क़ुरआन ईश्वरीय चमत्कार-796
क़ुरआन ईश्वरीय चमत्कार-796
وَاللَّهُ الَّذِي أَرْسَلَ الرِّيَاحَ فَتُثِيرُ سَحَابًا فَسُقْنَاهُ إِلَى بَلَدٍ مَيِّتٍ فَأَحْيَيْنَا بِهِ الْأَرْضَ بَعْدَ مَوْتِهَا كَذَلِكَ النُّشُورُ (9)
और ईश्वर ही तो है जो हवाएँ भेजता है, फिर वह बादलों को उठाती हैं, फिर हम उसे किसी निर्जीव क्षेत्र की ओर ले जाते हैं और उसके द्वारा हम उस ज़मीन को जीवित कर देते हैं जो मरी पड़ी थी, (मरे हुए इंसानों का) दोबारा जीवित होना भी इसी प्रकार होगा। (35:9)
مَنْ كَانَ يُرِيدُ الْعِزَّةَ فَلِلَّهِ الْعِزَّةُ جَمِيعًا إِلَيْهِ يَصْعَدُ الْكَلِمُ الطَّيِّبُ وَالْعَمَلُ الصَّالِحُ يَرْفَعُهُ وَالَّذِينَ يَمْكُرُونَ السَّيِّئَاتِ لَهُمْ عَذَابٌ شَدِيدٌ وَمَكْرُ أُولَئِكَ هُوَ يَبُورُ (10)
जो कोई इज़्ज़त चाहता है तो (उसे ज्ञात होना चाहिए कि) प्रभुत्व तो सारा का सारा ईश्वर के लिए है। (सिर्फ़) पवित्र बोल ही उस की ओर ऊपर चढ़ता है और अच्छा कर्म उसे ऊपर उठाता है। रहे वे लोग जो बुरी चालबाज़ियां करते हैं, उनके लिए कड़ा दंड है और उनकी चालबाज़ी स्वयं ही तबाह होकर रहेगी। (35:10)
وَاللَّهُ خَلَقَكُمْ مِنْ تُرَابٍ ثُمَّ مِنْ نُطْفَةٍ ثُمَّ جَعَلَكُمْ أَزْوَاجًا وَمَا تَحْمِلُ مِنْ أُنْثَى وَلَا تَضَعُ إِلَّا بِعِلْمِهِ وَمَا يُعَمَّرُ مِنْ مُعَمَّرٍ وَلَا يُنْقَصُ مِنْ عُمُرِهِ إِلَّا فِي كِتَابٍ إِنَّ ذَلِكَ عَلَى اللَّهِ يَسِيرٌ (11)
और ईश्वर ने तुम्हें मिट्टी से पैदा किया, फिर एक शुक्राणु से, फिर तुम्हें जोड़े बना दिए (अर्थात महिला व पुरुष)। और उसके ज्ञान के बिना न कोई स्त्री गर्भवती होती है और न जन्म देती है। और कोई आयु पाने वाला आयु नहीं पाता और न किसी की आयु में कुछ कमी होती है सिवाय यह कि यह सब (ईश्वरीय ज्ञान की) किताब में (लिखा) होता है। निश्चित रूप से यह काम ईश्वर के लिए अत्यन्त सरल है। (35:11)