Feb ०७, २०२२ १९:२२ Asia/Kolkata

सूरए साद आयतें 49-58

هَذَا ذِكْرٌ وَإِنَّ لِلْمُتَّقِينَ لَحُسْنَ مَآَبٍ (49) جَنَّاتِ عَدْنٍ مُفَتَّحَةً لَهُمُ الْأَبْوَابُ (50) مُتَّكِئِينَ فِيهَا يَدْعُونَ فِيهَا بِفَاكِهَةٍ كَثِيرَةٍ وَشَرَابٍ (51)

इन आयतों का अनुवाद हैः

यह एक ज़िक्र था और (सुनो कि) निश्चय ही डर रखनेवालों के लिए अच्छा ठिकाना है [38:49] (यानी) हमेशा रहने वाले बाग़ हैं, जिनके द्वार उनके लिए खुले होंगे [38:50] उनमें वे तकिया लगाए हुए होंगे। वहाँ वे बहुत-से मेवे और पेय मँगवाते होंगे [38:51]

पिछले कुछ कार्यक्रमों में कुछ पैग़म्बरों के साथ होने वाली घटनाओं को बयान किया गया। यह आयतें पहले तो पिछली आयतों का निचोड़ पेश करती हैं कि बीते हुए लोगों की घटनाओं को बयान करने का मक़सद नसीहत देना है क्योंकि क़ुरआन के नाज़िल करने का एक मक़सद याद दिलाना और जागरूक करना है। इसके बाद की आयतों में अल्लाह कहता है कि अल्लाह का करम केवल पैग़म्बरों तक सीमित नहीं है बल्कि तक़वा के रास्ते पर चलने वाले सारे लोगों का अंजाम अच्छा होगा। उन्होंने दुनिया में जो संघर्ष किया और कठिनाइयां उठाईं क़यामत में उन्हें उसका बदला मिलेगा और उनक सदकर्मों का पारितोषिक दिया जाएगा। अगर दुनिया में हलाल और हराम का ख़याल रखने की वजह से वह कुछ लज़्ज़तों और आनंद से वंचित रहे तो क़यामत में अल्लाह उन्हें सबसे बड़ी लज़्ज़त और आनंद प्रदान करेगा।

वैसे भी दुनिया की लज़्ज़तें और आनंद क्षणिक होते हैं, बीमारी या मौत से उनका अंत हो जाता है लेकिन स्वर्ग और उसकी लज़्ज़तें अनंत हैं वह कभी ख़त्म होने वाली नहीं हैं। जो लोग दुनिया में लगातार मेहनत और प्रयासों में लगे रहते हैं अल्लाह क़यामत में उन्हें उसी के अनुरूप स्थान देगा ताकि बंदों के बारे में अल्लाह का न्याय चरितार्थ हो।

इन आयतों से हमने सीखाः

इतिहास की घटनाओं को बयान करना केवल दिल बहलाने वाली चीज़ नहीं बल्कि इससे इंसान की जागरूकता और सतर्कता बढ़नी चाहिए।

जीवन का लंबा होना अहम नहीं है बल्कि महत्वपूर्ण यह होता है कि जीवन ख़त्म किस प्रकार हो रहा है। अच्छे अंजाम का राज़ तक़वा है। इसलिए परहेज़गार और सदाचारी लोग वह हैं जो अल्लाह के वादे के मुताबिक़ अच्छे अंजाम को पहुंचेंगे।

स्वर्ग में जाने वाले लोगों के लिए अल्लाह की रहमत के दरवाज़े हमेशा खुले रहते हैं वह जो भी तलब करते हैं उन्हें मिल जाता है।

अब आइए सूरए साद की आयत संख्या 52 से 54 तक की तिलावत सुनते हैं।

وَعِنْدَهُمْ قَاصِرَاتُ الطَّرْفِ أَتْرَابٌ (52) هَذَا مَا تُوعَدُونَ لِيَوْمِ الْحِسَابِ (53) إِنَّ هَذَا لَرِزْقُنَا مَا لَهُ مِنْ نَفَادٍ (54)

इन आयतों का अनुवाद हैः

और उनके पास नीची निगाहों वाली हम उम्र बीवियां होंगी, [38:52] यह वह नेमत है, जिसका हिसाब के दिन तुमको प्रदान किए जाने का वादा किया जाता है [38:53] यह हमारा दिया है, जो कभी समाप्त न होगा [38:54]

पिछली आयतों में जन्नत की नेमतों का उल्लेख करने के बाद अब यह आयतें बताती हैं कि इंसान को स्वर्ग में भी पत्नियों की ज़रूरत होगी। क़ुरआन कहता है कि अल्लाह ने स्वर्ग वालों के लिए पाकीज़ा और सुदंर बीवियां रखी हैं क्योंकि उन्होंने केवल अपनी बीवियों को देखा दूसरों से नज़र बचाई। यह बीवियां अपने पति की उम्र की होंगी।

