तुर्किए में ऐसा क्या हुआ कि जर्मनी और ऑस्ट्रिया को रोकना पड़ा अपना बचाव अभियान?
(last modified Sun, 12 Feb 2023 06:05:18 GMT )
Feb १२, २०२३ ११:३५ Asia/Kolkata
  • तुर्किए में ऐसा क्या हुआ कि जर्मनी और ऑस्ट्रिया को रोकना पड़ा अपना बचाव अभियान?

भूकंप प्रभावित तुर्किए में राहत और बचाव कार्य के लिए पहुंचे ऑस्ट्रिया और जर्मनी ने अपने ऑपरेशन को रोक दिया है। इन दोनों देशों की टीमें अब वापसी की तैयारी कर रही हैं।

प्राप्त रिपोर्ट के मुताबिक़, ऑस्ट्रिया और जर्मनी ने कुछ घटनाओं और सुरक्षा चिंताओं के कारण तुर्किए में भूकंप प्रभावित क्षेत्रों में उनके द्वारा अंजाम दिए जाने वाले राहत एवं बचाव कार्यों को रोक दिया है। इन दोनों देशों के प्रतिनिधियों ने बताया कि ऑस्ट्रियाई सेना और जर्मन बचावकर्मियों ने बिगड़ती सुरक्षा स्थिति के कारण शनिवार को भूकंप से तबाह तुर्किए में तलाशी अभियान रोक दिया है। ऑस्ट्रियाई सेना के एक प्रवक्ता ने अधिक जानकारी दिए बिना सिर्फ इतना ही कहा कि समूहों के बीच संघर्ष के कारण वे काम करने के हालत में नहीं हैं। ऑस्ट्रियाई सेना के एक प्रवक्ता बताया कि ऑस्ट्रियन फोर्सेज़ डिज़ास्टर रिलीफ यूनिट के 82 सैनिक दक्षिणी हाटे प्रांत में अन्य अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के साथ बेस कैंप में, निर्देशों का इंतज़ार कर रहे हैं। वे 45 टन उपकरणों के साथ मंगलवार को हाटे पहुंचे थे और नौ लोगों को मलबे से निकालने में सफल रहे थे। उन्होंने कहा कि वे गुरुवार को ऑस्ट्रिया लौटने के लिए तैयार थे, लेकिन इसकी समीक्षा की जा रही है।

एक ग़ैर सरकारी संगठन के प्रवक्ता के अनुसार, जर्मनी में फेडरल एजेंसी फॉर टेक्निकल रिलीफ (टीएसडब्लू) और प्राकृतिक आपदाओं के पीड़ितों की मदद करने में विशेषज्ञता वाले एक ग़ैर सरकारी संगठन आईएसएआर जर्मनी ने तुर्किए में बचाव अभियान बंद करने का ऐलान किया है। आईएसएआर के प्रवक्ता स्टीफन हेइन ने कहा कि हाल के घंटों में हटे प्रांत में सुरक्षा स्थिति स्पष्ट रूप से बदल गई है। अलग-अलग गुटों के बीच झड़पों की ख़बरें आ रही हैं, गोलियां भी चली हैं। उन्होंने बताया कि जर्मन बचाव टीमें अभी अपने बेस कैंप में हैं और हालात की समीक्षा कर रही हैं। उन्होंने कहा कि जब तुर्किए के नागरिक सुरक्षा अधिकारी इसे पर्याप्त रूप से सुरक्षित बताएंगे, तब वे अपने तलाशी अभियान को फिर से शुरू करेंगे। बता दें कि 7.8 तीव्रता के भूकंप के बाद तुर्किए और सीरिया में लगभग 28 हज़ार से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है। वहीं, लाखों लोग बेघर हुए हैं। (RZ)

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