Jun ०६, २०२४ १६:४६ Asia/Kolkata
  • डंडी मारने वालों पर धिक्कार हो/ समाज और अर्थव्यवस्था के लिए क़ुरआन की एक बड़ी चेतावनी
    डंडी मारने वालों पर धिक्कार हो/ समाज और अर्थव्यवस्था के लिए क़ुरआन की एक बड़ी चेतावनी

पार्सटुडे- पवित्र क़ुरआन ने कम नाप- तौल को मद्यन शहर की तबाही और उसमें रहने वालों की बर्बादी का कारण बताया है। पवित्र क़ुरआन के 114 सूरों में से 6 सूरों में डंडी मारने की भर्त्सना व निंदी की गयी है।

पवित्र क़ुरआन में कम नाप तौल से बारमबार मुकाबले पर बल दिया गया है। महान ईश्वर ने एक बार इस बात का उल्लेख पवित्र कुरआन के सूरे रहमान में किया है। महान ईश्वर सूरे रहमान की सातवीं और आठवीं आयतों में कहता है उसने आसमना को बुलंद किया और हर चीज़ में माप करार दिया और तुम लोग नाप- तौल में कमी न किया करो।

 

इसी प्रकार महान ईश्वर पवित्र क़ुरआन के सूरे मुतफ्फ़ेफ़ीन की पहली से लेकर चौथी तक की आयतों में कहता है कि नाप- तौल में कमी करने वालों पर धिक्कार हो। जब वे कोई चीज़ ख़रीदते हैं तो अपना पूरा हक़ व अधिकार लेते हैं और जब बेचते हैं तो डंडी मारते हैं क्या वे इस बात को नहीं सोचते हैं कि एक महान दिन उन्हें दोबारा उठाया व ज़िन्दा किया जायेगा। क़यामत का दिन।

नाप तौल में कमी हलाल ढंग से आजीविका कमाने के मार्ग की एक बहुत बड़ी मुसीबत है और बाज़ार में बहुत से लोग जाने- अनजाने में इस मुसीबत में गिरफ्तार हैं। जो लोग कोई चीज़ महंगी बेचते हैं और उससे जो पैसा हासिल होता है वह हराम होता है और उसे उन लोगों को लौटाया जाना चाहिये जिनका पैसा होता है।

 

शिया मुसलमानों के छठे इमाम, इमाम जाफ़र सादिक़ अलैहिस्सलाम फ़रमाते हैं उस शख्स को धोखा देना हराम है जिसने बेचने वाले पर सामान के सही होने पर विश्वास व भरोसा किया है।

पैग़म्बरे इस्लाम भी एक हदीस में फ़रमाते हैं अगर कोई शख्स लोगों के खाने- पीने की चीज़ को ज़रूरत से ज्यादा ख़रीद ले और चालिस दिन तक उसे बचाकर रखे रहे ताकि वह महंगी हो जाये तो ऐसा करने वाले ने गुनाह किया है और उस पैसे को सदक़ा दे तो उस गुनाह का कफ्फ़ारा नहीं है जो उसने किया है।

 

महान ईश्वर पवित्र क़ुरआन के सूरे हूद की 84 से लेकर 86 तक कि आयतों में एक आर्थिक बुराई की ओर संकेत करता है जो बुराई मद्यन नगर में उस समय बहुत प्रचलित थी। महान ईश्वर कहता है बेचने ख़रीदने के समय नाप तौल में कमी न किया करो।

मह्दवियत केन्द्र के प्रमुख हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लेमीन मुजतबा कलबासी कहते हैं कि नाप तौल में कमी और महंगी बेचने की कई क़िस्में हैं। मिसाल के तौर पर कोई शख्स किसी चीज़ का उत्पादन करता है और उसे बनाता है और उस चीज़ की वह विशेषतायें अपने प्रोडेक्ट पर लिखता है जो उसमें नहीं हैं और उसे ग्राहक को देता दे देता है और कभी ऐसा होता है कि कोई व्यक्ति कोई काम अंजाम देने के प्रति कटिबद्ध होता है परंतु उसे अंजाम देने में कोताही करता है और सही तरह से उसे अंजाम नहीं देता है तो ऐसी चीज़ में भी नाप- तौल में कमी कहा जायेगा।

 

उनके अनुसार महान ईश्वर ने पवित्र क़ुरआन की आयतों में इंसाफ़ व अदालत क़ायेम करने पर बहुत बल दिया है।

वह कहते हैं कि अगर किसी माल को किसी को बेचना चाहते हैं और उस माल की प्रशंसा किये हैं और उसकी क़ीमत को डबल कर दिये हैं तो यह भी नाप तौल में डंडी मारने का मिसदाक़ है यानी इसे भी नाप तौल में डंडी मारना कहा जायेगा और अगर किसी का कोई माल ख़रीदना हो तो उस माल या चीज़ की खूब बुराई करें ताकि कम से कम मूल्य में ख़रीदें और ज्यादा से ज्यादा मूल्य पर बेचें तो यह भी नाप तौल में कमी का मिसदाक़ है।

 

इसी प्रकार वह कहते हैं कि पैग़म्बरे इस्लाम की एक हदीस में आया है कि अमानतदारी रोज़ी का कारण बनती है और धोख़ा निर्धनता का कारण बनती है।

श्री कलबासी ने कहा कि इस संबंध में एक समाज में परिवर्तन के लिए केवल सरकारी कर्मचारियों और कानूनों को आधार बनाकर प्रगति नहीं की जा सकती बल्कि इसके लिए इंसानों पर काम करने की ज़रूरत है यानी इंसान के अंदर परिवर्तन ज़रूरी है जैसाकि ईश्वरीय पैग़म्बरों ने इंसानों और समाजों के अंदर परिवर्तन के लिए अथक प्रयास किया। MM

कीवर्ड्सः कम नाप तौल क्या है, ग़रीबी और निर्धनता का कारण, आर्थिक संकट, महंगा बेचने से मुकाबला करना, अर्थ व्यवस्था के प्रति इस्लाम की दृष्टि, अर्थ व्यवस्था के बारे में हदीसें।

हमारा व्हाट्सएप ग्रुप ज्वाइन करने के लिए क्लिक कीजिए

हमारा टेलीग्राम चैनल ज्वाइन कीजिए

हमारा यूट्यूब चैनल सब्सक्राइब कीजिए!

ट्वीटर पर हमें फ़ालो कीजिए 

फेसबुक पर हमारे पेज को लाइक करें। 

टैग्स