तुर्किए और सीरिया के विरान शहरों और इलाक़ों से बच्चों की आती आवाज़ें, ज़िन्दगी अभी बाक़ी है, सामने आई तस्वीरों और वीडियो देख ग़मग़ीन आंखो से बहे ख़ुशी के आंसू
(last modified Tue, 14 Feb 2023 10:31:20 GMT )
Feb १४, २०२३ १६:०१ Asia/Kolkata

तुर्किए और सीरिया में आए भीषण भूकंप ने प्रभावित इलाक़ों को क़ब्रिस्तान बना दिया है। जहां पत्थरों, चीख़-पुकार के अलावा कुछ भी न दिखाई दे रहा है और न ही सुनाई दे रहा है। इस दौरान कई तस्वीरें आईं जिसने झकझोर कर रख दिया। साथ ही यह भी दिखाया है अल्लाह जिसको चाहता है उसको कैसे बचाए रखता है।

इस बीच, भूकंप से मची तबाही के बीच कुछ ऐसी कहानियां सामने आईं, जिसे सुनकर हर किसी का दिल भर आया। इस तबाही के बीच लगातार ज़िन्दगी की तस्वीरें भी सामने आ रही हैं। मलबे से मासूम बच्चे सही सलामत निकाले जा रहे हैं। इसमें कोई नवजात है तो कोई दो साल का बच्चा, तो कोई पांच साल की बच्ची है। बच्चों के रेस्क्यू के वीडियो भी सोशल मीडिया पर तेज़ी से वायरल हो रहे हैं। एक बच्ची ने मलबे से निकलते ही बचावकर्मियों को सलाम किया। तुर्किए और सीरिया में एक हफ्ते पहले आये विनाशकारी भूकंप में बेघर हुए हजारों लोग तंबुओं में खचाखच भरे हुए हैं और सोमवार को गर्म भोजन के लिए सड़कों पर कतार में नजर आए। वहीं, मलबे में अब भी दबे जीवित लोगों को निकालने के लिए तलाश अभियान अपने अंतिम चरण में प्रवेश कर गया है। विशेषज्ञों ने कहा है कि रात का तापमान शून्य से छह डिग्री सेल्सियस नीचे चले जाने और कई इमारतों के पूरी तरह से ध्वस्त हो जाने के कारण अब मलबे में लोगों के जीवित बचे होने की संभावना घट गई है। तुर्किए और उत्तरी सीरिया में छह फरवरी को आए 7.8 तीव्रता के भूकंप में 35,000 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है तथा पूरा का पूरा शहर वीरान और कंक्रीट के मलबे में तब्दील हो गया है।

उल्लेखनीय है कि तुर्किए और सीरिया में विनाशकारी भूकंप ने कितनी बड़ी तबाही मचाई, उसका अंदाज़ा लगाकर ही हर कोई सहम जा रहा है। तुर्किए का ख़ौफनाक मंज़र किसी बुरे सपने का सच होने जैसा है। इतनी बड़ी भयावह तबाही ने लोगों को दिमाग़ पर क्या असर डाला होगा, इसके बारे में हम सिर्फ सोच ही सकते हैं। तुर्किए में पिछले सप्ताह आए भूकंप में अपना घर ढह जाने के बाद से छह साल की बच्ची सवाल पूछती रहती है, "क्या हम मरने जा रहे हैं?"  तुर्किए की सड़कों के किनारे ताबूतों की कतारें लगी हैं और चौबीसों घंटे एंबुलेंस के सायरन बज रहे हैं। इमारतों के मलबे के बीच से गुज़रते हुए, बच्चे बचावकर्मियों को मलबे से सड़े-गले बॉडी बैग उठाते हुए देखते हैं। इस बीच तुर्किए के उप राष्ट्रपति फुअत ओकटे ने कहा कि ढही हुई इमारतों से निकाले गए 574 बच्चे बिना किसी जीवित माता-पिता के पाए गए। केवल 76 परिवार के अन्य सदस्यों को लौटाए गए थे। (RZ)

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