Jan १६, २०२४ १०:४३ Asia/Kolkata
  • भारतीय विदेश मंत्री की ईरानी राष्ट्रपति के साथ महत्वपूर्ण मुलाक़ात, मोदी को रईसी ने दी शुभकामनाएं, ग़ज़्ज़ा पर हमलों को रुकावाने में अहम भूमिका निभा सकता है भारत!

भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने सोमवार को ईरान के राष्ट्रपति डॉक्टर इब्राहीम राइसी से मुलाक़ात की। इस मौक़े पर ईरानी राष्ट्रपति ने चाबहार बंदरगाह विकास योजना सहित ईरान और भारत के बीच हुए समझौतों के कार्यान्वयन में तेज़ी लाने पर ज़ोर दिया।

प्राप्त रिपोर्ट के मुताबिक़, तेहरान की दो दिवसीय यात्रा पर आए भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने इस्लामी गणराज्य ईरान के राष्ट्रपति डॉक्टर सैयद इब्राहीम रईसी से सोमवार की शाम में मुलाक़ात की। एस जयशंकर ने सोशल मीडिया प्लेटफ़ार्म पर एक पोस्ट की है कि जिसमें उन्होंने लिखा है कि "इस्लामी गणराज्य ईरान के राष्ट्रपति डॉक्टर इब्राहीम राइसी से मुलाक़ात करके सम्मानित महसूस कर रहा हूं। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को शुभकामनाएं भी दीं हैं। किरमान हमले पर संवेदना व्यक्त की। उन्हें ईरानी मंत्रियों के साथ अपनी सार्थक चर्चाओं से अवगत कराया। आगे के लिए उनके मार्गदर्शन को महत्व देता हूं। संबंधों का विकास" इस मौक़े पर राष्ट्रपति राइसी ने भारत के विदेश मंत्री सुब्रमण्यम जयशंकर से मुलाक़ात के दौरान दोनों देशों के बीच प्राचीन और प्रबल रिश्तों की ओर इशारा किया और कहा कि दोनों ही देशों के उच्च अधिकारी हमेशा इस बात पर ज़ोर देते आए हैं कि तेहरान और दिल्ली के बीच विभिन्न राजनीतिक, आर्थिक, विज्ञान और प्रौद्योगिकी, परिवहन और ऊर्जा क्षेत्रों में संबंधों के स्तर को और विकसित किया जाए और उन्हें अधिक मज़बूती प्रदान की जाए।

"आतंकवाद और संगठित अपराध से निपटने के क्षेत्र में दोनों देशों के आम दृष्टिकोण का महत्व", "अफ़ग़ानिस्तान में स्थिरता और सुरक्षा स्थापित करने के लिए सहयोग की आवश्यकता", "विशेष रूप से राष्ट्रीय मुद्राओं के माध्यम से अंतर्राष्ट्रीय व्यापार को मज़बूत करना" और अंतर्राष्ट्रीय जलक्षेत्र में नौवहन की सुरक्षा बनाए रखना" भारत के विदेश मंत्री के साथ मुलाक़ात के दौरान इस्लामी गणतंत्र ईरान के राष्ट्रपति के द्वारा कही गई बातों के मुख्य बिंदू थे। राष्ट्रपति रईसी ने ग़ज़्ज़ा पट्टी में ज़ायोनी शासन द्वारा किए गए अपराधों को युद्ध अपराधों और मानवता के ख़िलाफ़ अपराधों के स्पष्ट उदाहरण के रूप में वर्णित किया और कहा कि ग़ज़्ज़ा पट्टी पर ज़ायोनी शासन के हमलों को रोकना, ज़ायोनी शासन को दंडित करना और फ़िलिस्तीनी लोगों के अधिकारों को पूरा करना ही इस क्षेत्र में स्थिरता और सुरक्षा वापस लौटने का एकमात्र तरीक़ा है। उन्होंने कहा कि ग़ज़्ज़ा पट्टी पर इस्राईल के हमलों को समाप्त करने, इस पट्टी की घेराबंदी ख़त्म करने और फ़िलिस्तीनी राष्ट्र के अधिकारों को उन्हें वापस दिलाने में भारत महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।

इस्लामी गणराज्य ईरान के राष्ट्रपति के साथ मुलाक़ात के दौरान भारतीय विदेश मंत्री सुब्रमण्यम जयशंकर ने भी ईरान के किरमान में हाल ही में हुई आतंकवादी घटना को लेकर ईरान की सरकार और लोगों के प्रति अपनी संवेदना और सहानुभूति व्यक्त की। उन्होंने क्षेत्र के देशों के साथ संबंध विकसित करने और भारत के साथ संबंधों में महत्वपूर्ण बदलाव लाने के लिए इस्लामी गणराज्य ईरान के राष्ट्रपति के प्रयासों की सराहना की। भारत के विदेश मंत्री ने इस्लामी गणतंत्र ईरान के साथ एक व्यापक और दीर्घकालिक सहयोग समझौते को संपन्न करने में अपने देश की रुचि के बारे में भी राष्ट्रपति रईसी को अवगत कराया। जयशंकर ने चाबहार बंदरगाह विकास परियोजना में अपने दायित्वों के साथ-साथ सहयोग के व्यापक विकास में भारत के पूर्ण पालन पर ज़ोर दिया। भारतीय विदेश मंत्री ने इस मुलाक़ात के बाद सोशल मीडिया प्लेटफ़ार्म पर लिखा है कि, हमने कुछ क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों और विकास पर दृष्टिकोण और आकलन का भी आदान-प्रदान किया। हम दोनों पश्चिम एशिया में हाल की घटनाओं के बारे में चिंतित हैं, जिसे कुछ लोग मध्य पूर्व कहते हैं, और हमने हिंसा और शत्रुता को और बढ़ने से रोकने के महत्व पर ज़ोर दिया है। (RZ)

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