ज़ायोनी शासन के साथ संबन्ध सामान्य करने की नीति विफल रहेगीः वरिष्ठ नेता
सुप्रीम लीडर कहते हैं कि वर्तमान समय में फ़िलिस्तीनियों का आन्दोलन विगत की तुलना में बहुत आगे बढ़ चुका है।
इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता ने कहा है कि वे देश जो ज़ायोनी शासन के साथ अपने संबन्धों को सामान्य करने की नीति अपनाए हुए है वे निश्चित रूप में नुक़सान उठाएंगे क्योंकि इस शासन का अंत होने वाला है। यह देश अब एक हारे हुए घोड़े पर दांव लगा रहे हैं।
वर्तमान समय में फ़िलिस्तीनियों का आन्दोलन विगत की तुलना में बहुत आगे बढ़ चुका है। आयतुल्लाहिल उज़्मा सैयद अलही ख़ामेनेई ने यह बात मंगलवार को पैग़म्बरे इस्लाम हज़रत मुहम्मद मुस्तफ़ा (स) और उनके पौत्र इमाम जाफ़र सादिक़ अलैहिस्सलाम के शुभ जन्म दिवस के अवसर पर अपने भाषण में कही।
उन्होंने कहा कि इस समय ज़ायोनी शासन के भीतर न केवल ईरान से बल्कि इराक़, सीरिया और मिस्र से भी गहरा द्वेष पाया जाता है। वरिष्ठ नेता के अनुसार यह द्वेष, इसलिए है क्योंकि इन देशों ने विभिन्न काल खण्डों में इस अवैध ज़ायोनी शासन के लक्ष्यों को पूरा नहीं होने दिया। इस बात को पवित्र क़ुरआन में इस प्रकार से बयान किया गया है कि "क्रोधित रहो और इसी क्रोध में मर जाओ"। वास्तव में अब यह शासन अपने अंत के निकट हो चुका है।
इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता हमेशा ही उस शासन के षडयंत्रों से मुक़ाबले पर बल देते आए हैं जिसका लक्ष्य, इस्लामी देशों के बीच मतभेद फैलाना और मुसलमानों को एकजुट होने से रोकना रहा है।वास्तव में क्षेत्र में अवैध ज़ायोनी शासन का गठन, इस्लामी जगत को सशक्त होने से रोकना है। यह एक वास्तविकता है कि कुछ अरब देशों ने हालिया वर्षों के दौरान अवैध ज़ायोनी शासन के साथ गोपनीय संबन्ध स्थापित किये। यह गोपनीय संबन्ध सितंबर 2020 में उस समय सार्वजनिक हुए जब संयुक्त अरब इमारात, बेहरैन, मोरक्को और सूडान ने अवैध ज़ायोनी शासन के साथ समझौता करके अपने संबन्धों को सार्वजनिक कर दिया।
अरब देशों द्वारा ज़ायोनी शासन के साथ संबन्ध सामान्य करने की प्रक्रिया एसी स्थिति में जारी है कि जब वर्तमान समय में इस शासन के लिए उसके अस्तित्व से लेकर अबतक का सबसे बड़ा ख़तरा सामने आ चुका है। इस अवैध शासन को इस समय उन समस्याओं का समाना है जिनसे इसका अंत निकट होता जा रहा है। एसे में डूबते जहाज़ पर पनाह लेना कोई बुद्धमानी नहीं है। वरिष्ठ नेता ने कहा कि फ़िलिस्तीन का मुद्दा पिछले कुछ दशकों से इस्लामी जगत की ज्वलंत समस्या रहा है।
इस समय ज़ायोनी शासन को फ़िलिस्तीनियों के कड़े प्रतिरोध का सामना है। इस बारे में इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता कहते हैं कि वर्तमान समय में फ़िलिस्तीनी युवा पूरे साहस और संकल्प के साथ मैदान में हैं। इंशाल्ला उनका आन्दोलन सफल होगा और फ़िलिस्तीनी जनता के हाथों ही इसकी नीव खुद जाएगी।
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