क्या अमेरिका और ब्रिटेन यूक्रेन में युद्ध की आग भड़काए रखना चाहते हैं? बाइडन पुतीन को दे रहें हैं धमकियां तो जॉनसन ज़ेलेंस्की को मीज़ाइलें
रूस और यूक्रेन के बीच जारी युद्ध को लगभग एक महीने का समय बीत रहा है। पुतिन की सेना जहां आए दिन आक्रामक होती जा रही है वहीं ज़ेलेंस्की भी हथियार डालने के लिए तैयार नहीं हैं। इस बीच अमेरिका और ब्रिटेन सहित कुछ पश्चिमी देश मास्को और कीव के बीच जारी जंग की आग में घी डालने का काम कर रहे हैं। ऐसा लगता है कि अमेरिका समेत कुछ पश्चिमी देश यूक्रेन में हो रहे युद्ध को लंबा खींचना चाहते हैं।
प्राप्त रिपोर्ट के मुताबिक़, अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन ने रूस को चेतावनी देते हुए कहा कि अगर मास्को ने यूक्रेन के ख़िलाफ़ रसायनिक हथियारों का इस्तेमाल किया तो फिर नाटो चुप नहीं बैठेगा। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने गुरुवार को कहा कि अगर रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतीन ने यूक्रेन के ख़िलाफ़ अपने युद्ध में रासायनिक हथियार का इस्तेमाल किया तो नाटो "जवाब" देगा। ब्रसेल्स में नाटो शिखर सम्मेलन के बाद बाइडन ने कहा, "अगर वह इसका इस्तेमाल करता है तो हम जवाब देंगे। इस बीच ब्रिटेन ने यूक्रेन को 6 हज़ार मिसाइल देने का फ़ैसला किया है। प्राप्त जानकारी के अनुसार यूक्रेन के सैनिकों और पायलट को ब्रिटेन 4 करोड़ डॉलर की मदद भी करेगा। ब्रिटिश प्रधानमंत्री बोरिस जॉन्सन ने कहा, 'यूनाइटेड किंगडम अपने सहयोगियों के साथ मिलकर यूक्रेन की मदद करेगा। इस युद्ध में यूक्रेन को मदद करने के लिए उसे मज़बूत करने की ज़रूरत है।
उल्लेखनीय है कि यूक्रेन संकट पर गुरुवार को नाटो की आपात बैठक हुई। ज़ेलेंस्की ने इस बैठक में नाटो से कहा कि आपको साबित करना चाहिए कि आप लोगों की रक्षा करना चाहते हैं। वहीं, जी-7 देशों ने रूस के सेंट्रल बैंक पर लेन-देन में सोने का इस्तेमाल करने पर रोक लगा दी है। संयुक्त राष्ट्र महासभा (यूएनजीए) में यूक्रेन की ओर से पेश किए गए प्रस्ताव को अनुमति मिल गई है। ग़ौरतलब है कि रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध को एक महीने पूरे हो गए हैं। इस बीच पश्चिमी देश रूस के ख़िलाफ़ कई तरह के प्रतिबंध लगाते रहे लेकिन अभी सीधे तौर पर किसी ने युद्ध में भाग नहीं लिया है। रूस यह भी धमकी देता रहा कि अगर किसी ने रक्षा उपकरण देकर भी यूक्रेन की मदद की तो उसे युद्ध में शामिल माना जाएगा। वहीं जानकारों का मानना है कि अमेरिका और ब्रिटेन समेत कुछ पश्चिमी देशों के जिस तरह के बयान सामने आ रहे हैं उससे कहीं न कहीं यह अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि यह देश यूक्रेन में शांति स्थापित करने रास्तों को तलाश करने में कम और युद्ध की आग में घी डालने का ज़्यादा प्रयास कर रहे हैं। (RZ)
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