May २८, २०२२ १८:२८ Asia/Kolkata
  • भारत में सड़क हादसों में युवाओं की जाती जान, टोल टेक्स और जुर्माने के नाम पर वसूली की भरमार, पर जाती जानों की ज़िम्मेदारी लेने के लिए कोई नहीं तैयार

भारत में आए दिन होने वाले सड़क हादसों में सबसे ज़्यादा युवाओं की जान जाती है। भारत सरकार की एक रिपोर्ट के मुताबिक़ इन हादसों में बड़ी संख्या में लोग बुरी तरह घायल भी होते हैं। अभी हाल ही में उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के रहने वाले चार युवकों की सड़क दुर्घटना में गई जान ने इस पुरे शहर को सदमे में डाल दिया।

सड़क हादसे दुनिया भर में और विशेष रूप से भारत में लोगों की मृत्यु, विकलांगता और अस्पताल में भर्ती होने के प्रमुख कारणों में से एक है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार दुनिया भर में सड़क हादसों में मारे गए 10 लोगों में से कम से कम एक भारत से होता है। भारत के सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने "रोड एक्सिडेंट्स इन इंडिया-2020" नाम से एक रिपोर्ट जारी की है। रिपोर्ट में कहा गया है कि साल 2020 में कुल 1,20,806 घातक दुर्घटनाओं में से 43,412 राष्ट्रीय राजमार्गों पर, 30,171 राज्य राजमार्गों पर और 47,223 अन्य सड़कों पर हुईं। सबसे चिंताजनक बात यह है कि इन घातक दुर्घटनाओं में सबसे अधिक युवा चपेट में आए हैं। 25 मई बुधवार को लखनऊ से बाराबंकी जा रहे 4 नवजवानों का बाराबंकी में हुए एक दर्दनाक एक्सीडेंट में चारों की मौक़े पर हुई मौत हो गई थी। चारों युवक थाना ठाकुरगंज के अंतर्गत शरीफ़ मंज़िल के रहने वाले थे। आमिर, टिंकू, शावेज़, अनीस मियां चारों की बाराबंकी सड़क हादसे में मौत हुई थी। जिसके बाद पूरे पुराने लखनऊ में ग़म का माहौल छा गया था। 

भारत की सड़कों पर मौजूद अवारा पशु और सड़कों पर मौजूद गड्ढे

रिपोर्ट कहती है कि साल 2020 के दौरान राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में कुल 3,66,138 सड़क हादसे हुए जिसमें 1,31,714 लोगों की जान गई और 3,48,279 लोग घायल हुए। हर एक सौ सड़क हादसे में 36 लोगों की जान गई जो कि साल 2019 के 33 के मुक़ाबले कहीं अधिक है। रिपोर्ट के अनुसार साल 2020 में सड़क हादसों की चपेट में आने वालों में 18-45 साल के आयु वर्ग युवा वाले वयस्कों का हिस्सा 69 प्रतिशत था। जबकि 18-60 वर्ष के कामकाजी आयु वर्ग के लोगों की हिस्सेदारी कुल सड़क दुर्घटनाओं में 87.4 प्रतिशत थी। रिपोर्ट में कहा गया, "साल 2020 में लगातार तीसरे साल सड़क दुर्घटना के शिकार लोगों में बड़े पैमाने पर कामकाजी आयु वर्ग के युवा शामिल हैं।" 2020 में सड़क दुर्घटना के कारण कुल 56,334 पुरुष और 1,551 महिला ड्राइवरों की मौत हो गई। सड़क परिवहन मंत्रालय ने कहा कि उसी वर्ष सड़क दुर्घटना के कारण कुल 35,552 पुरुष और 10,624 महिला यात्रियों की मौत हुई. पुरुष (42,923) और महिला (1179) ड्राइवरों की मौत युवा वर्ग समूह 18-45 में हुई। रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि साल 2020 में ट्रैफिक नियम उल्लंघन की श्रेणी के तहत ओवर स्पीडिंग के तहत 69.3 फीसदी लोगों की मौत हुई, जबकि ग़लत दिशा में गाड़ी चलाने से हुए हादसे में 5.6 फ़ीसदी लोगों की जान गई।

रिपोर्ट में कहा गया है कि 2020 में 30.1 प्रतिशत मौतें और 26 प्रतिशत चोटें हेलमेट का इस्तेमाल नहीं करने के कारण हुईं, इसी तरह 11 प्रतिशत से अधिक मौतें और चोटें सीट बेल्ट का उपयोग नहीं करने के कारण हुईं। कुछ ख़ास मामलों को छोड़कर दोपहिया वाहनों पर सभी मोटर चालकों के लिए हेलमेट अनिवार्य है। लेकिन कई बार लोग बिना हेलमेट के ही गाड़ी चलाते हैं और अपनी जान जोखिम डालते हैं। इसी तरह से कार चालक और कार में सवार यात्रियों के लिए भी सीट बेल्ट लगाना ज़रूरी है। सड़क पर होने वाले हादसे के कारण पीड़ित और उसके परिवार पर आर्थिक बोझ भी पड़ता है। असामयिक मौतों, चोटों और विकलांगताओं के कारण संभावित आय का नुक़सान भी होता है। इन सबके बीच सरकार के अनुसार सबसे ज़्यादा ज़िम्मेदारियां वाहन चालकों और मोटरसाइकिल चलाने वालों की है वहीं सरकार यह भूल जाती है कि उसकी भी ज़िम्मेदारी कम नहीं है। सड़कों पर घूमने वाले अवारा पशुओं की ज़िम्मेदारी किसकी है? राज्यमार्गों पर होने वाली आए दिन घटना में आमतौर से अवारा पशु कारण बन रहे हैं। वहीं सड़कों पर खड़े होकर ड्राइवरों से की जाने वाली वसूली भी सड़क दुर्घटनाओं का कारण बनती हैं। इन सबके अलावा सड़कों पर मौजूद गड्ढों को सही करने की ज़िम्मेदारी किसकी है? इस तरह के हज़ारों सवाल हैं कि न इनका कोई जवाब देता है और न ही सड़कों पर होने वाली दुर्घटनाओं की कोई भी ज़िम्मेदारी लेने को तैयार है। काश भारत में लोग इतने जागरूक हो जाएं कि अपनी ज़िम्मेदारी को समझने के साथ साथ सरकार की ज़िम्मेदारियों के बारे में भी जानें ताकि सही लोगों को सत्ता में बैठाएं और देश को महान बनाएं। (RZ)

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