Jan २८, २०१९ १३:५६ Asia/Kolkata

क़ुरआन ईश्वरीय चमत्कार-725

 

أَوَلَمْ يَرَوْا كَيْفَ يُبْدِئُ اللَّهُ الْخَلْقَ ثُمَّ يُعِيدُهُ إِنَّ ذَلِكَ عَلَى اللَّهِ يَسِيرٌ (19) قُلْ سِيرُوا فِي الْأَرْضِ فَانْظُرُوا كَيْفَ بَدَأَ الْخَلْقَ ثُمَّ اللَّهُ يُنْشِئُ النَّشْأَةَ الْآَخِرَةَ إِنَّ اللَّهَ عَلَى كُلِّ شَيْءٍ قَدِيرٌ (20)

 

क्या उन्होंने देखा नहीं कि ईश्वर किस प्रकार सृष्टि का आरम्भ करता है और फिर उसे लौटा देता है? निस्संदेह यह (काम) ईश्वर के लिए अत्यन्त सरल है (29:19) (हे पैग़म्बर) कह दीजिए कि धरती में घूमो-फिरो और देखो कि ईश्वर ने किस प्रकार सृष्टि का आरम्भ किया। इसके बाद वह परलोक को अस्तित्व में लाएगा कि निश्चय ही ईश्वर हर चीज़ में सक्षम है। (29:20)

 

 

يُعَذِّبُ مَنْ يَشَاءُ وَيَرْحَمُ مَنْ يَشَاءُ وَإِلَيْهِ تُقْلَبُونَ (21) وَمَا أَنْتُمْ بِمُعْجِزِينَ فِي الْأَرْضِ وَلَا فِي السَّمَاءِ وَمَا لَكُمْ مِنْ دُونِ اللَّهِ مِنْ وَلِيٍّ وَلَا نَصِيرٍ (22)

 

(ईश्वर) जिसे चाहता है दंड देता है और जिस पर चाहता है दया करता है और उसी की ओर तुम्हें पलटाया जाएगा। (29:21) और तुम न तो धरती में और न आकाश में (ईश्वर को) अक्षम बनाने वाले हो और ईश्वर के अतिरिक्त तुम्हारा कोई मित्र और सहायक नहीं है। (29:22)

 

 

وَالَّذِينَ كَفَرُوا بِآَيَاتِ اللَّهِ وَلِقَائِهِ أُولَئِكَ يَئِسُوا مِنْ رَحْمَتِي وَأُولَئِكَ لَهُمْ عَذَابٌ أَلِيمٌ (23)

 

और जिन लोगों ने ईश्वर की आयतों और (प्रलय में) उससे मिलने का इन्कार किया, वही लोग हैं जो मेरी दया से निराश हुए और वही हैं जिनके लिए पीड़ादायक दंड है। (29:23)