Nov १६, २०२२ १९:१० Asia/Kolkata

ज़ोमर आयतें 5 व 6

خَلَقَ السَّمَاوَاتِ وَالْأَرْضَ بِالْحَقِّ يُكَوِّرُ اللَّيْلَ عَلَى النَّهَارِ وَيُكَوِّرُ النَّهَارَ عَلَى اللَّيْلِ وَسَخَّرَ الشَّمْسَ وَالْقَمَرَ كُلٌّ يَجْرِي لِأَجَلٍ مُسَمًّى أَلَا هُوَ الْعَزِيزُ الْغَفَّارُ (5)

इस आयत का अनुवाद हैः

उसी ने सारे आसमान और ज़मीन को दुरूस्त पैदा किया, वही रात को दिन पर ऊपर तले लपेटता है और वही दिन को रात पर तह ब तह लपेटता है और उसी ने सूरज और चांद को अपने बस में कर लिया है कि ये सबके सब अपने (अपने) निर्धारित वक्त तक चलते रहेगें आगाह रहो कि वही ग़ालिब, बड़ा बख़्शने वाला है [39:5]  

पिछले कार्यक्रम में हमारी चर्चा इस बारे में हुई कि अल्लाह ने पूरी सृष्टि अकेले पैदा किया और इसके समस्त मामलों का संचालन भी वह अकेला ही करता है। इस बारे में भी हमारी चर्चा हुई कि धार्मिक आस्थाएं और अमल हर तरह के अनेकेश्वरवाद और अंध विश्वास से पाक और विशुद्ध होना चाहिए ताकि अल्लाह उसे क़ुबूल करे। अब यह आयत अनन्य ख़ुदा के बारे में कहती है कि सारे सितारों और ग्रहों यहां तक कि सूरज और चांद की रचना अल्लाह के हाथ से हुई है और उसने जो क़ानून बना दिए हैं वही इस पूरी सृष्टि में लागू हैं। वे कक्षाएं जिनमें सूरज, चांद और सितारे चक्कर काटते हैं अल्लाह की ओर से ही निर्धारित की गई हैं और उनके तयशुदा असर और नतीजा है। जैसे कि धरती के अपने चारों ओर और सूरज के इर्दगिर्द चक्कर काटने के नतीजे में दिन और रात इसी तरह साल के अलग अलग मौसम आते हैं।

बेशक यह सारी रचनाएं किसी महत्वपूर्ण उद्देश्य के तहत पैदा की गई हैं। ऐसा नहीं है कि यह सारी चीज़ें अचानक और बिना किसी लक्ष्य के पैदा हो गई हों। इसीलिए आयत के शुरु में इस बात पर ज़ोर दिया गया है कि मौजूदा सृष्टि की व्यवस्था दुरुस्त और अल्लाह की इच्छा के अनुरूप है।

आयत इसके बाद कहती है कि ग्रहों की हरकत तयशुदा है और निर्धारित समयावली के अनुरूप है। अपनी अपनी कक्षाओं में यह सारे ग्रह निर्धारित समय तक चक्कर काटते रहेंगे और एक दिन आएगा कि जब इनकी हरकत रुक जाएगी।

इस आयत से हमने सीखाः

सृष्टि और रचना की व्यवस्था अल्लाह की मर्ज़ी के अनुसार और ख़ास लक्ष्य के तहत है। इसी आयत के अनुसार धार्मिक नियमों और शिक्षाओं की व्यवस्था और आसमानी किताबों का उतरना भी हक़ के अनुसार है।

अपनी कक्षाओं में ग्रहों का चक्कर काटना अल्लाह के आदेश के अनुरूप और निर्धारित कार्यक्रम के तहत है। चक्कर काटने का यह सिलसिला उस समय तक चलता रहेगा जब तक अल्लाह द्वारा निर्धारत उसकी समयसीमा नहीं आ जाती है।

अब सूरए ज़ोमर की आयत संख्या 6 की तिलावत सुनते हैं,

خَلَقَكُمْ مِنْ نَفْسٍ وَاحِدَةٍ ثُمَّ جَعَلَ مِنْهَا زَوْجَهَا وَأَنْزَلَ لَكُمْ مِنَ الْأَنْعَامِ ثَمَانِيَةَ أَزْوَاجٍ يَخْلُقُكُمْ فِي بُطُونِ أُمَّهَاتِكُمْ خَلْقًا مِنْ بَعْدِ خَلْقٍ فِي ظُلُمَاتٍ ثَلَاثٍ ذَلِكُمُ اللَّهُ رَبُّكُمْ لَهُ الْمُلْكُ لَا إِلَهَ إِلَّا هُوَ فَأَنَّى تُصْرَفُونَ (6)