यह आयतें इसके आगे कहती हैं कि हिसाब के दिन जिसका सामना हर इंसान को करना होगा और दुनिया में उसने जो कुछ भी किया होगा उसका हिसाब देना पड़ेगा, केवल परहेज़गार  लोग अल्लाह की नेमतों से मालामाल होंगे। उनके बारे में अल्लाह का वादा पूरा होगा, अल्लाह का वादा ग़लत हो ही नहीं सकता। एक अन्य बिंदु यह है कि स्वर्ग में अल्लाह की नेमतें और रोज़ी अनंत है।

इन आयतों से हमने सीखाः

अच्छी बीवी की ख़ासियत यह है कि अपने पति के अलावा किसी को न देखे उसकी नज़र और दिल अपने पति पर केन्द्रित रहे।

स्वर्ग की नेमतें भी हिसाब किताब के आधार पर मिलेंगी और कभी ख़त्म नहीं होंगी।

कयामत के दिन इंसान अपने शरीर के साथ हालात से गुज़रेगा। उसे इसी दुनिया वाले शरीर जैसे ही एक शरीर के साथ पेश किया जाएगा। वह स्वादिष्ट फल खाएगा, अच्छे पेय पियेगा और सुंदर बीवियां होंगी जिनसे उसकी यौन इच्छाएं पूरी होंगी।

अब आइए सरए साद की आयत संख्या 55 से 58 तक की तिलावत सुनें,

هَذَا وَإِنَّ لِلطَّاغِينَ لَشَرَّ مَآَبٍ (55) جَهَنَّمَ يَصْلَوْنَهَا فَبِئْسَ الْمِهَادُ (56) هَذَا فَلْيَذُوقُوهُ حَمِيمٌ وَغَسَّاقٌ (57) وَآَخَرُ مِنْ شَكْلِهِ أَزْوَاجٌ (58)

इन आयतों का अनुवाद हैः

यह बात तो हो चुकी कि (परहेज़गार का अंजाम यह है) और सरकशों का अंजाम बहुत बुरा है [38:55] जहन्नम, जिसमें वे प्रवेश करेंगे। तो वह बहुत ही बुरा ठिकाना है! [38:56] यह (हाज़िर) है, अब उन्हें इसे चखना है - खौलता हुआ पानी और रक्तयुक्त पीप [38:57] और इसी प्रकार की दूसरी और भी चीज़ें भी होंगी। [38:58]

क़ुरआन की शैली यह होती है कि अच्छे और बुरे दोनों प्रकार के लोगों का अंजाम साथ साथ बयान करता है ताकि लोग दोनों की तुलना करें और खुली आंख के साथ अपने जीवन के लिए सही रास्ते को चुनें। यहां भी स्वर्ग वालों को प्राप्त नेमतों का उल्लेख करने के बाद क़ुरआन कहता है कि जिन लोगों ने अपनी सीमा लांघी और सरकश हो गए क़यामत में बहुत कड़ी सज़ा उनके इंतेज़ार में होगी। लज़्ज़तदार मीठे जन्नती पेय के बजाए खौलता हुआ और खून व पीब वाला तरल पदार्थ उन्हें पीना होगा।

उनका स्थान जहन्नम है जहां सारे कुकर्मी एकत्रित होंगे और उनके शरीर से भयानक बदबू निकलेगी। अलबत्ता जहन्नम वालों की सज़ा केवल खौलते पानी और दहकती आग तक सीमित नहीं रहेगी बल्कि कई प्रकार की सज़ाएं मिलेंगी जिनके कारण जहन्नम के लोग हमेशा तकलीफ़ में रहेंगे और कभी भी इस सज़ा की कठोरता में कमी नहीं आएगी।

इन आयतों से हमने सीखाः

भविष्य और अंजाम के बारे में ग़ौर करने से इंसान जीवन के लिए रास्ते का चयन बड़ी सूझबूझ से करता है और अल्लाह के आदेशों के सामने कभी सरकशी और अवज्ञा नहीं करता।

अल्लाह की नेमतों की तरह उसकी सज़ाएं भी कई प्रकार की होती हैं और जहन्नम वालों को कभी भी सामान्य हालात में पहुंचना नसीब नहीं होगा।

हमें ख़याल रखना चाहिए कि दुनिया की क्षणिक और सीमित  लज़्ज़त और आनंद के लिए आख़ेरत का अनंत अज़ाब और पीड़ा हासिल न करें।

 

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