क़ुरआन ईश्वरीय चमत्कार-799
क़ुरआन ईश्वरीय चमत्कार-799
وَلَا تَزِرُ وَازِرَةٌ وِزْرَ أُخْرَى وَإِنْ تَدْعُ مُثْقَلَةٌ إِلَى حِمْلِهَا لَا يُحْمَلْ مِنْهُ شَيْءٌ وَلَوْ كَانَ ذَا قُرْبَى إِنَّمَا تُنْذِرُ الَّذِينَ يَخْشَوْنَ رَبَّهُمْ بِالْغَيْبِ وَأَقَامُوا الصَّلَاةَ وَمَنْ تَزَكَّى فَإِنَّمَا يَتَزَكَّى لِنَفْسِهِ وَإِلَى اللَّهِ الْمَصِيرُ (18)
और कोई बोझ उठाने वाला किसी दूसरे का बोझ न उठाएगा और अगर कोई (बोझ) से लदा हुआ (व्यक्ति) अपना बोझ उठाने के लिए पुकारेगा तो उसके बोझ का छोटा सा भाग भी हटाने के लिए कोई न आएगा चाहे वह (उसका) निकट संबंधी ही क्यों न हो। (हे पैग़म्बर!) आप तो केवल उन्हीं लोगों को सावधान कर सकते हैं जो बिना देखे अपने पालनहार से डरते हैं और नमाज़ के स्थापित करते हैं। और जिसने अपने को पवित्र बनाया उसने अपने ही भले के लिए ख़ुद को पवित्र किया। और पलटना तो (सभी को) ईश्वर ही की ओर है। (35:18)
وَمَا يَسْتَوِي الْأَعْمَى وَالْبَصِيرُ (19) وَلَا الظُّلُمَاتُ وَلَا النُّورُ (20) وَلَا الظِّلُّ وَلَا الْحَرُورُ (21)
और अंधा और आँखों वाला बराबर नहीं हैं (35:19) और न अँधेरा और प्रकाश, (35:20) और न ही छाया और धूप। (35:21)