दोस्तो जैसाकि आप जानते हैं कि मोहर्रम का महीना आ चुका है। इस महीने की पहचान पैग़म्बरे इस्लाम (स) के प्राणप्रिय नवासे हज़रत इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम और उनके वफ़ादार साथियों के नाम से है।
दोस्तो इससे पहले कि हम अपने कार्यक्रम का आरंभ करें, सबसे पहले हम अपने सभी श्रोताओं की सेवा में ईदे मुबाहिला के शुभ अवसर पर दिल की गहराईयों के साथ मुबारकबाद पेश करते हैं।
पवित्र नगर मक्का और मदीना के बीच में ग़दीर नाम का एक छोटा तालाब है जिसके पास इतिहास की महत्वपूर्ण घटना घटी है। 18 ज़िलजिज्जा को महान व सर्वसमर्थ ईश्वर ने पैग़म्बरे इस्लाम पर वही अर्थात ईश्वरीय संदेश भेजा कि हे पैग़म्बर उस चीज़ को पहुंचा दीजिये जो तुम्हारे पालनहार की ओर से उतारी जा चुकी है और अगर आपने यह कार्य नहीं किया तो पैग़म्बरी का कोई कार्य ही अंजाम नहीं दिया और ईश्वर लोगों से आपकी सुरक्षा करेगा।
दोस्तो अरफ़ा का दिन एक ऐसा पवित्र दिन है कि जिस दिन हम एक ऐसी मन को सुकून देने वाली दुआ पढ़ते हैं कि जिस दुआ को इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम ने अरफ़ात के मरुस्थल में पढ़ी थी।
पवित्र हज के संस्कारों को आज हज़रत इब्राहीम के हज के तौर पर जाना जाता है, यह केवल एक इबादत नहीं है, बल्कि यह पूरी दुनिया के मुसलमानों के बीच एकता और एकजुटता के लिए किए जाने वाले प्रयासों का अभ्यास है।
जो कोई हलाल खजूर से इफ़्तार करे तो उसे नमाज़ का चार सौ गुना पुन्य मिलता है।
जो कोई ईश्वर के लिए तेज़ गर्मी में एक दिन रोज़ा रखे और प्यास उस पर छा जाए तो ईश्वर हज़ार फ़रिश्तों को इस काम के लिए नियुक्त करता है कि उसके चेहरे को छुएं और शुभसूचना दें यहां तक कि इफ़्तार करे।
पैग़म्बरे इस्लाम (स): शाबान का महीना मेरा महीना है।
पैग़म्बरे इस्लाम हज़रत मुहम्मद मुस्तफ़ा अपने स्वर्गवास से पहले इस्लाम को परिपूर्ण धर्म के रूप में मानवता के सामने पेश कर चुके थे।
पैग़म्बरे इस्लाम सल्लल्लाहो अलैहे व आलेही व सल्लम