Nov १०, २०२२ १४:५४ Asia/Kolkata
  • ईरान ने पड़ोसी देशों के साथ संबंधों में विस्तार पर बल दिया

ईरान के विदेशमंत्रालय के प्रवक्ता ने आज़रबाइजान गणराज्य के राष्ट्रपति इल्हाम अलीओफ़ के बयान की प्रतिक्रिया में कहा कि तेहरान की सिद्धांतिक नीति का आधार पड़ोसी देशों के साथ संबंध विस्तार है और बल देकर कहा कि किसी एक पड़ोसी देश के साथ संबंधों के मज़बूत होने का अर्थ दूसरे पड़ोसी देश के खिलाफ जाना नहीं है। आज़रबाइजान गणराज्य के राष्ट्रपति इल्हाम अलीओफ़ ने अपने हालिया

बयान में कहा था कि ईरान आर्मीनिया का समर्थन कर रहा है। विदेशमंत्रालय के प्रवक्ता नासिर कनआनी ने अभी हाल ही में आज़रबाइजान गणराज्य और आर्मीनिया की सीमा के निकट ईरानी सैन्य अभ्यास को कार्यक्रम के अनुसार बताया और कहा था कि आधिकारिक माध्यमों के ज़रिये सैन्य अभ्यास के आयोजन से पहले ही संबंधित पड़ोसी देशों को इसकी सूचना दे दी गयी थी। नासिर कनआनी के कथनानुसार आज़रबाइजान और आर्मीनिया की संप्रभुता का सम्मान और शांतिपूर्ण ढंग से और अंतरराष्ट्रीय कानूनों के अनुसार दोनों देशों के विवादास्पद मामलों का समाधान ईरान की नीति है इस आधार पर तेहरान, आज़रबाइजान गणराज्य की भूमि के अतिग्रहण की भर्त्सना और उसकी आज़ादी का समर्थन करता है।

राजनीतिक टीकाकारों के अनुसार आज़रबाइजान गणराज्य के राष्ट्रपति इल्हाम अलीओफ़ के पड़ोसियों के बारे में हालिया दृष्टिकोण की कुछ आयामों से समीक्षा की जा सकती है। पहली बात यह है कि आज़रबाइजान गणराज्य के राष्ट्रपति का आर्मीनिया के बारे में जो बयान है वह जायोनी शासन के साथ निकट संबंधों से प्रभावित है। आज़रबाइजान गणराज्य यह सोचता है कि जितना अधिक ईरान विरोधी दृष्टिकोण अपनायेगा उतना ही इस्राईल और अमेरिका से बाकू के संबंध मज़बूत हो जायेंगे और इन संबंधों से वह लाभ उठायेगा जबकि आज़रबाइजान गणराज्य के अधिकारी इस बात को भूल रहे हैं कि अमेरिका और जायोनी शासन किसी के भी सगे नहीं हैं और उन्हें केवल अपने हित प्यारे होते हैं और जिसने भी अमेरिका या जायोनी शासन पर भरोसा किया कठिन समय आने पर उन्होंने उसे मजधार में छोड़ दिया। अफगानिस्तान की मिसाल सामने है। अमेरिका और नाटो के सैनिक 20 वर्षों तक अफगानिस्तान में शांति व सुरक्षा स्थापित करने और आतंकवाद खत्म करने के बहाने मौजूद रहे परंतु आज तक अफगानिस्तान में न तो शांति स्थापित हो पायी और न ही वहां से आतंकवाद का सफाया हो पाया।

अमेरिका और इस्राईल आज़रबाइजान गणराज्य को ईरान के खिलाफ एक हथकंडे के रूप में इस्तेमाल कर रहे हैं और जिस दिन अमेरिका और इस्राईल के हित पूरे हो जायेंगे उसके बाद आज़रबाइजान गणराज्य के साथ अमेरिका और इस्राईल का रवइया एसा होगा कि मानो वे आज़रबाइजान गणराज्य को जानते ही नहीं। क्षेत्र के एक राजनीतिक टीकाकार जलाल मीरज़ाई कहते हैं कि इस बारे में कोई संदेह नहीं है कि आज़रबाइजान गणराज्य जायोनी शासन और उसके कुछ समर्थकों की सेवा कर रहा है ताकि इस तरीके से वह पश्चिम और इसी प्रकार जायोनी शासन के साथ अपने संबंधों को पहले से अधिक विस्तृत कर सके।

बहरहाल क्षेत्र के लोग अच्छी तरह जानते हैं कि पड़ोसियों के साथ अच्छा और निकट संबंध क्षेत्र की मज़बूती और स्थिरता का कारण बनेगा और उसकी छत्रछाया में क्षेत्र में शांति व सुरक्षा की स्थापना के अलावा विकास व प्रगति की जा सकती है और क्षेत्र के दुश्मन कभी भी यह नहीं चाहेंगे कि ईरान और आज़रबाइजान गणराज्य दो पड़ोसी देशों के रूप में शांति व सुरक्षा के साथ एक दूसरे के साथ रहें क्योंकि तनाव में ही उनके लक्ष्य व हित नीहित हैं। MM

 

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