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आज की दुनिया में किसी देश के विकास व प्रगति में विज्ञान व तकनीक की भूमिका का कोई भी इन्कार नहीं कर सकता।
इस्लामी क्रांति की सफलता की 40वीं वर्षगांठ के अवसर पर इस्लामी क्रान्ति के वरिष्ठ नेता आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई ने दूसरे क़दम के अंतर्गत एक बयान जारी किया जिसमें समाज में अध्यात्म के विस्तार की आवश्यकता पर बहुत अधिक बल दिया गया।
इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता आयतुल्लाहिल उज़्मा सैयद अली ख़ामेनेई कह चुके हैं कि ईरान की इस्लामी क्रांति के साथ वर्चस्ववाद की शत्रुता उतनी ही पुरानी है जितनी की इस्लामी क्रांति की आयु।
हमने क्रांति के दूसरे क़दम नामक बयान में इस महत्वपूर्ण बंदु की ओर संकेत किया गया था कि अच्छे भविष्य के लिए हमें पूर्व की तुलना में ईरान के महा आन्दोलन से अधिक से अधिक लाभ उठाना चाहिए।
अरब प्रायद्वीप में इस्लाम के उदय को कुछ ही दिन बीते थे कि इस्लामी सभ्यता ने तेज़ विकास करना आरंभ कर दिया।
इस्लामी क्रान्ति शक्ति, गतिशीलता और प्रेरणा के साथ पांचवे दशक में दाख़िल हो गयी है।
इस कार्यक्रम में हम इस्लामी क्रांति के पांचवे दशक के आरंभ होने पर इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता के एक महत्वपूर्ण संदेश के बारे में बात करेंगे।
ईरान की इस्लामी क्रांति औार इस्लामी लोकतांत्रिक व्यवस्था
ईरान की इस्लामी क्रांति, वैचारिक क्षेत्र में क्रांति की विचारधाराओं के समीकरणों में परिवर्तन का कारण बनने के साथ ही साथ क्रांतिसयों के बारे में अपनी विशेष विचारधाराएं रखने वालों के विचारों में परिवर्तन और संतुलन का कारण भी बनी।