क़ुरआन ईश्वरीय चमत्कार-723
क़ुरआन ईश्वरीय चमत्कार-723
وَوَصَّيْنَا الْإِنسَانَ بِوَالِدَيْهِ حُسْنًا وَإِن جَاهَدَاكَ لِتُشْرِكَ بِي مَا لَيْسَ لَكَ بِهِ عِلْمٌ فَلَا تُطِعْهُمَا إِلَيَّ مَرْجِعُكُمْ فَأُنَبِّئُكُم بِمَا كُنتُمْ تَعْمَلُونَ (8) وَالَّذِينَ آمَنُوا وَعَمِلُوا الصَّالِحَاتِ لَنُدْخِلَنَّهُمْ فِي الصَّالِحِينَ (9)
और हमने मनुष्यों को अपने माँ-बाप के साथ अच्छा व्यवहार करने की सिफ़ारिश की है और यदि वे तुम पर किसी ऐसी चीज़ को मेरा समकक्ष ठहराने के लिए ज़ोर डालें जिसका तुम्हें कोई ज्ञान नहीं तो (इस मामले में) उनका अनुसरण न करो। तुम सबकी वापसी मेरी ही ओर है तब मैं तुम्हें, उन चीज़ों के बारे में अवगत कराऊंगा जो तुम करते रहे हो। (29:8) और जो लोग ईमान लाए और अच्छे कर्म करते रहे हम अवश्य ही उन्हें अच्छे लोगों (की पंक्ति) में सम्मिलित करेंगे। (29:9)
وَمِنَ النَّاسِ مَن يَقُولُ آمَنَّا بِاللَّـهِ فَإِذَا أُوذِيَ فِي اللَّـهِ جَعَلَ فِتْنَةَ النَّاسِ كَعَذَابِ اللَّـهِ وَلَئِن جَاءَ نَصْرٌ مِّن رَّبِّكَ لَيَقُولُنَّ إِنَّا كُنَّا مَعَكُمْ أَوَلَيْسَ اللَّـهُ بِأَعْلَمَ بِمَا فِي صُدُورِ الْعَالَمِينَ (10) وَلَيَعْلَمَنَّ اللَّـهُ الَّذِينَ آمَنُوا وَلَيَعْلَمَنَّ الْمُنَافِقِينَ (11)
और लोगों में कुछ ऐसे भी हैं जो कहते हैं कि हम ईश्वर पर ईमान ले आए किन्तु जब उन्हें ईश्वर के मार्ग में सताया गया तो उन्होंने लोगों की यातनाओं को ईश्वरीय दंड समझ लिया (और ईमान छोड़ दिया)। और अब यदि आपके पालनहार की ओर से सहायता पहुँच जाए तो वे कहेंगे हम तो आपके साथ थे। क्या जो कुछ संसार वालों के सीनों में है उससे ईश्वर भली भाँति अवगत नहीं है? (29:10) और निश्चित रूप से ईश्वर उन लोगों को जानता है जो ईमान लाए और (इसी तरह) वह मिथ्याचारियों को भी अच्छी तरह जानता है। (29:11)
وَقَالَ الَّذِينَ كَفَرُوا لِلَّذِينَ آمَنُوا اتَّبِعُوا سَبِيلَنَا وَلْنَحْمِلْ خَطَايَاكُمْ وَمَا هُم بِحَامِلِينَ مِنْ خَطَايَاهُم مِّن شَيْءٍ إِنَّهُمْ لَكَاذِبُونَ (12) وَلَيَحْمِلُنَّ أَثْقَالَهُمْ وَأَثْقَالًا مَّعَ أَثْقَالِهِمْ وَلَيُسْأَلُنَّ يَوْمَ الْقِيَامَةِ عَمَّا كَانُوا يَفْتَرُونَ (13)
और काफ़िरों ने ईमान वालों से कहाः तुम हमारे मार्ग पर चलो, हम तुम्हारे पापों का बोझ उठा लेंगे जबकि वे उनके पापों में से कुछ भी उठाने वाले नहीं हैं। निश्चय ही वे झूठे हैं। (29:12) और निश्चित रूप से वे अपने (पापों का) बोझ भी उठाएँगे और अपने बोझ के साथ और दूसरे बहुत से बोझ भी उठाएंगे। और प्रलय के दिन अवश्य उनसे उस झूठ के विषय में पूछा जाएगा जो वे (ईश्वर और पैग़म्बर के बारे में) गढ़ते हैं। (29:13)