Feb २३, २०२० १७:०१ Asia/Kolkata

क़ुरआन ईश्वरीय चमत्कार-767

قَدْ يَعْلَمُ اللَّهُ الْمُعَوِّقِينَ مِنْكُمْ وَالْقَائِلِينَ لِإِخْوَانِهِمْ هَلُمَّ إِلَيْنَا وَلَا يَأْتُونَ الْبَأْسَ إِلَّا قَلِيلًا (18) أَشِحَّةً عَلَيْكُمْ فَإِذَا جَاءَ الْخَوْفُ رَأَيْتَهُمْ يَنْظُرُونَ إِلَيْكَ تَدُورُ أَعْيُنُهُمْ كَالَّذِي يُغْشَى عَلَيْهِ مِنَ الْمَوْتِ فَإِذَا ذَهَبَ الْخَوْفُ سَلَقُوكُمْ بِأَلْسِنَةٍ حِدَادٍ أَشِحَّةً عَلَى الْخَيْرِ أُولَئِكَ لَمْ يُؤْمِنُوا فَأَحْبَطَ اللَّهُ أَعْمَالَهُمْ وَكَانَ ذَلِكَ عَلَى اللَّهِ يَسِيرًا (19)

ईश्वर तुममें से उन लोगों को भली भाँति जानता है जो दूसरों को (जेहाद से) रोकते हैं और अपने भाइयों से कहते हैं कि हमारे पास आ जाओ (और युद्ध के लिए न जाओ)। और वे युद्ध में भाग लेते भी हैं तो केवल नाम भर। (33:18) जो तुम्हारा साथ देने में बहुत कंजूस हैं। तो जब ख़तरे का समय आ जाए तो आप उन्हें देखते हैं कि वे इस प्रकार आंखें घुमा घुमा कर आपकी ओर देखते हैं जैसे किसी मरने वाले व्यक्ति पर बेहोशी छा रही हो, फिर जब ख़तरा समाप्त हो जाता है तो यही लोग लाभों के लोभी बन कर क़ैंची की तरह चलती हुए ज़बानें लेकर तुम्हारे स्वागत को आ जाते हैं। ऐसे लोग ईमान लाए ही नहीं हैं। इसी लिए ईश्वर ने उनके कर्म तबाह करके मिटा दिए हैं। और ऐसा करना ईश्वर के लिए बहुत सरल है। (33:19)

 

يَحْسَبُونَ الْأَحْزَابَ لَمْ يَذْهَبُوا وَإِنْ يَأْتِ الْأَحْزَابُ يَوَدُّوا لَوْ أَنَّهُمْ بَادُونَ فِي الْأَعْرَابِ يَسْأَلُونَ عَنْ أَنْبَائِكُمْ وَلَوْ كَانُوا فِيكُمْ مَا قَاتَلُوا إِلَّا قَلِيلًا (20)

ये समझ रहे हैं कि (शत्रु के गुट व सैन्य) दल अभी (मदीने के आस-पास से) गए नहीं हैं और यदि वे दल फिर (हमला करने) आ जाएँ तो ये चाहेंगे कि काश किसी प्रकार बाहर (मरुस्थल में) बद्दुओं के बीच जा बैठें और वहीं से तुम्हारी परिस्थितियों के समाचार पूछते रहें। और यदि ये तुम्हारे बीच रहे भी तो लड़ाई में कम ही भाग लेंगे। (33:20)

 

لَقَدْ كَانَ لَكُمْ فِي رَسُولِ اللَّهِ أُسْوَةٌ حَسَنَةٌ لِمَنْ كَانَ يَرْجُو اللَّهَ وَالْيَوْمَ الْآَخِرَ وَذَكَرَ اللَّهَ كَثِيرًا (21)

 

निश्चित रूप से तुम्हारे लिए ईश्वर के पैग़म्बरे (के चरित्र) में एक उत्तम आदर्श है उस व्यक्ति के लिए जो ईश्वर और (प्रलय के) अंतिम दिन की आशा रखता हो और ईश्वर को बहुत अधिक याद करता हो। (33:21)

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