क़ुरआन ईश्वरीय चमत्कार-817
क़ुरआन ईश्वरीय चमत्कार-817
وَلَوْ نَشَاءُ لَطَمَسْنَا عَلَى أَعْيُنِهِمْ فَاسْتَبَقُوا الصِّرَاطَ فَأَنَّى يُبْصِرُونَ (66) وَلَوْ نَشَاءُ لَمَسَخْنَاهُمْ عَلَى مَكَانَتِهِمْ فَمَا اسْتَطَاعُوا مُضِيًّا وَلَا يَرْجِعُونَ (67)
और अगर हम चाहें तो उनकी आँखें मूंद दें फिर यह रास्ते की तरफ़ लपक कर देखें, कहां से इन्हें रास्ता सुझाई देगा? (36:66) और अगर हम चाहें तो इनकी जगह पर ही इस तरह से इनका स्वरूप बिगाड़कर रख दें कि ये न आगे चल सकें और न पीछे पलट सकें। (36:67)
وَمَنْ نُعَمِّرْهُ نُنَكِّسْهُ فِي الْخَلْقِ أَفَلَا يَعْقِلُونَ (68)
और जिसको हम लम्बी आयु देते है, उसको उसकी सृष्टि में उलट देते हैं (और उसमें भूल, अक्षमता और ढिलाई आने लगती है)। तो क्या (ये परिस्थितियां देख कर) वे बुद्धि से काम नहीं लेते? (36:68)
وَمَا عَلَّمْنَاهُ الشِّعْرَ وَمَا يَنْبَغِي لَهُ إِنْ هُوَ إِلَّا ذِكْرٌ وَقُرْآَنٌ مُبِينٌ (69) لِيُنْذِرَ مَنْ كَانَ حَيًّا وَيَحِقَّ الْقَوْلُ عَلَى الْكَافِرِينَ (70)
और हमने इस (पैग़म्बर) को शायरी नहीं सिखाई है और न ही वह इन्हें शोभा देती है। यह (किताब) तो केवल एक नसीहत और स्पष्ट क़ुरआन है। (36:69) ताकि हर उस व्यक्ति को सचेत कर दे जो जीवित हो और काफ़िरों के बारे में ईश्वर की बात व्यवहारिक हो जाए। (36:70)