क़ुरआन ईश्वरीय चमत्कार-801
क़ुरआन ईश्वरीय चमत्कार-801
أَلَمْ تَرَ أَنَّ اللَّهَ أَنْزَلَ مِنَ السَّمَاءِ مَاءً فَأَخْرَجْنَا بِهِ ثَمَرَاتٍ مُخْتَلِفًا أَلْوَانُهَا وَمِنَ الْجِبَالِ جُدَدٌ بِيضٌ وَحُمْرٌ مُخْتَلِفٌ أَلْوَانُهَا وَغَرَابِيبُ سُودٌ (27) وَمِنَ النَّاسِ وَالدَّوَابِّ وَالْأَنْعَامِ مُخْتَلِفٌ أَلْوَانُهُ كَذَلِكَ إِنَّمَا يَخْشَى اللَّهَ مِنْ عِبَادِهِ الْعُلَمَاءُ إِنَّ اللَّهَ عَزِيزٌ غَفُورٌ (28)
क्या तुम नहीं देखते कि ईश्वर, आकाश से पानी बरसाता है फिर उसके द्वारा हम तरह तरह के फल निकालते हैं जिनके रंग भिन्न भिन्न होते हैं? और पहाड़ों में भी सफ़ेद, लाल और गहरे काले रंगों की धारियाँ पाई जाती हैं जिनके विभिन्न रंग होते हैं। (35:27) और इसी तरह इंसानों, पशुओं और चौपायों के रंग भी भिन्न भिन्न हैं। (सच्चाई यह है कि) ईश्वर के बन्दों में सिर्फ़ ज्ञानी ही उससे डरते हैं। निश्चय ही ईश्वर अत्यन्त प्रभुत्वशाली (व) क्षमाशील है। (35:28)
إِنَّ الَّذِينَ يَتْلُونَ كِتَابَ اللَّهِ وَأَقَامُوا الصَّلَاةَ وَأَنْفَقُوا مِمَّا رَزَقْنَاهُمْ سِرًّا وَعَلَانِيَةً يَرْجُونَ تِجَارَةً لَنْ تَبُورَ (29) لِيُوَفِّيَهُمْ أُجُورَهُمْ وَيَزِيدَهُمْ مِنْ فَضْلِهِ إِنَّهُ غَفُورٌ شَكُورٌ (30)
निश्चय ही जो लोग ईश्वर की किताब की तिलावत करते हैं, नमाज़ स्थापित करते हैं और जो कुछ हमने उन्हें रोज़ी दी है, उसमें से छिपे और खुले ख़र्च करते हैं, वे एक ऐसे व्यापार के आशावान हैं जिसमें कभी भी घाटा नहीं होगा। (35:29) (इस व्यापार में उन्होंने अपना सब कुछ इस लिए लगा दिया है) ताकि ईश्वर उन्हें उनका प्रतिदान पूरा का पूरा प्रदान करे और अपने उदार अनुग्रह से उन्हें और अधिक प्रदान करे कि निःसंदेह वह बहुत क्षमाशील व अत्यन्त आभारी है। (35:30)