Jan २०, २०२० १८:४१ Asia/Kolkata
  • विज्ञान की डगर ईरान का सफ़रः आंख से जुड़ी मुश्किल रिफ़्रैक्टिव एरर्ज़ में ईरान के मशहद शहर की मेडिकल यूनिवर्सिटी की उपलब्धि

आंख से जुड़ी मुश्किल रिफ़्रैक्टिव एरर्ज़ में ईरान की मशहद शहर की मेडिकल यूनिवर्सिटी ने बड़ी उपलब्धि अर्जित की है। मशहद शहर की मेडिकल यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने ऐसी इलेक्ट्रॉनिक मशीन बनायी है जिससे यह पता लगाया जाता है कि व्यक्ति की आंख में रंग की पहचान करने की क्षमता कैसी है।

इसी तरह चीज़ को थ्री डाइमेन्शन से देखने की क्षमता कैसी है।

इस यूनिवर्सिटी का अध्ययन केन्द्र डिस्लेक्सिया या थ्लासीमिया से पीड़ित लोगों की आंखों की मुश्किलों या रिफ़्रैक्टिव एरर्ज़ की जांच करता है। यह केन्द्र रेफ़्रैक्टिव एरर्ज़ के महामारी के स्तर पर अध्ययन में दुनिया में लगातार तीन साल पहले से तीसरे स्थान पर रहा है। पहले से तीसरे स्थान पर अमरीका, अस्ट्रेलिया और ईरान रहे हैं।

रिफ़्रैक्टिव एरर्ज़ की जांच करने वाली किट

रेफ़्रैक्टिव एरर्ज़ आंख की उस हालत को कहते हैं जब आखं के पर्दे पर तस्वीर स्पष्ट नहीं होती और व्यक्ति को साफ़ देखने के लिए चश्मे या लेन्स की ज़रूरत होती है। कभी कभी इस मुश्किल को दूर करने के लिए चश्मे या लेन्स की जगह सर्जरी की मदद लेनी पड़ती है। इसी तरह मशहद की मेडिकल यूनिवर्सिटी का एम्बलियोपिया या मंद दृष्टि और क्लर ब्लाइंडनेस के क्षेत्र में अध्ययन पूरे देश में माना जाता है। इस केन्द्र ने आंख की इन मुश्किलों को दूर करने के लिए बहुत काम किया है।

ईरान में इस तरह की कोशिश के साथ साथ इतालवी वैज्ञानिकों ने उन लोगों की आंख की रौशनी को दुबारा लाने के लिए जिनकी आंख के पर्दे ख़राब हो रहे होते हैं, एक नई शैली की खोज की है। आंख के पर्दे ख़राब होने की वजह से लोग अंधे हो जाते हैं। इतालवी वैज्ञानिकों द्वारा खोजी गयी विजुअल प्रॉस्थेसिस की नई शैली से आंख की समस्या से पीड़ित लोगों को अपने मस्तिष्क में विजुअल सिग्नल इकट्ठा करने में मदद मिलती है। इस तरह व्यक्ति रौशनी के पैटर्न का पता लगा लेता है और धीरे धीरे देखने लगता है।

आंख की रौशनी से वंचित लोगों के लिए विजुअल प्रॉस्थेसिस की नई शैली  

 

ईरान की एक और प्रतिष्ठित यूनिवर्सिटी अमीर कबीर यूनिवर्सिटी ऑफ़ टेक्नॉलोजी के वैज्ञानिकों ने ऐसा सॉफ़्टवेयर बनाया है जो दिल के वॉल्व की निरंतर हरकत की वीडियो बनाता है। इकोकार्डियोग्राफ़ी और सोनोग्राफ़ी में कुछ कमियां हैं। इन मशीनों की एक मुश्किल यह है कि इनसे ली गयी तस्वीरों में क्रमबद्धता नहीं होती। जैसा कि अल्ट्रासाउंड की मशीन में अधिक मेगापिक्सल की तस्वीर लेना मुमकिन नहीं होता, जिसकी वजह से दिल के वाल्व की तेज़ हरकत की स्थिति और बीमारी की सही पहचान के लिए ज़रूरी क्रमबद्धता का पता नहीं चल पाता। इन सब कमियों को ईरानी वैज्ञानिकों ने दिल के वाल्व की निरंतर तस्वीर लेने वाला सॉफ़्टवेयर बनाकर दूर किया है।  

वॉल्व की निरंतर हरकत की वीडियो बनाने वाला सॉफ़्टवेयर

 

