Apr १५, २०२३ १३:४० Asia/Kolkata

श्रोताओ कल पूरी दुनिया में विश्व कुद्स दिवस मनाया गया। इस अवसर पर पूरी दुनिया के विभिन्न क्षेत्रों व देशों में कुद्स और फिलिस्तीन के मज़लूम लोगों के समर्थन में रैलियां व मार्च निकाले गये।

इन रैलियों में केवल मुसलमानों ने ही भाग नहीं लिया बल्कि बहुत से न्याय व स्वतंत्रप्रेमी गैर मुसलमानों ने भी भाग लिया।  

ईरान की इस्लामी व्यवस्था के संस्थापक स्वर्गीय इमाम ख़ुमैनी रह. ने सात अगस्त 1979 को रमज़ान महीने के अंतिम शुक्रवार को "क़ुद्स दिवस" का नाम दिया था और तब से लेकर आज तक दुनिया के मुसलमान और ग़ैर मुसलमान रमज़ान महीने के अंतिम शुक्रवार को विश्व कुद्स दिवस के रूप में मनाते और इस अवसर पर कुद्स की आज़ादी और फिलिस्तीन के मज़लूम लोगों के समर्थन में रैलियां निकालते हैं।

विश्व कुद्स दिवस के अवसर पर निकाली जाने वाली रैलियों का एक बहुत बड़ा फायदा यह हुआ है कि आज इन्हीं रैलियों की वजह से बहुत से लोग इस बात से अवगत हो गये हैं कि 73 से अधिक वर्षों से जायोनियों ने फिलिस्तीनियों की मातृभूमि पर अवैध रूप से कब्ज़ा कर रखा है। दूसरे शब्दों में ये रैलियां व मार्च दुनिया के लोगों को फिलिस्तीन के मामले से अवगत व जागरुक बना रही हैं इसीलिए बहुत से विशेषज्ञ विश्व कुद्स दिवस के अवसर पर रैलियों व मार्चों के निकाले जाने पर बल देते हैं।

केन्द्रीय एशिया के मामलों के एक विशेषज्ञ हुसैन अस्बोअली ओफ ने इससे पहले कहा था कि दुनिया के मुसलमान भली-भांति इस बात को समझते हैं कि कुद्स दिवस केवल फिलिस्तीन दिवस नहीं है बल्कि वह उन साम्राज्यवादियों से स्वतंत्रता के संघर्ष का प्रतीक है जिन्होंने शताब्दियों से मुसलमानों के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप कर रखा है। उन्होंने कहा कि विश्व कुद्स दिवस के अवसर पर निकाली जाने वाली रैलियां इस्लामी जगत में होने वाले राजनीतिक, आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक परिवर्तनों का सूचक हैं और स्वर्गीय इमाम खुमैनी रह. की भविष्यवाणी के अनुसार मुसलमान राष्ट्रों के विकास व प्रगति का आधार इस्लामी शिक्षायें होंगी।

इस बात में कोई संदेह नहीं है कि विश्व कुद्स दिवस के अवसर पर निकाली जाने वाली रैलियां जायोनी शासन की रक्त पिपासु प्रवृत्ति के मुकाबले में मुसलमानों के मध्य अधिक एकता कारण बन रही हैं।

वास्तव में विश्व कुद्स दिवस के अवसर पर निकाली जाने वाली रैलियां एक साथ कई काम रही हैं एक तो वे विश्व जनमत को होशियार व जागरुक बना रही हैं कि पश्चिम एशिया यानी अवैध अधिकृत फिलिस्तीन में क्या हो रहा है? और मानवाधिकारों की रक्षा का दम भरने वालों की वास्तविकता से भी विश्व जनमत अधिक अवगत होता जा रहा है और वह देख रहा है कि मानवाधिकारों की रक्षा का राग अलापने वाले जायोनी शासन के अपराधों पर अर्थपूर्ण चुप्पी साधे रहते हैं और यह अर्थपूर्ण चुप्पी खुद इस्राईल के दुस्साहस का कारण बनी है और उसका दुस्साहस इतना बढ़ गया है कि वह निर्दोष फिलिस्तीनियों पर हमले करता है और किसी प्रकार का अपराध करने में लेशमात्र भी संकोच से काम नहीं लेता है।

अभी हाल ही में फिलिस्तीन के हेरावा गांव पर बमबारी करके उसे पूरी तरह खत्म कर देने पर आधारित नेतनयाहू के मंत्रिमंडल में शामिल एक अतिवादी उच्च जायोनी मंत्री के बयान को इसी परिप्रेक्ष्य में देखा जा सकता है। इस्राईल के अतिवादी वित्ती मंत्री को अवैध अधिकृत फिलिस्तीन में मौजूद अमेरिकी राजदूत ने मूर्ख कहा था। इसी प्रकार अमेरिकी राजदूत ने कहा था कि अगर मेरे बस में होता तो वह इस्राईल के वित्तमंत्री को विमान से नीचे फेंक देते।

बहरहाल हालात को देखते हुए बहुत से जानकार हल्कों का कहना है कि इस्राईल तेज़ी से अपने अंत की ओर अग्रसर है और इस्राईल को खत्म करने के लिए किसी युद्ध की ज़रूरत नहीं है बल्कि इस्राईल के अंदर ही हालात एसे हो जायेंगे जिससे अवैध जायोनी शासन का अंत हो जायेगा। MM

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