Feb ०७, २०२२ १९:२६ Asia/Kolkata

सूरए साद आयतें 59-66

هَذَا فَوْجٌ مُقْتَحِمٌ مَعَكُمْ لَا مَرْحَبًا بِهِمْ إِنَّهُمْ صَالُوا النَّارِ (59) قَالُوا بَلْ أَنْتُمْ لَا مَرْحَبًا بِكُمْ أَنْتُمْ قَدَّمْتُمُوهُ لَنَا فَبِئْسَ الْقَرَارُ (60) قَالُوا رَبَّنَا مَنْ قَدَّمَ لَنَا هَذَا فَزِدْهُ عَذَابًا ضِعْفًا فِي النَّارِ (61)

इन आयतों का अनुवाद हैः

"यह एक भीड़ है जो तुम्हारे (अनुयाइयों की जो तुम्हारे) साथ घुसी चली आ रही है। (वे जवाब में कहेंगे कि) कोई आवभगत उनके लिए नहीं। वे तो आग में पड़ने वाले है।" [38:59] (अनुयाई अपने सरग़नाओं से) कहेंगे, "नहीं, तुम नहीं। तुम्हारे लिए कोई आवभगत नहीं। तुम्हीं यह हमारे आगे लाए हो। तो बहुत ही बुरी है यह ठहरने की जगह!" [38:60] वे कहेंगे, "ऐ हमारे रब! जो हमारे आगे यह (मुसीबत) लाया उसे आग में दोहरी यातना दे!" [38:61]

पिछले कार्यक्रम में क़यामत में ज़ालिमों और सरकशों को मिलने वाली कुछ सज़ाओं के बारे में बताया गया। अब इसके आगे इन आयतों में कहा गया है कि ज़हन्नम में जाने वाले लोग नए आने वालों का स्वागत नहीं करेंगे बल्कि उन पर तंज़ करेंगे और उनकी निंदा करेंगे। क़ुरआन की आयतें बताती हैं कि अनुयाई उनकी निंदा करेंगे जिन्होंने अगुवाई की और अगुवाई करने वाले अनुयाइयों को बुरा भला कहेंगे और उन्हें दोषी ठहराएंगे।

जहन्नम के कारिंदे कुफ़्र और नास्तिकता के सरग़ानओं से कहेंगे कि जहन्नम में मौजूद यह लोग दुनिया में तुम्हारा अनुसरण करने वाले लोग हैं और आज नरक में भी वह तुम्हारे साथ हैं। तुम सब नरक की आग में जलोगे।

यह एक आम परम्परा है कि जब कोई समूह किसी जगह पर पहुंचता है तो वहां पहले से मौजूद लोग आगंतुकों का स्वागत करते हैं। लेकिन कुफ़्र और नास्तिकता के सरग़ना जो पहले से जहन्नम में मौजूद होंगे नरक में नए आने वालों से कहेंगे कि नरक में तुम्हारा स्वागत नहीं है। नरक में नए प्रवेश करने वाले लोग अल्लाह से विनती करेंगे कि सरग़नाओं की सज़ा दुगनी कर दी जाए क्योंकि यही लोग अपने सारे अनुयाइयों की गुमराही और दुर्भाग्य की वजह बने हैं।

इन आयतों से हमने सीखाः

नरक में जाने वाले एक दूसरे की निंदा करेंगे और एक दूसरे से नफ़रत ज़ाहिर करेंगे। हर गुट दूसरे को दोषी ठहराएगा और बुरा भला कहेगा।

क़यामत उन कर्मों के सामने आने की जगह है जो इंसान ने दुनिया में अंजाम दिए हैं। वह क़यामत में अपनी करनी के अंजाम का सामना करेगा।

कोई भी अपने पाप को दूसरे के सिर नहीं डाल सकता। बेशक कुफ़्र और नास्तिकता के सरग़ना दोषी हैं और उनको दी जाने वाली सज़ा भी ज़्यादा है लेकिन इससे उनके अनुयाइयों की सज़ा में कोई कमी नहीं आने वाली है। आंख बंद करके अनुसरण करने वाले अनुयाई भी पूरी तरह दोषी हैं और उन्हें भी नरक में अपनी सज़ा भोगनी पड़ेगी।

अब आइए सूरए साद की आयत संख्या 62 से 64 तक की तिलावत सुनते हैं,

وَقَالُوا مَا لَنَا لَا نَرَى رِجَالًا كُنَّا نَعُدُّهُمْ مِنَ الْأَشْرَارِ (62) أَتَّخَذْنَاهُمْ سِخْرِيًّا أَمْ زَاغَتْ عَنْهُمُ الْأَبْصَارُ (63) إِنَّ ذَلِكَ لَحَقٌّ تَخَاصُمُ أَهْلِ النَّارِ (64)

इन आयतों का अनुवाद हैः

और वे कहेंगे, "क्या बात है कि हम उन लोगों को (नरक में) नहीं देखते जिनकी गिनती हम बुरों में करते थे? [38:62] क्या हमने यूँ ही उनका मज़ाक़ बनाया था, या उनसे निगाहें चूक गई हैं?" [38:63] निस्संदेह आग में पड़ने वालों का यह आपस का झगड़ा तो अवश्य होना है। [38:64]

नरक में जाने वाले लोग दुनिया में ख़ुद को महत्वपूर्ण हस्तियों में समझते थे। वह समझते थे कि ईमान वाले लोग समाज में बहुत नीचे स्थान पर हैं जिनके पास कोई ज्ञान और गुण नहीं है। वह जब भी मौक़ा मिलता भले लोगों का मज़ाक़ उड़ाते थे, अपनी ज़बान और अपने रवैए से उनका उपहास करते थे।

यह आयत कहती है कि मानो उन लोगों को यह उम्मीद होगी कि जिस तरह वह ख़ुद नरक में गए हैं मोमिन बंदे भी जहन्नम में डाले जाएं। लेकिन चूंकि मोमिन बंदों को वह नरक में नहीं देख पाएंगे तो कहेंगेः तो क्या हम बेवजह उनका मज़ाक़ उड़ाते थे वह तो स्वर्ग में पहुंच गए हैं? या फिर जहन्नम में ही कहीं वह हैं मगर हम उन्हें देख नहीं पा रहे हैं?

