क़ुरआन ईश्वरीय चमत्कार-733
क़ुरआन ईश्वरीय चमत्कार-733
يَا عِبَادِيَ الَّذِينَ آَمَنُوا إِنَّ أَرْضِي وَاسِعَةٌ فَإِيَّايَ فَاعْبُدُونِ (56) كُلُّ نَفْسٍ ذَائِقَةُ الْمَوْتِ ثُمَّ إِلَيْنَا تُرْجَعُونَ (57)
हे मेरे बन्दो! जो ईमान लाए हो! निःस्संदेह मेरी धरती विशाल है। अतः तुम मेरी ही उपासना करो। (29:56) प्रत्येक जीव मृत्यु का स्वाद चखने वाला है। फिर तुम सब हमारी ही ओर लौटाए जाओगे। (29:57)
وَالَّذِينَ آَمَنُوا وَعَمِلُوا الصَّالِحَاتِ لَنُبَوِّئَنَّهُمْ مِنَ الْجَنَّةِ غُرَفًا تَجْرِي مِنْ تَحْتِهَا الْأَنْهَارُ خَالِدِينَ فِيهَا نِعْمَ أَجْرُ الْعَامِلِينَ (58) الَّذِينَ صَبَرُوا وَعَلَى رَبِّهِمْ يَتَوَكَّلُونَ (59)
और जो लोग ईमान लाए और जिन्होंने अच्छे कर्म किए उन्हें हम स्वर्ग (की उच्च मंज़िल) के ऐसे कमरों में जगह देंगे जिनके से नीचे नहरें बह रही होंगी जिनमें वे सदैव रहेंगे और क्या ही अच्छा प्रतिफल है अच्छे कर्म करने वालों का! (29:58) (ये वही लोग हैं) जिन्होंने धैर्य से काम लिया और जो अपने पालनहार पर भरोसा रखते हैं। (29:59)
وَكَأَيِّنْ مِنْ دَابَّةٍ لَا تَحْمِلُ رِزْقَهَا اللَّهُ يَرْزُقُهَا وَإِيَّاكُمْ وَهُوَ السَّمِيعُ الْعَلِيمُ (60)
और कितने ही चलने वाले जीव हैं जो अपनी रोज़ी प्राप्त नहीं कर सकते। ईश्वर ही उन्हें भी और तुम्हें भी रोज़ी देता है। और वह सब कुछ सुनने और जानने वाला है। (29:60)
وَلَئِنْ سَأَلْتَهُمْ مَنْ خَلَقَ السَّمَاوَاتِ وَالْأَرْضَ وَسَخَّرَ الشَّمْسَ وَالْقَمَرَ لَيَقُولُنَّ اللَّهُ فَأَنَّى يُؤْفَكُونَ (61)
और यदि आप (अनेकेश्वरवादियों) से पूछें कि किसने आकाशों और धरती की रचना की और सूर्य और चन्द्रमा को (अपने) अधीन किया? तो निश्चित रूप से वे बोलेंगे कि अल्लाह ने। तो वे किस प्रकार (सत्य की ओर से) फिरे जाते हैं? (29:61)