क़ुरआन ईश्वरीय चमत्कार-732
क़ुरआन ईश्वरीय चमत्कार-732
وَقَالُوا لَوْلَا أُنْزِلَ عَلَيْهِ آَيَاتٌ مِنْ رَبِّهِ قُلْ إِنَّمَا الْآَيَاتُ عِنْدَ اللَّهِ وَإِنَّمَا أَنَا نَذِيرٌ مُبِينٌ (50
और उन्होंने कहा कि उन पर उनके पालनहार की ओर से (चमत्कार और) निशानियाँ क्यों नहीं नाज़िल हुई हैं? (हे पैग़म्बर!) कह दीजिए कि निशानियाँ (और चमत्कार) तो ईश्वर ही के पास हैं और मैं तो केवल स्पष्ट रूप से सचेत करने वाला हूँ। (29:50)
أَوَلَمْ يَكْفِهِمْ أَنَّا أَنْزَلْنَا عَلَيْكَ الْكِتَابَ يُتْلَى عَلَيْهِمْ إِنَّ فِي ذَلِكَ لَرَحْمَةً وَذِكْرَى لِقَوْمٍ يُؤْمِنُونَ (51)
क्या उनके लिए यह पर्याप्त नहीं कि हमने आप पर किताब नाज़िल की जो (निरंतर) उन्हें पढ़कर सुनाई जाती है? निश्चित रूप से इस (किताब) में उन लोगों के लिए दया है और उपदेश है जो ईमान लाएँ। (29:51)
قُلْ كَفَى بِاللَّهِ بَيْنِي وَبَيْنَكُمْ شَهِيدًا يَعْلَمُ مَا فِي السَّمَاوَاتِ وَالْأَرْضِ وَالَّذِينَ آَمَنُوا بِالْبَاطِلِ وَكَفَرُوا بِاللَّهِ أُولَئِكَ هُمُ الْخَاسِرُونَ (52
(हे पैग़म्बर! काफ़िरों से) कह दीजिए कि मेरे और तुम्हारे बीच ईश्वर गवाह के रूप में काफ़ी है। वह जानता है जो कुछ आकाशों और धरती में है और जो लोग असत्य पर ईमान लाए और उन्होंने ईश्वर का इन्कार किया वही घाटे उठाने वाले हैं। (29:52)
وَيَسْتَعْجِلُونَكَ بِالْعَذَابِ وَلَوْلَا أَجَلٌ مُسَمًّى لَجَاءَهُمُ الْعَذَابُ وَلَيَأْتِيَنَّهُمْ بَغْتَةً وَهُمْ لَا يَشْعُرُونَ (53
वे आपसे (ईश्वरीय) दंड (भेजे जाने) के लिए जल्दी मचा रहे हैं और यदि इसका एक नियत समय न होता तो उन के लिए अवश्य ही दंड आ जाता और निश्चय ही वह तो अचानक ही उनके पास (इस प्रकार) आएगा कि उन्हें ख़बर भी न होगी। (29:53)
يَسْتَعْجِلُونَكَ بِالْعَذَابِ وَإِنَّ جَهَنَّمَ لَمُحِيطَةٌ بِالْكَافِرِينَ (54)
(हे पैग़म्बर!) वे आपसे (ईश्वरीय) दंड (भेजे जाने) के लिए जल्दी मचा रहे हैं जबकि नरक, काफ़िरों को अपने घेरे में लिए हुए है। (29:54)
يَوْمَ يَغْشَاهُمُ الْعَذَابُ مِنْ فَوْقِهِمْ وَمِنْ تَحْتِ أَرْجُلِهِمْ وَيَقُولُ ذُوقُوا مَا كُنْتُمْ تَعْمَلُونَ (55)
जिस दिन (ईश्वरीय) दंड उन्हें ऊपर से और पैरों के नीचे से घेर लेगा और (ईश्वर उनसे) कहेगा जो कुछ तुम करते रहे हो उस(के परिणाम) का स्वाद चखो। (29:55)