आज भी साम्राज्यवादी और विस्तारवादी ताक़तों को यह उम्मीद है कि दुनिया में अलग अलग जगहों पर वे जो अत्याचार करती हैं उन पर वहां की आम जनता कोई प्रतिक्रिया न दिखाए बल्कि उनके नियमों और तौर तरीक़े को आंख बंद करके स्वीकार कर ले। अगर कहीं कुछ ईमान वाले और न्यायप्रेमी लोग अत्याचार से लड़ने और मज़लूम के अधिकारों की रक्षा के लिए विस्तारवादी ताक़तों के मुक़ाबले में खड़े हो जाएं तो यह ताक़तें उन्हें उपद्रवी और बाग़ी कहने लगती हैं और आरोप लगाती हैं कि यह लोग विश्व व्यवस्था में विघ्न डालते हैं।

इन आयतों से हमने सीखाः

बहुत मुमकिन है कि दुनिया में जिन लोगों का मज़ाक़ उड़ाया जा रहा है वह क़यामत के दिन मुक्ति पाने वालों में शामिल हों और स्वर्ग में पहुंच जाएं जबकि उनका मज़ाक़ उड़ाने वाले जहन्नम में डाले जाएं।

दुनिया में लोगों की ज़ाहिरी हालत के आधार पर ं की रक्षा के लिए विस्तारवादी ताक़तों के मुक़ाबले में खड़े हो जाएं तो यह ताक़तें उन्हफ़ैसला नहीं किया जा सकता। हो सकता है कि दुनिया में ज़ाहिरी तौर पर बेहद मामूली लोग क़यामत में बहुत ऊंचा स्थान हासिल कर लें।

 

अब आइए सूरए साद की आयत संख्या 65 और 66 की तिलावत सुनते हैं, 

قُلْ إِنَّمَا أَنَا مُنْذِرٌ وَمَا مِنْ إِلَهٍ إِلَّا اللَّهُ الْوَاحِدُ الْقَهَّارُ (65) رَبُّ السَّمَاوَاتِ وَالْأَرْضِ وَمَا بَيْنَهُمَا الْعَزِيزُ الْغَفَّارُ (66)

इन आयतों का अनुवाद हैः

कह दो, "मैं तो बस एक सचेत करनेवाला हूँ। कोई पूज्य नहीं सिवाय अल्लाह के, जो अकेला है, सबपर क़ाबू रखनेवाला; [38:65] आकाशों और धरती का रब है, और जो कुछ इन दोनों के बीच है उसका भी, अत्यन्त प्रभुत्वशाली, बड़ा क्षमाशील।" [38:66]

नरकवासियों को दी जाने वाली सज़ा के बारे में बतानी वाली आयतों के आख़िर में अल्लाह पैग़म्बरे इस्लाम कहता है कि नास्तिकों, अनेकेश्वरवादियों से कह दो कि मैं भी तुम लोगों को चेतावनी देता हूं कि बीते समय के लोगों से सबक़ लो और नास्तिकता और अनेकेश्वरवाद का रास्ता छोड़ दो। जान लो कि अल्लाह के अलावा कोई इबादत के क़ाबिल नहीं है। वह अल्लाह जिसकी ताक़त असीम है और कोई भी उसके सामने टिक नहीं सकता। वह अल्लाह जो आसमान और ज़मीन का रचनाकार है और सारे संसार को चलाता है। अलबत्ता बेमिसाल ताक़त और अजेय होने के साथ ही वह उन गुनहगारों के लिए जो उसकी बारगाह में लौटते हैं और शरण लेते हैं बहुत अधिक मेहरबान और क्षमाशील है ।

इन आयतों से हमने सीखाः

ख़ुशख़बरी के साथ ही चेतावनी भी होनी चाहिए ताकि इंसान के दिल से ग़फ़लत दूर हो। चूंकि इंसान अपनी ज़िंदगी में कुछ ख़तरों और भ्रामक कारकों से रूबरू होता है इसलिए चेतावनी के नतीजे में वह होश में आ जाता है और जाग जाता है इस तरह वह ग़लतियों और गुमराही से निजात पा जाता है।

सारा संसार एक हस्ती के इरादे के तहत चलता है और अल्लाह की ताक़त और प्रबंधन पूरे संसार पर लागू है।

अल्लाह के पास असीम शक्ति भी है और असीम दया भी है। दुनिया के शासनों से बिल्कुल अलग। क्योंकि दुनिया में अधिक ताक़त वाले लोग अधिक दया और कृपा वाले नहीं होते।

श्रोताओ कार्यक्रम का समय यहीं पर समाप्त होता हैं। अगले कार्यक्रम तक हमें अनुमति दीजिए।

 

 

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