क़ुरआन ईश्वरीय चमत्कार-719
क़ुरआन ईश्वरीय चमत्कार-719
فَخَرَجَ عَلَى قَوْمِهِ فِي زِينَتِهِ قَالَ الَّذِينَ يُرِيدُونَ الْحَيَاةَ الدُّنْيَا يَا لَيْتَ لَنَا مِثْلَ مَا أُوتِيَ قَارُونُ إِنَّهُ لَذُو حَظٍّ عَظِيمٍ (79) وَقَالَ الَّذِينَ أُوتُوا الْعِلْمَ وَيْلَكُمْ ثَوَابُ اللَّهِ خَيْرٌ لِمَنْ آَمَنَ وَعَمِلَ صَالِحًا وَلَا يُلَقَّاهَا إِلَّا الصَّابِرُونَ (80)
तो (एक दिन) क़ारून अपने सोने-जवाहर के साथ अपनी जाति के सामने आया। जो लोग सांसारिक जीवन के इच्छुक थे, उन्होंने कहा, क्या ही अच्छा होता कि जैसा (माल) क़ारून को मिला है, हमें भी मिला होता! वह तो निश्चय ही बड़ा भाग्यशाली है। (28:79) और जिन लोगों को ज्ञान प्रदान किया गया था, उन्होंने कहा, धिक्कार हो तुम पर! अल्लाह का प्रतिफल उस व्यक्ति के लिए जो ईमान लाए और अच्छे कर्म करे, अधिक उत्तम है, और यह बात धैर्यवानों के अतिरिक्त किसी की समझ में नहीं आती। (28:80)
فَخَسَفْنَا بِهِ وَبِدَارِهِ الْأَرْضَ فَمَا كَانَ لَهُ مِنْ فِئَةٍ يَنْصُرُونَهُ مِنْ دُونِ اللَّهِ وَمَا كَانَ مِنَ الْمُنْتَصِرِينَ (81) وَأَصْبَحَ الَّذِينَ تَمَنَّوْا مَكَانَهُ بِالْأَمْسِ يَقُولُونَ وَيْكَأَنَّ اللَّهَ يَبْسُطُ الرِّزْقَ لِمَنْ يَشَاءُ مِنْ عِبَادِهِ وَيَقْدِرُ لَوْلَا أَنْ مَنَّ اللَّهُ عَلَيْنَا لَخَسَفَ بِنَا وَيْكَأَنَّهُ لَا يُفْلِحُ الْكَافِرُونَ (82)
तो हमने उसे और उसके घर को धरती में धँसा दिया और कोई ऐसा गुट न था जो ईश्वर (के दंड) के मुक़ाबले में उसकी सहायता करता और न वह स्वयं अपना बचाव कर सका। (28:81) और फिर वही लोग, जो कल (तक) उसके पद (व स्थान) की कामना कर रहे थे, कहने लगे। अफ़सोस! हम भूल गए थे कि ईश्वर अपने बन्दों में से जिसके लिए चाहता है रोज़ी व्यापक कर देता है और जिसे चाहता है नपी-तुली देता है। यदि ईश्वर ने हम पर उपकार न किया होता तो हमें भी धरती में धँसा देता। खेद कि हम भूल गए थे कि काफ़िर सफल नहीं हुआ करते। (28:82)