Jan २३, २०२१ १५:५९ Asia/Kolkata

क़ुरआन ईश्वरीय चमत्कार-802

وَالَّذِي أَوْحَيْنَا إِلَيْكَ مِنَ الْكِتَابِ هُوَ الْحَقُّ مُصَدِّقًا لِمَا بَيْنَ يَدَيْهِ إِنَّ اللَّهَ بِعِبَادِهِ لَخَبِيرٌ بَصِيرٌ (31) ثُمَّ أَوْرَثْنَا الْكِتَابَ الَّذِينَ اصْطَفَيْنَا مِنْ عِبَادِنَا فَمِنْهُمْ ظَالِمٌ لِنَفْسِهِ وَمِنْهُمْ مُقْتَصِدٌ وَمِنْهُمْ سَابِقٌ بِالْخَيْرَاتِ بِإِذْنِ اللَّهِ ذَلِكَ هُوَ الْفَضْلُ الْكَبِيرُ (32)

(हे पैग़म्बर!) जो किताब हमने आपकी ओर वहि के माध्यम से भेजी है, वही सत्य है। वह अपने से पहले (वाली किताबों) की पुष्टि करने वाली है। निश्चय ही ईश्वर अपने बन्दों की स्थिति से पूरी तरह अवगत और हर चीज़ पर नज़र रखने वाला है। (35:31) फिर हमने उन लोगों को इस किताब का उत्तराधिकारी बनाया जिन्हें हमने अपने बन्दों में से चुन लिया है। अब उनमें से कोई अपने आप पर अत्याचार करने वाला है, कोई मध्यमार्गी है और कोई ईश्वर की आज्ञा से भलाइयों में आगे आगे रहने वाला है। यही वह बड़ी कृपा है। (35:32)

 

جَنَّاتُ عَدْنٍ يَدْخُلُونَهَا يُحَلَّوْنَ فِيهَا مِنْ أَسَاوِرَ مِنْ ذَهَبٍ وَلُؤْلُؤًا وَلِبَاسُهُمْ فِيهَا حَرِيرٌ (33) وَقَالُوا الْحَمْدُ لِلَّهِ الَّذِي أَذْهَبَ عَنَّا الْحَزَنَ إِنَّ رَبَّنَا لَغَفُورٌ شَكُورٌ (34) الَّذِي أَحَلَّنَا دَارَ الْمُقَامَةِ مِنْ فَضْلِهِ لَا يَمَسُّنَا فِيهَا نَصَبٌ وَلَا يَمَسُّنَا فِيهَا لُغُوبٌ (35)

(ऐसे लोगों का पारितोषिक) सदैव रहने वाले (स्वर्ग के) बाग़ हैं जिनमें वे प्रवेश करेंगे। वहाँ उन्हें सोने के कंगनों और मोतियों से अलंकृत किया जाएगा। और वहाँ उनका वस्त्र रेशम होगा। (35:33) और वे कहेंगे कि सारी प्रशंसा ईश्वर ही के लिए है जिसने हमसे दुख को दूर कर दिया कि निश्चय ही हमारा पालनहार अत्यन्त क्षमाशील (व) आभारी है। (35:34) जिसने हमें अपनी कृपा से स्थायी घर में ठहरा दिया जहाँ न हमें कोई कठिनाई उठानी पड़ती है और न ही थकन होती है। (35:35)

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