क़ुरआन ईश्वरीय चमत्कार-811
क़ुरआन ईश्वरीय चमत्कार-811
وَجَاءَ مِنْ أَقْصَى الْمَدِينَةِ رَجُلٌ يَسْعَى قَالَ يَا قَوْمِ اتَّبِعُوا الْمُرْسَلِينَ (20) اتَّبِعُوا مَنْ لَا يَسْأَلُكُمْ أَجْرًا وَهُمْ مُهْتَدُونَ (21)
और इतने में नगर के दूरवर्ती सिरे से एक व्यक्ति दौड़ता हुआ आया। उसने कहाः हे मेरी जाति के लोगो! पैग़म्बरों का आज्ञापालन करो। (36:20) उनका आज्ञापालन करो जो तुमसे कोई बदला नहीं माँगते और वे सीधे मार्ग पर हैं। (36:21)
وَمَا لِيَ لَا أَعْبُدُ الَّذِي فَطَرَنِي وَإِلَيْهِ تُرْجَعُونَ (22) أَأَتَّخِذُ مِنْ دُونِهِ آَلِهَةً إِنْ يُرِدْنِ الرَّحْمَنُ بِضُرٍّ لَا تُغْنِ عَنِّي شَفَاعَتُهُمْ شَيْئًا وَلَا يُنْقِذُونِ (23) إِنِّي إِذًا لَفِي ضَلَالٍ مُبِينٍ (24)
और क्यों न मैं उसकी बन्दगी करूँ जिसने मुझे पैदा किया है और जिसकी ओर तुम सबको पलट कर जाना है? (36:22) क्या मैं उसे छोड़ कर दूसरे पूज्य बना लूँ? हालांकि अगर दयावान (ईश्वर) मुझे कोई नुक़सान पहुँचाना चाहे तो न उनकी सिफ़ारिश मेरे कुछ काम आ सकती और न ही वे मुझे छुड़ा सकते हैं। (36:23) (अगर मैं ऐसा करूं) तो मैं अवश्य ही स्पष्ट गुमराही में पड़ जाऊँगा। (36:24)
إِنِّي آَمَنْتُ بِرَبِّكُمْ فَاسْمَعُونِ (25) قِيلَ ادْخُلِ الْجَنَّةَ قَالَ يَا لَيْتَ قَوْمِي يَعْلَمُونَ (26) بِمَا غَفَرَ لِي رَبِّي وَجَعَلَنِي مِنَ الْمُكْرَمِينَ (27)
(हे लोगो!) मैं तो तुम्हारे पालनहार पर ईमान ले आया, तो अब तुम भी मेरी बात मान लो। (36:25) (अंततः उन लोगों ने उसकी हत्या कर दी और) उससे कहा गयाः मेरे स्वर्ग में प्रवेश करो। उसने कहाः काश! मेरी जाति (के लोगों) को ज्ञात होता (36:26) कि मेरे पालनहार ने मुझे किस चीज़ के चलते क्षमा कर दिया और मुझे प्रतिष्ठित लोगों में शामिल कर दिया। (36:27)