इस आयत का अनुवाद हैः

उसी ने तुम सबको एक ही शख़्स से पैदा किया फिर उस (की बाक़ी मिट्टी) से उसकी पत्नी को पैदा किया और उसी ने तुम्हारे लिए मवेशियों के आठ जोड़े पैदा किए वही तुमको तुम्हारी माँओं के पेट में कई चरणों में पैदा करता है। एक क़िस्म की पैदाइश के बाद दूसरी क़िस्म की पैदाइश तेहरे अंधेरे पर्दों में। वही अल्लाह तुम्हारा परवरदिगार है उसी की बादशाही है उसके सिवा माबूद नहीं तो तुम लोग कहाँ फिरे जाते हो [39:6] 

पिछली आयत के क्रम में जो आसमानी ग्रहों की पैदाइश के बारे में बताती है, यह आयत ज़मीन पर मौजूद रचनाओं और जीवों के बारे में बात करती है। आयत कहती है कि सारे इंसानों की पैदाइश हज़रत आदम और हज़रत हौवा से हुई है। आयत कहती है कि तुम सब एक इंसान से पैदा हुए और उसकी पत्नी को भी ख़ुद उसी से पैदा किया गया। सारे इंसानों की पैदाइश का सिलसिला आदम व हौवा से जाकर मिलता है जो धरती पर पैदा किए जाने वाले पहले इंसान थे। इंसानों की नस्ल इन्हीं दो हस्तियों से फैली है।

इसके बाद पालतू जानवरों की बात आती है जो हज़ारों साल से इंसान के लिए गोश्त, दूध, लेबास और सवारी का प्रबंध करते आए हैं। आयत कहती है कि अल्लाह ने ही इंसानों की आसानी के लिए चार तरह के जानवर उसके हाथ में दे दिए। गाय, भेड़, बकरी और ऊंट। उनके नर और मादा दोनों ही एक तरह से तुम इंसानों की सेवा करते हैं। इस आयत में आगे जाकर मां के पेट से इंसानों की पैदाइश के बारे में बताया गया है। आयत बताती है कि मां बाप की निगाह से दूर एक स्थान पर जो पोशीदा है बच्चा तीन मज़बूत तहों में छिपा हुआ होता है। अल्लाह नुतफ़े को कई चरणों में परवरिश की प्रक्रिया से गुज़ारता है और उसे एक रूप से दूसरे रूप में पहुंचाता है यहां तक कि 9 महीने में वह संपूर्ण शिशु के रूप में पैदा होता है।

आयत के आख़िर में अनेकेश्वरवादियों और अल्लाह के अस्तित्व का इंकार करने वालों को संबोधित करते हुए कहा गया है कि यह है वह ख़ुदा जो तुम्हारा पैदा करने वाला भी है तुम्हारी परवरिश करने वाला भी है और उसके अलावा किसी के भी पास यह रचना शक्ति नहीं है। तो फिर तुम गुमराह होकर दूसरों की तरफ़ क्यों जाते हो?

इस आयत से हमने सीखाः

हर नस्ल, हर जाति, हर रंग और हर ज़बान के लोग एक मां और एक बाप से पैदा किए जाते हैं। अतः वे आपस में बराबर हैं।

महिला और पुरुष के बीच शरीर की बनावट की दृष्टि से बेशक अंतर है लेकिन दोनों की असलियत एक है इंसानियात और इंसानी गुण हासिल करने में उनमें कोई अंतर नहीं है।

इंसान की रचना कई चरणों में होती है और मां के पेट के भीतर गुज़रने वाला शिशु का समय अल्लाह के चमत्कारों में से है। बच्चे के पैदा होने से अल्लाह का यह चमत्कार और भी स्पष्ट होता है।

अल्लाह हमारा रचयिता, हमारे मामलों का संचालन करने वाला और हमारे वजूद का मालिक है। सारी नेमतें उसी की दी हुई हैं। हमें उस पर ईमान लाना चाहिए और केवल उसी को सहारा बनाना चाहिए। क्योंकि हमारी तरह दूसरे भी अल्लाह की रचनाएं और उसी की मख़लूक़ हैं।

 

 

 

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