Sep ०५, २०२३ १९:१६ Asia/Kolkata
  • गुजरात जालसाज़ों का बना अड्डा, हिन्दू संगठन से जुड़े लोगों ने लाखों की संख्या में बनाए फ़र्ज़ी आधार और पैन कार्ड

गुजरात के सूरत शहर में एक वेबसाइट का उपयोग करके आधार और पैन कार्ड के साथ-साथ मतदाता पहचान पत्र जैसे जाली दस्तावेज़ बनाने के आरोप में दो लोगों को गिरफ़्तार किया गया है।

एनडीटीवी की रिपोर्ट के मुताबिक़, गुजरात के सूरत में दो लोगों को एक वेबसाइट का उपयोग करके आधार और पैन कार्ड के साथ-साथ मतदाता पहचान-पत्र जैसे जाली दस्तावेज़ों को बनाने के आरोप में गिरफ़्तार किया गया है। पुलिस ने कहा कि आरोपी सरकारी डेटाबेस को एक्सेस कर रहे थे, जो एक गंभीर मुद्दा है। आरोपी नक़ली आधार कार्ड, पैन कार्ड और मतदाता पहचान पत्र को 15 से 200 रुपये में बेच रहे थे। पुलिस ने कहा कि आरोपियों ने आधार और पैन कार्ड जैसे लगभग दो लाख से अधिक जाली पहचान दस्तावेज़ बनाए और उन्हें प्रत्येक को 15 से 200 रुपये में बेच दिया। वहीं सूत्रों के हवाले से यह भी जानकारी सामने आ रही है कि पकड़े गए आरोपियों का संबंध भगवा आतंकी संगठनों से है। गिरफ़्तार किए गए आरोपियों में से एक की पहचान प्रिंस हेमंत प्रसाद के रूप में हुई है। पुलिस के अनुसार, आरोपी ने गिरफ़्तार किए गए आरोपी ने बताया है कि उसने प्रति दस्तावेज़ 15-50 रुपये के भुगतान पर जाली आधार और पैन कार्ड डाउनलोड करने के लिए अपने पंजीकृत यूज़रनेम और पासवर्ड का उपयोग कर वेबसाइट को एक्सेस किया था।

फ़र्ज़ी पैन, आधार और वोटर आईडी कार्ड बनाने वाले गिरफ़्तार किए गए आरोपी। 

पुलिस अधिकारियों के मुताबिक़, भुगतान करके वेबसाइट से डाउनलोड किए गए फर्ज़ी पहचान-पत्र का इस्तेमाल बैंक ऋण स्वीकृत कराने और सिम कार्ड ख़रीदने जैसे उद्देश्यों के लिए किया जाता था। वहीं इस मामले में  राजस्थान के गंगानगर निवासी सोमनाथ प्रमोद कुमार को तकनीकी निगरानी के माध्यम से गिरफ़्तार किया गया, जिसका नाम वेबसाइट पर मौजूद कई मोबाइल नंबरों से जुड़ा था। इसके अलावा उत्तर प्रदेश के उन्नाव निवासी प्रेमवीर सिंह ठाकुर, जिनके नाम पर वेबसाइट बनाई गई थी, उसको भी गिरफ़्तार किया गया है। आरोपियों से जब पूछताछ की गई तो उन्होंने दो साल में दो लाख से अधिक जाली पहचान दस्तावेज़ बनाने की बात को स्वीकार किया। सोमनाथ ने 5वीं कक्षा तक पढ़ाई की है। उसे अवैध गतिविधि को अंजाम देने के लिए कुछ लोगों से तकनीकी मदद मिली थी। दिलचस्प बात यह है कि यह वेबसाइट पिछले तीन साल से खुले आम चल रही थी, लेकिन क्योंकि आरोपी का संबंध कट्टरपंथी हिन्दू संगठन से था इसलिए पुलिस या सुरक्षा एजेंसी उसके ख़िलाफ़ किसी भी तरह की कार्यवाही की हिम्मत नहीं जुटा पा रही थी। जबकि यह एक गंभीर और एक गंभीर राष्ट्रीय सुरक्षा से संबंधित मुद्दा है।  (RZ)

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