Feb ०९, २०२० १९:०२ Asia/Kolkata
  • विज्ञान की डगर ईरान का सफ़रः ईरान में सौर्य ऊर्जा से नमकीन पानी को मीठे पानी में बदलने वाली मशीन

मीठा पानी रिसाइकिल होने वाले सबसे अहम स्रोतों में है जो पानी की आपूर्ति और खेती की दृष्टि से इंसान सहित ज़्यादातर जीवों के ज़िन्दा रहने के लिए सबसे अहम है।

मीठा पानी उस पानी को कहते हैं जिसमें नमक के रूप में न घुलने वाले खनिज का प्रतिशत बहुत कम होता है और पानी दिखने में बहुत साफ़ नज़र आता है।

 

ज़मीन पर मीठा पानी आम तौर पर पहाड़ी ग्लैशियर, उत्तरी और दक्षिणी ध्रुव पर बर्फ़ के रूप में मौजूद है। मीठे पानी की झीलें, नदियां  और नहरें और भूमिगत पानी के कुन्ड, ये सब मीठे पानी के अन्य स्रोत हैं। ज़मीन पर मौजूद पानी का 3 फ़ीसद पानी पीने योग्य है। पूरी दुनिया में ऐसे लोग बहुत हैं जो मीठे पानी को बर्बाद करते हैं। संयुक्त राष्ट्र संघ के मुताबिक़, दुनिया में कुल आबादी के 18 फ़ीसद भाग को जो लगभग 1 अरब 20 करोड़ लोग हैं, मीठे पानी की कमी या उस तक पहुंच न होने की मुश्किल का सामना है। आज दुनिया के बहुत से क्षेत्रों में, तेज़ी से बढ़ती आबादी और नतीजे में पानी की बढ़ती ज़रूरत के मद्देनज़र नाना प्रकार की मुश्किलों का सामना है। पानी की कमी का असर लोक स्वास्थ्य और भविष्य में खेती के उत्पादन चक्र पर पड़ेगा।

ईरानी वैज्ञानिकों की एक अहम उपलब्धि देश में सौर्य ऊर्जा से खारी पानी को मीठा बनाने वाली मशीन का उत्पादन है। ईरानी वैज्ञानिकों ने सोलर वैक्यूम ट्यूब के ज़रिए सौर्य ऊर्जा द्वारा मीठा पानी बनाने वाला सिस्टम बनाया जिससे खारी पानी मीठा होता है। यह मशीन ऐसे पानी को भी पीने योग्य बना सकती है जिसमें इनएक्टिव पलूटन्ट होते हैं। इकएक्टिव पलूटन्ट वाले पानी को उसी समय मशीन की टोटी से पिया जा सकता है जिस समय मशीन पानी का शुद्धकरण करती है। 

यह मशीन ऐसे पानी को भी पीने योग्य बना सकती है जिसमें इनएक्टिव पलूटन्ट होते हैं

 

खारी पानी को मीठा बनाने वाले प्रोजेक्ट के मैनेजर कुरुश ख़ुसरवी, पीने योग्य पानी की कमी को ईरान के सामने मौजूद अहम चुनौतियों में गिनवाते हुए कहते हैः ईरान के पठारी इलाक़ों में बहुत ज़्यादा खारी पानी है, इसलिए उसे मीठा बनाने के लिए उचित उपाय होना चाहिए। सौर्य ऊर्जा से पानी को मीठा बनाना, पानी के शुद्धिकरण के लिए खोजे गए उपायों में है। इस सिस्टम में वैक्यूम ट्यूब टेक्नॉलोजी का इस्तेमाल होता है जिससे पानी मीठा होता है। इस प्रोजेक्ट के मैनेजर के शब्दों में, अपशिष्ट जल का उत्पादन न होना, आसानी से इस्तेमाल और पानी में नमक के स्तर पर निर्भरता न होना इस सिस्टम के सकारात्मक बिन्दु हैं। यह मशीन विभिन्न स्तर के खारे पानी को मीठा बना सकती है। यह मशीन 4000 माइक्रोसिमन्स खारापन वाले पानी को मीठा कर सकती है।            

इस मशीन के वैक्यूम ट्यूब में दो सर्फ़ेस हैं एक काला और दूसरा पारदर्शी और दोनों सर्फ़ेस के बीच 5 मिलिमीटर की दूरी है। इन दोनों सर्फ़ेस के बीच की जगह में वैक्यूम है। सूरज की रौशनी पार्दर्शी सर्फ़ेस से गुज़रकर काले सर्फ़ेस तक पहुंचती है और निरंतर किरण पड़ने से काला सर्फ़ेस गर्म होता है और चूंकि दोनों सर्फ़ेस के बीच शून्य होता है इसलिए गर्मी, वायुमंडल में वापस नहीं आ पाती और वैक्यूम ट्यूब में फंस जाती है। इस हालत में जब खारी पानी को इस मशीन में डालते हैं तो वैक्यूब ट्यूब में फंसी गर्मी की वजह से पानी खौलने लगता है और सिस्टम में मौजूद कन्डेन्सर से खारी पानी मीठे में बदल जाता है।

इस वैज्ञानिक के मुताबिक़, इस पायलेट प्रोजेक्ट को पर्यावरण प्रदूषण कम करने के उद्देश्य से लागू किया गया जो पायलेट प्रोजेक्ट के स्तर पर हासिल हुआ। यह मशीन सिर्फ़ खारी पानी को मीठा बनाने के लिए ही इस्तेमाल नहीं होती, बल्कि ऐसे दूषित पानी को भी शुद्ध कर सकती है जिसमें वोलटाइल पलूटेन्ट न हों।

इस महासफलता के बाद, सौर्य ऊर्जा से खारी पानी को मीठा बनाने वाली मशीन को बेहतर इनोवेशन के साथ लेन्जान ज़िले के तकनीकी केन्द्र में बनाया गया।

लेन्जान ज़िले के तकनीकी व पेशवराना शिक्षा केन्द्र के शिक्षक और नए प्रोजेक्ट के मैनेजर मुस्तफ़ा दरी इस बारे में कहते हैः सौर्य ऊर्जा से चलने वाली खारी पानी को मीठा बनाने वाली इस मशीन की एब्ज़ार्बेन्ट प्लेट को इनोवेशन किया गया है। वह कहते हैः मीठा पानी बनाने वाली इस मशीन के डिज़ाइन में अधिक रिटर्न्ज़ के लिए एब्ज़ार्बेन्ट प्लेट पर विशेष कवर लगाया गया है और कृत्रिम खारी पानी से डिस्टिल पानी का उत्पादन एक दिन में चार लीटर वर्गमीटर बताया गया है और बहार और गर्मी के मौसत में तेज़ गर्मी के मद्देनज़र इसका उत्पादन बढ़ जाएगा।

सौर्य ऊर्जा से खारी पानी को मीठा बनाने वाली मशीन पानी के प्राकृतिक चक्र के आधार पर काम करती है और सौर्य ऊर्जा का इस्तेमाल इस मशीन की मुख्य विशेषता है। यह ऊर्जा बिना किसी ख़र्च के पूरे साल हासिल होती है जिसकी वजह से शहर से बहुत ही दूर क्षेत्रों में भी इसे इस्तेमाल में लाया जा सकता है। इसके अलावा सौर्य ऊर्जा से डिस्टिल या आसवन करना, निर्माण की सरल प्रौद्योगिकी और मरम्मत तथा विशेष जगह पर रखने की ज़रूरत न होना इस मशीन की अन्य विशेषताएं हैं।

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