Jun २६, २०२४ १७:०० Asia/Kolkata
  • नाइजर में आतंकी संकट की शुरुआत/ क्या अफ़्रीक़ा के तट, पश्चिम एशिया में अमेरिकी खेल के दोहराने का गवाह बन रहे हैं?
    नाइजर में आतंकी संकट की शुरुआत/ क्या अफ़्रीक़ा के तट, पश्चिम एशिया में अमेरिकी खेल के दोहराने का गवाह बन रहे हैं?

पार्सटुडे - नाइजर के रक्षामंत्रालय ने एलान किया है कि देश में सशस्त्र आतंकवादी गुटों के गठबंधन के हमले में 21 लोग मारे गए।

नाइजर के रक्षामंत्रालय ने एक बयान में एलान किया कि तासिया (Tassia) क्षेत्र में एक सैन्य अड्डे पर आतंकवादी गुटों के हमले के बाद 20 सैनिक और एक आम नागरिक मारे गए जबकि 9 अन्य घायल हो गए।

पार्सटुडे के मुताबिक, मंगलवार को हुए हमले के बाद नाइजर सरकार ने चार दिनों के सार्वजनिक शोक का एलान किया है।

नाइजर के रक्षामंत्रालय के मुताबिक देश के सुरक्षा बल दर्जनों हमलावरों को मार गिराने में कामयाब रहे। अन्य हमलावरों की तलाश के लिए ज़मीनी और हवाई तलाशी अभियान शुरू कर दिये गये हैं।

नाइजर अफ़्रीक़ा के "तटीय" क्षेत्र में आतंकवादी गुटों के ख़िलाफ़ सैन्य अभियानों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

इस देश को अफ़्रीक़ा के "तटीय" क्षेत्र में वाशिंगटन के सैन्य अभियानों में केंद्रीय भूमिका निभाने के लिए भी मजबूर किया गया था।

यह देश, अपनी देश की धरती पर एक बड़ा अमेरिकी एयरबेस बनाने पर सहमत हुआ था।

नाइजर में राजनीतिक घटनाक्रम के बाद, इस देश के नए अधिकारियों ने पश्चिमी साम्राज्यवादी देशों, विशेषकर फ्रांस और अमेरिका के साथ सैन्य संबंधों में कमी करने के लिए तुरंत क़दम उठाए हैं और उनके इस क़दम का नाइजर की जनता ने भरपूर समर्थन किया है।

हाल ही में चाड उन अफ़्रीक़ी देशों के ग्रुप में शामिल हो गया है जो अमेरिकी सैनिकों की वापसी चाहते हैं। चाड में फिलहाल लगभग 100 अमेरिकी सैनिक तैनात हैं।

इससे पहले फ़्रांसीसी सेना को नाइजर, माली और बुर्किना फासो छोड़ने पर मजबूर होना पड़ा था।

नाइजर के प्रधानमंत्री अली लैमिन ज़ीन (Ali Lamine Zeine) ने हाल ही में एलान किया था कि ईरान और रूस के साथ सहयोग की वजह से नाइजर के ख़िलाफ़ धमकियों के बाद अमेरिका के साथ देश के सैन्य संबंध तोड़ लिए गए हैं।

अमेरिकी सैनिकों की तैनाती पर बातचीत करने के लिए इस अफ्रीक़ी देश की यात्रा करते समय एक अमेरिकी अधिकारी द्वारा धमकी दिए जाने के बाद नाइजर और अमेरिका के बीच सैन्य संबंध टूट गए थे।

अमेरिका ने पश्चिम एशिया जैसे दुनिया के कुछ अन्य क्षेत्रों में भी ऐसा ही रास्ता चुना था।

मिसाल के तौर पर इराक़ के मामले में, अमेरिकियों ने आतंकवादी गुटों की गतिविधियों के बहाने अपनी उपस्थिति जारी रखी है।

इसका सबसे बेहतरीन उदाहरण आईएसआईएस के मामले में देखा जा सकता है। इसकी वजह यह है कि इराक़ी जनता और विशेषज्ञ, देश में आतंकवादी हमलों और विस्फोटों को अमरीकी कारनामा क़रार देते हैंजिनमें आईएसआईएस जैसे आतंकवादी गुट शामिल होते हैं ताकि वे इराक में अपनी सेना की उपस्थिति बनाए रखने के लिए इन बहानों का इस्तेमाल कर सकें।

अमेरिका और ब्रिटेन ने 19 मार्च 2003 को "ऑप्रेशन फ्रीडम इराक़" के नारे के तहत इराक पर हमला किया।

एक ऐसा ऑपरेशन जिसने न केवल इराक़ियों को आजादी नहीं दी, बल्कि इराकी अधिकारियों के अनुसार, लाखों लोग मौत के मुंह में चले गये दसियों लाख लोग विस्थापित हुए।

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