछले कार्यक्रम में हमने बैतुल मुक़दद्स अभियान के दूसरे चरण और ख़ुर्रमशहर की नाकाबंदी पर चर्चा की थी।

बैतुल मुक़द्दस अभियान के दूसरे चरण में इस अभियान के योजनाकार कमान्डर देश के हज़ारों स्वयंसेवियों की मदद से अपने सभी लक्ष्य हासिल करने में सफल हुए।

 

ईरानी सेना की कुछ दुकड़ियां शलम्चे के निकट पहुंच गयीं लेकिन कोई सुलता नहीं मिली। अलबत्ता इस हमले के दौरान इराक़ी सेना की दुकड़ियों को भारी नुक़सान पहुंचा। इमाम हुसैन १४ ब्रिगेड के कमान्डर शहीद हुसैन ख़र्राज़ी ने इस बारे में कहा था: हमने दुश्मन की सैन्य टुकड़ी के लगभग ७० से ९० फ़ीसद सैनिकों को ढेर कर दिया और लगभग १०० टैंकर व बख़्तरबंद वाहन तबाह किए। इस बात को दुश्मन के क़ैदियों ने भी माना।

प्राप्त अनुभव से स्पष्ट हो गया था कि इस्लामी क्रान्ति संरक्षक बल आईआरजीसी को स्वयंसेवी रंगरुदों की भर्ती के लिए विस्तृत किया जाए। इसी प्रकार अभियान को व्यापक करने के लिए ज़रूरी था कि उसके पास तोपख़ाना और बक्तरबंद टुकड़ी भी हो , क्योंकि लड़ाई का जारी रहना और अभियान के अगले कुछ चरण सिर्फ़ थल सैनिकों के ज़रिए मुमकिन नहीं थे, इस मार्ग में अनेक रुकावटें थीं।

इस चरण तक अहवाज़ के दक्षिण में ५००० वर्ग किलोमीटर से ज़्यादा भूमि बासी  सैनिकों के चंगुल से आज़ाद हो कर देश का हिस्सा बन चुकी थी और इस दौरान बासी सेना के लगभग ७००० सैनक गिरफ़्तार हो चुके थे।

 

यद्यपि मुख्य सैन्य टुकड़ियों की शक्ति क्षीण हो गयी थी और गलातार दिन रात २३ दिन लड़ने की वजह से थक गयी थीं लेकिन फिर श्री ईश्वरीय कृपा पर भरोसे के साथ अंतिम कोशिश करनी थी ताकि इस अभियान का मुख्य लक्ष्य ख़ुर्रमशहर आज़ाद हो जाए।

बासी सेना ने सभी उपाय व क्षमता लगा दी ताकि ख़ुर्रमशहर उसके हाथ से जाने न पाए। दुश्मन ने सैन्य कार्यवाही के साथ साथ अपने सैनिकों के मनोबल को बढ़ाने और ख़ुर्रमशहर में बाक़ी रहने के लिए उन्हें प्रेरित करने हेतु बहुत कोशिशों कीं। इराक़ी सेना ने २ ख़ुर्दाद सन १३६१ हिजरी शम्सी बराबर २३ मई १९८२ को एक नोटिस सभी  इराक़ी सैनिकों के बीच जो ख़ुर्रमशहर और उसके आस पास तैनात थे, वितरित की। इस नोटिस में ख़ुर्रमशहर और इसके उपनगरीय भाग की रक्षा को बग़दाद सहित सभी इराक़ी शहरों की रक्षा से उपमा दी।

 

सैनिकों की कमी और मौजूदा सैनिकों की थकान के बावजूद, ख़ुर्रमशहर को आज़ाद कराने के लिए बैतुल मुक़द्दस अभियान का चौथा चरण शुरु हुआ। फ़त्ह छावनी की सैन्य इकाइयां दुश्मन से लड़ने और आगे बढ़ने के बाद, सुबह होते ही ख़ुर्रमशहर के प्रेवश द्वार के पास बासी सैनिकों को ढेर करने में सफल हुयीं।

इस बीच ख़ुर्रमशहर में दुश्न कमान्डर अहमद ज़ैदान बारूदी सुरंग पर चलने की वजह से मारा गया। इस बीच दुश्मन के कुछ सैनिक अर्वन्द रूद नदी को ट्यूब और वाटर कूलर के ज़रिए पार करने की कोशिश कर रहे थे। इस दौरान कुछ इराक़ी सैनिक डूब कर मर गए।

 

२४ मई १९८२ को लगभग १० बजे सुबह शहर के विभिन्न इलाक़ों से इराक़ी सैनिक सिर पर हाथ रखे और कुछ सैनिक हाथ में क़ुरआन और इमाम ख़ुमैनी की तस्वीर लिए सद्दाम मुद्राबाद का नारा लगाते हुए गुटों के रूप में आत्मसमर्पण कर रहे थे।

इस तरह ख़ुर्ममशहर जो ३४ दिन के प्रतिरोध के बारद इराक़ी सैनिकों के हाथ में चला गया था, ५७५ दिन के अतिग्रहण के बाद , ४८ धंटे से भी कम समय में बासी अतिग्रहणकारियों के वजूद से पाक हो गया। इस्लामी जियालो ने शहर को आज़ाद करने के बाद पहला काम ईश्वर का आभार च्यक्त करते हुए शहर की जामा मस्जिद में शुक्र की नमाज़ अदा की।  

 

 

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