ब्रिटिश सरकार पर लटकी तलवार, विपक्ष हुआ मज़बूत
(last modified Mon, 12 Jun 2023 09:49:23 GMT )
Jun १२, २०२३ १५:१९ Asia/Kolkata

पूर्व ब्रिटिश प्रधान मंत्री बोरिस जॉनसन और संसद से उनके कुछ विश्वासपात्रों के इस्तीफे के बाद, लेबर पार्टी के कुछ सदस्यों ने जल्द चुनाव कराने का आह्वान किया है।

जॉनसन और कंज़रवेटिव पार्टी के दो सदस्यों के ब्रिटिश संसद से इस्तीफ़ा देने के बाद लेबर पार्टी के नेता रोडनी स्टारर ने ट्विट किया कि यह हास्यास्पद प्रक्रिया अब बंद होनी चाहिए, लोग एक अराजक सरकार और एक कमज़ोर प्रधान मंत्री से तंग आ चुके हैं, जिसे किसी ने भी निर्वाचित नहीं किया।

तथाकथित "पार्टीगेट" घटना के बाद जॉनसन ने कुछ दिनों पहले ब्रिटिश संसद की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था। पार्टीगेट कांड नवम्बर 2021 में "डेली मिरर" अखबार में एक रिपोर्ट के प्रकाशन के बाद सामने आया था।

इस अखबार की रिपोर्ट के मुताबिक, ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कार्यालय ने कोरोना लाकडाऊन के दूसरे दौर में और बंद जगहों पर ग़ैर-कामकाजी जमावड़े पर रोक होने की स्थिति में पार्टी और ग़ैर-कामकाज समारोह का आयोजन किया।

इस रिपोर्ट के बाद जॉनसन हाल ही में अपना बचाव पेश करने के लिए संसद की विशेष जांच समिति के सामने पेश हुए। उन्होंने यह दावा किया कि कोरोना महामारी के बीच कोरोना प्रोटोकोल का उल्लंघन जानबूझकर नहीं किया गया। उन्होंने दावा किया कि वह इस मामले की पूरी ज़िम्मेदारी स्वीकार करते हैं लेकिन अब, संसद सदस्य के रूप में इस्तीफा देकर, जॉनसन ने कोरोना महामारी के दौरान सरकारी मंत्रियों और सरकारी कर्मचारियों के उल्लंघन की संसदीय समिति की जांच के परिणामों के प्रकाशन पर रोक लगाने का प्रयास किया। जॉनसन का दावा है कि यह रिपोर्ट उन्हें बर्खास्त करने का इरादा ज़ाहिर करती है।

हालिया महीनों में, समिति इस बात की जांच कर रही है कि जॉनसन ने उस समय कठोर महामारी नियमों के बावजूद लंदन के डाउनिंग स्ट्रीट में सरकारी मुख्यालय में अवैध गतिविधियों के बारे में हाउस ऑफ कॉमन्स से झूठ बोला था या नहीं।

ब्रिटिश संसद से जॉनसन का अचानक और हाई-प्रोफाइल इस्तीफ़ा, देश के आम चुनाव से एक साल पहले कंज़रवेटिव पार्टी के भीतर गहरे विभाजन को दर्शाता है। जॉनसन के अलावा उनके क़रीबी और विश्वसनीय नैडिन डोरिस और निगेल एडम्स ने भी संसद की सदस्यता और अपने अपने पदों से इस्तीफ़ा दे दिया है।

पिछले कुछ दिनों में ब्रिटिश संसद से सत्ताधारी कंज़रवेटिकव पार्टी के तीन सदस्यों के इस्तीफ़े से इस पार्टी की प्रतिष्ठा में गिरावट आई है और दूसरी ओर गहरे आर्थिक संकट के बीच देश के आम चुनावों का मुद्दा और अधिक अनिश्चित हो गया है और कंज़रवेटिव पार्टी के नेता और ब्रिटिश प्रधानमंत्री ऋषि सुनक के लिए यह स्थिति एक नई चुनौती बन गई है। (AK)

 

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