अमेरिकी वीटो को लेकर यूएन महासभा में बड़ी चर्चा, अवैध इस्राईली शासन का समर्थन करके दुनिया के सामने शर्मसार होता अमेरिका!
संयुक्त राष्ट्र महासभा अध्यक्ष ने मंगलवार को सदस्य देशों को बताया कि ग़ज़्ज़ा में तात्कालिक प्राथमिकता, आम लोगों की ज़िन्दगियों की रक्षा करना है। पिछले महीने सुरक्षा परिषद में, ग़ज़्ज़ा की स्थिति पर एक प्रस्ताव पर, अमेरिका द्वारा वीटो अधिकार का इस्तेमाल किए जाने के बाद बुलाई गई एक बैठक में यह बात कही गई है।
संयुक्त राष्ट्र महासभा ने वर्ष 2022 में यूक्रेन पर रूसी आक्रमण की पृष्ठभूमि में, सुरक्षा परिषद के साथ सहयोग को मज़बूत करने के इरादे से एक प्रस्ताव पारित किया था। सुरक्षा परिषद में वीटो अधिकार का इस्तेमाल किए जाने की स्थिति में यह स्वत: महासभा की बैठक का रास्ता स्पष्ट कर देता है। वीटो, सुरक्षा परिषद के पांच स्थाई सदस्य देशों— चीन, फ़्राँस, रूस, ब्रिटेन, अमेरिका— के पास एक ऐसा विशेष अधिकार है जिसमें नकारात्मक वोट डाले जाने की स्थिति में प्रस्ताव या कोई निर्णय विफल हो जाता है। यूएन महासभा द्वारा पारित प्रस्ताव में वीटो अधिकार के इस्तेमाल की समीक्षा की जाती है, जिसके तहत महासभा प्रमुख द्वारा 10 कामकाजी दिनों के भीतर एक औपचारिक चर्चा आयोजित कराई जाती है। इसके ज़रिए, महासभा के 193 सदस्य देशों के वृहद निकाय में हर देश के पास, अपनी बात कहने का अधिकार होता है।vito
इस प्रस्ताव की मंशा, संयुक्त राष्ट्र संघ के सदस्य देशों को अनुशंसाएं प्रदान करने का अवसर देना है, जिसमें शान्ति स्थापना या बहाली के लिए सैन्य बलों के इस्तेमाल की सिफ़ारिश भी हो सकती है। महासभा द्वारा पारित किए जाने वाले हर प्रस्ताव की तरह, इस व्यवस्था के साथ नैतिक व राजनैतिक वज़न जुड़ा है, लेकिन यह क़ानूनी रूप से बाध्यकारी नहीं हैं। ना ही, इनके पास अन्तर्राष्ट्रीय क़ानून की शक्ति है, जैसाकि अक्सर सुरक्षा परिषद में तय किए गए क़दमों में होता है। (RZ)
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