Jan २३, २०२१ १६:१० Asia/Kolkata

क़ुरआन ईश्वरीय चमत्कार-805

 

وَأَقْسَمُوا بِاللَّهِ جَهْدَ أَيْمَانِهِمْ لَئِنْ جَاءَهُمْ نَذِيرٌ لَيَكُونُنَّ أَهْدَى مِنْ إِحْدَى الْأُمَمِ فَلَمَّا جَاءَهُمْ نَذِيرٌ مَا زَادَهُمْ إِلَّا نُفُورًا (42) اسْتِكْبَارًا فِي الْأَرْضِ وَمَكْرَ السَّيِّئِ وَلَا يَحِيقُ الْمَكْرُ السَّيِّئُ إِلَّا بِأَهْلِهِ فَهَلْ يَنْظُرُونَ إِلَّا سُنَّةَ الْأَوَّلِينَ فَلَنْ تَجِدَ لِسُنَّةِ اللَّهِ تَبْدِيلًا وَلَنْ تَجِدَ لِسُنَّةِ اللَّهِ تَحْوِيلًا (43)

और अनेकेश्वरवादी ईश्वर की कड़ी-कड़ी क़सम खा कर कहते थे कि अगर उनके पास कोई सचेतकर्ता आ जाए तो वे हर दूसरी जाति से बढ़कर सीधे मार्ग पर होंग लेकिन जब उनके पास एक सचेतकर्ता आ गया तो उसके आगमन ने उनके अंदर (सत्य से) घृणा के अलावा और किसी चीज़ वृद्धि नहीं की। (35:42) वे ज़मीन में और अधिक अंहकार करने लगे और बुरी बुरी चालें चलने लगे हालांकि बुरी चालें अपने चलने वालों को ही घेर लेती हैं। तो अब क्या ये लोग इस बात की प्रतीक्षा कर रहे हैं कि पिछली जातियों के साथ ईश्वर की जो परंपरा रही है वही उनके साथ भी बरती जाए? तो तुम ईश्वर की परंपरा में हरगिज़ कोई परिवर्तन न पाओगे और न ही ईश्वर की परंपरा को कभी टलते हुए पाओगे। (35:43)

 

أَوَلَمْ يَسِيرُوا فِي الْأَرْضِ فَيَنْظُرُوا كَيْفَ كَانَ عَاقِبَةُ الَّذِينَ مِنْ قَبْلِهِمْ وَكَانُوا أَشَدَّ مِنْهُمْ قُوَّةً وَمَا كَانَ اللَّهُ لِيُعْجِزَهُ مِنْ شَيْءٍ فِي السَّمَاوَاتِ وَلَا فِي الْأَرْضِ إِنَّهُ كَانَ عَلِيمًا قَدِيرًا (44)

क्या ये लोग धरती में घूमे-फिरे हैं नहीं हैं कि इन्हें उन लोगों का अंजाम दिखाई देता जो इनसे पहले गुज़र चुके हैं और इनसे कहीं अधिक बलवान थे? और कोई भी चीज़ ईश्वर को असहाय नहीं बना सकती, न आकाशों में और न ही धरती ही में कि निश्चित रूप से वह ज्ञानी भी है और सक्षम भी है। (35:44)

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