क़ुरआन ईश्वरीय चमत्कार-810
क़ुरआन ईश्वरीय चमत्कार-810
وَاضْرِبْ لَهُمْ مَثَلًا أَصْحَابَ الْقَرْيَةِ إِذْ جَاءَهَا الْمُرْسَلُونَ (13) إِذْ أَرْسَلْنَا إِلَيْهِمُ اثْنَيْنِ فَكَذَّبُوهُمَا فَعَزَّزْنَا بِثَالِثٍ فَقَالُوا إِنَّا إِلَيْكُمْ مُرْسَلُونَ (14)
और (हे पैग़म्बर!) इन्हें उन बस्ती वालों का एक उदाहरण दे दीजिए, जब वहाँ (ईश्वर के) भेजे हुए पैग़म्बर आए थे। (36:13) जब हमने उनकी ओर (अपने) दो पैग़म्बर भेजे और उन्होंने उन्हें झुठला दिया। तब हमने तीसरे (पैग़म्बर) के माध्यम से उन्हें बल प्रदान किया और उन तीनों ने कहाः हम (ईश्वर की ओर से) तुम्हारी तरफ़ (पैग़म्बर बना कर) भेजे गए हैं। (36:14)
قَالُوا مَا أَنْتُمْ إِلَّا بَشَرٌ مِثْلُنَا وَمَا أَنْزَلَ الرَّحْمَنُ مِنْ شَيْءٍ إِنْ أَنْتُمْ إِلَّا تَكْذِبُونَ (15) قَالُوا رَبُّنَا يَعْلَمُ إِنَّا إِلَيْكُمْ لَمُرْسَلُونَ (16) وَمَا عَلَيْنَا إِلَّا الْبَلَاغُ الْمُبِينُ (17)
(बस्ती के अनेकेश्वरवादियों ने) कहाः तुम, हम जैसे इंसानों के अलावा और कुछ नहीं हो और दयावान (ईश्वर) ने कदापि कोई भी चीज़ (तुम पर) नाज़िल नहीं की है, तुम केवल झूठ बोलते हो। (36:15) उन पैग़म्बरों ने कहाः हमारा पालनहार जानता है कि हम निश्चय ही तुम्हारी ओर पैग़म्बर (बना कर) भेजे गए हैं। (36:16) और हम पर स्पष्ट रूप से संदेश पहुँचा देने के अलावा कोई ज़िम्मेदारी नहीं हैं। (36:17)
قَالُوا إِنَّا تَطَيَّرْنَا بِكُمْ لَئِنْ لَمْ تَنْتَهُوا لَنَرْجُمَنَّكُمْ وَلَيَمَسَّنَّكُمْ مِنَّا عَذَابٌ أَلِيمٌ (18) قَالُوا طَائِرُكُمْ مَعَكُمْ أَئِنْ ذُكِّرْتُمْ بَلْ أَنْتُمْ قَوْمٌ مُسْرِفُونَ (19)
बस्ती वालों ने कहा कि हम तो तुम्हें अपने लिए अपशकुन समझते हैं, अगर तुम बाज़ न आए तो हम तुम्हें पथराव करके मार डालेंगे और तुम हमसे अवश्य ही बड़ी पीड़ादायक सज़ा पाओगे। (36:18) पैग़म्बरों ने कहाः तुम्हारा अपशकुन तो तुम्हारे अपने ही साथ है। क्या तुम यह बातें इस लिए करते हो कि तुम्हें नसीहत की गई है? (तो यह कोई क्रुद्ध होने वाली बात नहीं है) बल्कि तुम सीमा से बढ़ जाने वाले लोग हो। (36:19)