क़ुरआन ईश्वरीय चमत्कार-764
क़ुरआन ईश्वरीय चमत्कार-764
النَّبِيُّ أَوْلَى بِالْمُؤْمِنِينَ مِنْ أَنْفُسِهِمْ وَأَزْوَاجُهُ أُمَّهَاتُهُمْ وَأُولُو الْأَرْحَامِ بَعْضُهُمْ أَوْلَى بِبَعْضٍ فِي كِتَابِ اللَّهِ مِنَ الْمُؤْمِنِينَ وَالْمُهَاجِرِينَ إِلَّا أَنْ تَفْعَلُوا إِلَى أَوْلِيَائِكُمْ مَعْرُوفًا كَانَ ذَلِكَ فِي الْكِتَابِ مَسْطُورًا (6)
ईमान वालों पर पैग़म्बर का अधिकार स्वयं उनके अपने प्राणों से अधिक है और उनकी पत्नियां ईमान वालों की माएँ हैं। और ईश्वर की किताब में ख़ूनी रिश्तेदार, मोमिनों और पलायनकर्ताओं की अपेक्षा (विरासत प्राप्त करने में) एक-दूसरे के अधिक हक़दार हैं सिवाय इसके कि तुम अपने दोस्तों के साथ भलाई करना चाहो। यह आदेश (ईश्वरीय) किताब में लिखा हुआ है। (33:6)
وَإِذْ أَخَذْنَا مِنَ النَّبِيِّينَ مِيثَاقَهُمْ وَمِنْكَ وَمِنْ نُوحٍ وَإِبْرَاهِيمَ وَمُوسَى وَعِيسَى ابْنِ مَرْيَمَ وَأَخَذْنَا مِنْهُمْ مِيثَاقًا غَلِيظًا (7) لِيَسْأَلَ الصَّادِقِينَ عَنْ صِدْقِهِمْ وَأَعَدَّ لِلْكَافِرِينَ عَذَابًا أَلِيمًا (8)
और (याद कीजिए उस समय को) जब हमने पैग़म्बरों से वचन लिया और आपसे (भी) और नूह, इब्राहीम, मूसा और मरयम के बेटे ईसा से भी। हमने इन सबसे दृढ़ वचन लिया (33:7) ताकि (ईश्वर प्रलय में) सच्चों से उनकी सच्चाई के बारे में पूछे। और काफ़िरों के लिए तो उसने अत्यंत पीड़ादायक दंड तैयार कर रखा है। (33:8)