क़ुरआन ईश्वरीय चमत्कार-760
क़ुरआन ईश्वरीय चमत्कार-760
إِنَّمَا يُؤْمِنُ بِآَيَاتِنَا الَّذِينَ إِذَا ذُكِّرُوا بِهَا خَرُّوا سُجَّدًا وَسَبَّحُوا بِحَمْدِ رَبِّهِمْ وَهُمْ لَا يَسْتَكْبِرُونَ (15)
हमारी आयतों पर बस वही लोग ईमान लाते है जिन्हें जब इन आयतों के माध्यम से नसीहत की जाती है तो वे सजदा करते हुए गिर पड़ते हैं और अपने पालनहार का गुणगान करते है और वे घमंड नहीं करते। (32:15)
تَتَجَافَى جُنُوبُهُمْ عَنِ الْمَضَاجِعِ يَدْعُونَ رَبَّهُمْ خَوْفًا وَطَمَعًا وَمِمَّا رَزَقْنَاهُمْ يُنْفِقُونَ (16) فَلَا تَعْلَمُ نَفْسٌ مَا أُخْفِيَ لَهُمْ مِنْ قُرَّةِ أَعْيُنٍ جَزَاءً بِمَا كَانُوا يَعْمَلُونَ (17)
(रात के अंधकार में) उनके पहलू बिस्तरों से अलग हो जाते हैं (और) वे भय व लालसा के साथ अपने पालनहार को पुकारते हैं और जो कुछ हमने उन्हें प्रदान किया है उसमें से दान करते हैं। (32:16) तो कोई भी नहीं जानता कि कौन सी चीज़, जो आँखों के लिए ठंडक है, उसके लिए छिपा कर रखी गई है, उन कर्मों के बदले में जो वे करते रहे थे। (32:17)
أَفَمَنْ كَانَ مُؤْمِنًا كَمَنْ كَانَ فَاسِقًا لَا يَسْتَوُونَ (18) أَمَّا الَّذِينَ آَمَنُوا وَعَمِلُوا الصَّالِحَاتِ فَلَهُمْ جَنَّاتُ الْمَأْوَى نُزُلًا بِمَا كَانُوا يَعْمَلُونَ (19)
जो व्यक्ति ईमान वाला हो क्या वह उस व्यक्ति जैसा हो सकता है जो अवज्ञाकारी हो? वे (कदापि एक दूसरे के) बराबर नहीं हो सकते। (32:18) रहे वे लोग जो ईमान लाए और अच्छे कर्म करते रहे उनके लिए उनके कर्मों के बदले में सत्कार स्वरूप रहने के स्वर्ग के बाग़ हैं। (32:19)