क़ुरआन ईश्वरीय चमत्कार-757
क़ुरआन ईश्वरीय चमत्कार-757
الم (1) تَنْزِيلُ الْكِتَابِ لَا رَيْبَ فِيهِ مِنْ رَبِّ الْعَالَمِينَ (2) أَمْ يَقُولُونَ افْتَرَاهُ بَلْ هُوَ الْحَقُّ مِنْ رَبِّكَ لِتُنْذِرَ قَوْمًا مَا أَتَاهُمْ مِنْ نَذِيرٍ مِنْ قَبْلِكَ لَعَلَّهُمْ يَهْتَدُونَ (3)
अल्लाह के नाम से जो अत्यंत कृपाशील और दयावान है। अलिफ़. लाम. मीम. (32:1) इस किताब का भेजा जाना, जिसमें कोई सन्देह नहीं है, ब्रह्मांड के पालनहार की ओर से है। (32:2) क्या वे कहते हैं कि मुहम्मद ने इसे स्वयं ही गढ़ लिया है? (ऐसा नहीं है) बल्कि वह सत्य है जो आपके पालनहार की ओर से है ताकि आप उन लोगों को सचेत करें जिनके पास आपसे पहले कोई सचेत करने वाला नहीं आया है, शायद वे मार्ग पा जाएँ। (32:3)
اللَّهُ الَّذِي خَلَقَ السَّمَاوَاتِ وَالْأَرْضَ وَمَا بَيْنَهُمَا فِي سِتَّةِ أَيَّامٍ ثُمَّ اسْتَوَى عَلَى الْعَرْشِ مَا لَكُمْ مِنْ دُونِهِ مِنْ وَلِيٍّ وَلَا شَفِيعٍ أَفَلَا تَتَذَكَّرُونَ (4)
अल्लाह ही है जिसने आकाशों और धरती को और जो कुछ दोनों के बीच है, छः दिनों में पैदा किया। फिर वह अर्श अर्थात सिंहासन पर विराजमान हुआ। उसके अतिरिक्त न तो तुम्हारा सहायक है और न ही कोई सिफ़ारिश करने वाला। तो क्या तुम सचेत नहीं होगे? (32:4)
يُدَبِّرُ الْأَمْرَ مِنَ السَّمَاءِ إِلَى الْأَرْضِ ثُمَّ يَعْرُجُ إِلَيْهِ فِي يَوْمٍ كَانَ مِقْدَارُهُ أَلْفَ سَنَةٍ مِمَّا تَعُدُّونَ (5) ذَلِكَ عَالِمُ الْغَيْبِ وَالشَّهَادَةِ الْعَزِيزُ الرَّحِيمُ (6)
ईश्वर आकाश से धरती तक इस (संसार के) मामले का संचालन करता है। फिर सारे मामले एक दिन, जिसका योग तुम्हारी गणना के अनुसार एक हज़ार वर्ष है, उसी की ओर ऊपर पहुंचते हैं। (32:5) वही ईश्वर परोक्ष और प्रत्यक्ष का जानने वाला (और) अजेय व अत्यंत दयावान है। (32:6)