क़ुरआन ईश्वरीय चमत्कार-809
क़ुरआन ईश्वरीय चमत्कार-809
وَسَوَاءٌ عَلَيْهِمْ أَأَنْذَرْتَهُمْ أَمْ لَمْ تُنْذِرْهُمْ لَا يُؤْمِنُونَ (10) إِنَّمَا تُنْذِرُ مَنِ اتَّبَعَ الذِّكْرَ وَخَشِيَ الرَّحْمَنَ بِالْغَيْبِ فَبَشِّرْهُ بِمَغْفِرَةٍ وَأَجْرٍ كَرِيمٍ (11)
और (हे पैग़म्बर!) उनके लिए एक समान है, आप उन्हें सचेत करें या न करें, वे ईमान लाएँगे नहीं। (36:10) आप तो बस उसी को सचेत कर सकते हैं जो (क़ुरआन की) नसीहत का अनुसरण करे और बिना देखे दयावान (ईश्वर) से डरे, तो उसे क्षमा और प्रतिष्ठित प्रतिफल की शुभ सूचना दे दीजिए। (36:11)
إِنَّا نَحْنُ نُحْيِي الْمَوْتَى وَنَكْتُبُ مَا قَدَّمُوا وَآَثَارَهُمْ وَكُلَّ شَيْءٍ أحْصَيْنَاهُ فِي إِمَامٍ مُبِينٍ (12)
निःसंदेह हम मुर्दों को जीवित करेंगे और जो कुछ कर्म उन्होंने किए हैं और जो प्रभाव उन्होंने आगे भेजा है, हम वह सब लिखते जा रहे हैं और हर चीज़ को हमने एक स्पष्ट किताब में दर्ज कर रखा है। (36:12)