क़ुरआन ईश्वरीय चमत्कार-812
क़ुरआन ईश्वरीय चमत्कार-812
وَمَا أَنْزَلْنَا عَلَى قَوْمِهِ مِنْ بَعْدِهِ مِنْ جُنْدٍ مِنَ السَّمَاءِ وَمَا كُنَّا مُنْزِلِينَ (28) إِنْ كَانَتْ إِلَّا صَيْحَةً وَاحِدَةً فَإِذَا هُمْ خَامِدُونَ (29) يَا حَسْرَةً عَلَى الْعِبَادِ مَا يَأْتِيهِمْ مِنْ رَسُولٍ إِلَّا كَانُوا بِهِ يَسْتَهْزِئُونَ (30)
और उसके बाद उसकी जाति पर हमने आकाश से कोई सेना नहीं उतारी और (उससे पहले भी) हम (सेना) उतारने वाले नहीं थे (कि यह हमारी परंपरा ही नहीं थी) (36:28) वह तो केवल एक भीषण चिंघाड़ थी और फिर अचानक ही वे सब बुझकर रह गए। (36:29) अफ़सोस उन बन्दों पर! जो भी पैग़म्बर उनके पास (मार्गदर्शन के लिए) आया, वे उसका मज़ाक़ ही उड़ाते रहे। (36:30)
أَلَمْ يَرَوْا كَمْ أَهْلَكْنَا قَبْلَهُمْ مِنَ الْقُرُونِ أَنَّهُمْ إِلَيْهِمْ لَا يَرْجِعُونَ (31) وَإِنْ كُلٌّ لَمَّا جَمِيعٌ لَدَيْنَا مُحْضَرُونَ (32)
क्या उन्होंने देखा नहीं कि हम उनसे पहले कितनी ही जातियों को तबाह कर चुके हैं और इसके बाद वे फिर कभी इन (काफ़िरों) की ओर पलट कर नहीं आएंगे? (36:31) और ये सबके सब (प्रलय के दिन) हमारे सामने उपस्थित किए जाएँगे। (36:32)
وَآَيَةٌ لَهُمُ الْأَرْضُ الْمَيْتَةُ أَحْيَيْنَاهَا وَأَخْرَجْنَا مِنْهَا حَبًّا فَمِنْهُ يَأْكُلُونَ (33) وَجَعَلْنَا فِيهَا جَنَّاتٍ مِنْ نَخِيلٍ وَأَعْنَابٍ وَفَجَّرْنَا فِيهَا مِنَ الْعُيُونِ (34) لِيَأْكُلُوا مِنْ ثَمَرِهِ وَمَا عَمِلَتْهُ أَيْدِيهِمْ أَفَلَا يَشْكُرُونَ (35)
और इन लोगों के लिए बेजान धरती में एक निशानी है। हमने उसे जीवन प्रदान किया और उससे अनाज निकाला जिसे ये खाते हैं। (36:33) और हमने इसमें खजूरों और अंगूरों के बाग़ पैदा किए और उसके अंदर सोते प्रवाहित कर दिए। (36:34) ताकि वे उसके फल खाएँ (हालाँकि) यह सब उनके हाथों का बनाया हुआ नहीं है। तो क्या (फिर भी) वे कृतज्ञता नहीं प्रकट करते? (36:35)