क़ुरआन ईश्वरीय चमत्कार-800
क़ुरआन ईश्वरीय चमत्कार-800
وَمَا يَسْتَوِي الْأَحْيَاءُ وَلَا الْأَمْوَاتُ إِنَّ اللَّهَ يُسْمِعُ مَنْ يَشَاءُ وَمَا أَنْتَ بِمُسْمِعٍ مَنْ فِي الْقُبُورِ (22) إِنْ أَنْتَ إِلَّا نَذِيرٌ (23)
और जीवित और मृत बिल्कुल भी बराबर नहीं हैं। निश्चय ही ईश्वर जिसे चाहता है सुनाता है और आप उन लोगों को नहीं सुना सकते, जो क़ब्रों में हैं। (35:22) आप तो बस एक सचेतकर्ता हैं। (35:23)
إِنَّا أَرْسَلْنَاكَ بِالْحَقِّ بَشِيرًا وَنَذِيرًا وَإِنْ مِنْ أُمَّةٍ إِلَّا خَلَا فِيهَا نَذِيرٌ (24)
(हे पैग़म्बर!) निश्चय ही हमने आपको सत्य के साथ शुभ सूचना देने वाला और सचेतकर्ता बनाकर भेजा है और कोई भी समुदाय ऐसा नहीं गुज़रा है जिसमें कोई सचेतकर्ता न रहा हो। (35:24)
وَإِنْ يُكَذِّبُوكَ فَقَدْ كَذَّبَ الَّذِينَ مِنْ قَبْلِهِمْ جَاءَتْهُمْ رُسُلُهُمْ بِالْبَيِّنَاتِ وَبِالزُّبُرِ وَبِالْكِتَابِ الْمُنِيرِ (25) ثُمَّ أَخَذْتُ الَّذِينَ كَفَرُوا فَكَيْفَ كَانَ نَكِيرِ (26)
और (हे पैग़म्बर!) अगर वे आपको झुठलाते हैं तो जो उनसे पहले थे वे भी (अपने पैग़म्बरों को) झुठला चुके हैं। उनके पैग़म्बर उनके पास खुले तर्क व आसमानी किताबें और स्पष्ट आदेश देने वाली किताब लेकर आए थे। (35:25) फिर जिन्होंने कुफ़्र अपना (और इन्कार किया) मैंने उन्हें पकड़ लिया तो देख लो कि मेरा दंड कैसा (कड़ा) था? (35:26)