ईरानी वैज्ञानिकों ने नैनो टेक्नॉलोजी की मदद से ऐसा धागा बनाया है जो टेक्सटाइल, पोलिमर, पेट्रोकेमिकल, प्लास्टिक और कार उद्योग में उपयोगी हो सकता है। यह उत्पाद उज़्बेकिस्तान, ताजिकिस्तान, आज़रबाइजान, क़िरक़ीज़िस्तान, तुर्की, इटली और फ़ार्स खाड़ी के तटवर्ती देशों को निर्यात होता है। योरोप में भी इस तरह का उत्पाद मौजूद है लेकिन उसे बनाने की टेक्नॉलोजी इतनी उच्च स्तर की नहीं है जैसी ईरानी धागे के उत्पादन में इस्तेमाल हुयी है।

ईरानी वैज्ञानिकों द्वारा नैनो टेक्नॉलोजी की मदद से बनाया धागा

जैसा कि आप जानते हैं कि वैज्ञानिक प्रगति से बांझपन का इलाज मुमकिन हो गया है। जो जोड़ा बच्चा पैदा करने में सक्षम नहीं है चाहे बीवी वजह हो या शौहर। अब यह मुश्किल बहुत हद तक दूर हो गयी है। आईवीएफ़ शैली से गर्भाधारण करने वाली महिलाओं की तादाद बढ़ती जा रही है। अब बड़ी तादाद में इस शैली से बच्चे पैदा हो रहे हैं। इस संबंध में ईरान के रोयान इंस्टीट्यूट के वैज्ञानिकों ने शोध किया कि आईवीएफ़ शैली से मां बनने वाली महिलाओं के मन में अपने बच्चे के लिए कितनी ममता होती है। इस शोध का परिणाम आईजेएफ़एस मैग्ज़ीन में छप चुका है। इस शोध से पता चला कि ईरानी माओं में जो आईवीएफ़ शैली से मां बनी हैं, मूलर स्केल के मुताबिक़, अपने बच्चे के लिए ममता का स्तर अधिक था।

आईवीएफ़ शैली से बनी मां में अपने बच्चे के लिए ममता का स्तर परखने की शैली की खोज

आज कल दुनिया में स्मार्ट बोट का इस्तेमाल बढ़ रहा है। स्मार्ट बोट के ज़रिए स्थिर पानी और उसके तल की निगरानी होती है। ईरानी वैज्ञानिकों ने इस तरह की बोट बनाने में सफलता हासिल की है। पानी की क्वालिटी की निगरानी सेन्ट्रालाइज़्ड गतिविधि है जिसमें पानी की रासायनिक व पर्यावरण संबंधी विशेषताओं की समीक्षा करते हैं जिसका मानव स्वास्थ्य, इकोलॉजिकल स्थिति और उसके प्रयोग से संबंध होता है। इस तरह के उपकरण से ख़र्च कम होता है, सुरक्षा बढ़ती है और आप्रेशन में सूक्ष्मता आती है। यह बोट रिमोट कन्ट्रोल से क़ाबू होती है। यह बोट लगे हुए सेन्सर से विभिन्न क्षेत्रों में अलग अलग गहराई वाले पानी में पानी के पैरामीटर का अंदाज़ा लगा कर उसका डाटा तट पर स्थित सेंटर को ऑनलाइन भेज सकती है। इस बोट की एक और ख़ूबी इसका हाइड्रोग्राफ़ी से सक्षम होना है। यह बोट झील की सतह को साफ़ कर विभिन्न बिन्दुओं पर पानी की गहराई का अंदाज़ा लगा सकती है। इसकी यह विशेषता बांध और बंदरगाहों में तलछट की स्थिति का पता लगाने के लिए बहुत अहम है जिससे तल की स्थिति, इस्तेमाल के लिए स्पष्ट हो सकती है।

अलग अलग गहराई वाले पानी में पानी के पैरामीटर का अंदाज़ा लगाने वाली बोट का आविष्कार

 

ईरान की मशहद मेडिकल यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने जिस्म में विभिन्न जगहों पर मौजूद छोटे छोटे ट्यूमर के इलाज की मशीन बनायी है। इस मशीन को जिस्म के दूसरे हिस्सों की तरह मस्तिष्क में मौजूद ट्यूमर के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं जहां रेडियोथ्रेपी और सर्जरी नहीं हो सकती। मस्तिष्क में ट्यूमर के संवेदनशील जगह पर होने और उसका छूना बीमार के लिए ख़तरनाक होने के मद्देनज़र विशेष मशीन की ज़रूरत होती है जिससे किरणों को सिर्फ़ ट्यूमर की जगह पर सीमित रखा जाए ताकि एक ही बैठक में ट्यूमर ख़त्म हो जाए।

ईरानी वैज्ञानिकों द्वारा जिस्म में विभिन्न जगहों पर मौजूद छोटे छोटे ट्यूमर के इलाज की बनायी गयी मशीन

 

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