Feb २४, २०२० १५:१८ Asia/Kolkata
  • विज्ञान की डगर ईरान का सफ़रः अल्ज़ायमर की हर्बल दवा, महासागर की यात्रा करने वाला जहाज़ और नाहीद सैटेलाइट, ईरान की बड़ी वैज्ञानिक सफलताएं हैं

चिकित्सा क्षेत्र में ईरानी वैज्ञानिक, अल्ज़ायमर के इलाज के लिए जड़ी बूटियों से दुनिया में पहली दवा बनाने में सफल हुए।

ईरान की जेहाद दानिश्गाही संस्था एसीईसीआर के वैज्ञानिकों ने इस दवा को बनाने में दिमाग़ की बीमारी के इलाज की प्राचीन ईरानी पद्धति व ज्ञान और आधुनिक दौर के वैज्ञानिक शोध दोनों की मदद ली और इस तरह वे इस क़ीमती दवा को बनाने और क्लिनिकल टेस्ट के बाद उसे दुनिया के सामने पेश करने में सफल हुए।

अल्ज़ायमर बीमारी की दवा के अनावरण के प्रोग्राम की तस्वीर इस दवा का अनावरण पूर्व स्वास्थ्य मंत्री हाशेमी ने किया

 

जेहाद दानिश्गाही संस्था के हर्बल दवा रिसर्च सेंटर के प्रमुख डॉक्टर शम्स अली रज़ाज़ादे कहते हैः रिसर्च टीम के मेंबर ने प्रोडक्ट पेश करने के लिए बड़े पैमाने पर क्लिनिकल स्टडी की। यह स्टडी अल्ज़ायमर के 42 मरीज़ों पर की गयी जो इस बीमारी से हल्के से मीडियम लेवल तक पीड़ित थे और उनकी अवसत उम्र 65 से 80 साल थी। इन लोगों को दो ग्रुप में बाटा गया। एक को ड्रैकोसेफ़्लम नामक हर्बल दवा का रस दिया गया और दूसरे को प्लेसीबो दी गयी। स्टडी पूरी होने के बाद, भूलने, पहचानने और साइड इफ़ेक्ट जैसी चीज़ों को मॉनिटर किया गया। चार महीने की स्टडी का नतीजा जो सामने आया वह यह था कि जिन लोगों को ड्रैकोसेफ़्लम का रस दिया गया उनमें उन लोगों के मुक़ाबले में जिन्होंने प्लेसीबो इस्तेमाल की थी, अल्ज़ायमर को बेहतर तरीक़े से नियंत्रित किया गया। इसी तरह इन लोगों में बेचैनी और चिड़चिड़ापन उन लोगों की तुलना में कम था जिन्होंने प्लेसीबो इस्तेमाल की थी।

दुनिया में अल्ज़ायमर के इलाज की पहली हर्बल दवा मेलिट्रोपिक

 

ईरान के मेडिकल फ़ील्ड के वैज्ञानिकों की यह दवा अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पेश होने और अंतर्राष्ट्रीय बज़ार में जगह बनाने की सलाहियत रखती है। इस दवा को अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार में उतारने पर काम हो रहा है।              

ईरान के बूशहर की सदरा कंपनी ने महासागर में यात्रा करने वाला पहला जहाज़ बनाया है जिसकी ट्रेलर बॉडी है। यह ईरान में इस तरह का बनने वाला पहला जहाज़ा है। इसमें 4 फ़्रीज़िन्ग टनल हैं जिसकी कपैसिटी 36 टन है। इसमें 550 वर्गमीटर की कपैसिटी वाले दो गोदाम हैं। इस जहाज़ में 2 लाख 30 हज़ार ईंधन और 70 हज़ार से ज़्यादा पानी रखने की गुंजाइश है।

ईरान का महासागर में जलयात्रा करने वाला पहला जहाज़

 

पार्स मरीन कंपनी ने इस जहाज़ की डिज़ाइन की है जबकि बूशहर की सद्रा कंपनी ने इसे बनाया है। महासागर में जलयात्रा करने वाला यह जहाज़, 8 महीने में बन कर तय्यार हुआ। यह जहाज़ पर्यावरण के अनुकूल टूर करने की विशेषता रखता है। इसी तरह यह बहुत दूर समंदर में शिकार कर सकता है।

ट्रेलर जहाज़ आधुनिक जहाज़ हैं जिनसे ख़तरनाक मौसम में शिकार और जलयात्रा भी कर सकते हैं। दुनिया के कम देश ट्रेलर जहाज़ की डिज़ाइनिंग और इसका निर्माण कर सकते हैं। इस जहाज़ की विशेषता यह है कि दक्षिणी ईरान में शिकार की शैली के अनुकूल शिकार का सिस्टम लगा हुआ है। इसी तरह यह बहुत ही मज़बूत है। इसी तरह इसमें शिकार और उसकी प्रॉसेसिंग का मेकनाइज़्ड सिस्टम लगा है। इसी तरह लंबे समय तक जलयात्रा, किसी भी मौसम में शिकार करना और जहाज़ के कैप्टन का शिकार के समय 360 डिग्री तक चीज़ों को देखना इस जहाज़ की विशेषताएं हैं। इस जहाज़ में 20 सदस्यीय कर्मीदल की सेवा लेने की  गुंजाइश है।           

ईरान स्पेस साइंस में भी तरक़्क़ी कर रहा है। उसने दूर संचार का पहला सैटलाइट बनाया है जिसका नाम नाहीद-1 है। इस सैटलाइट की बॉडी पर सोलर पैनल लगाए गए हैं। यह सैटलाइट टेस्टिंग के चरण से पार हो चुका है। यह सैटलाइट 50 किलो भारी, इसकी लंबाई और चौड़ाई 50-50 सेंटीमीटर और ऊंचाई 60 सेंटीमीटर है। 

स्पेस में लांच होने वाला सैटलाइट

 

ईरान में इस्लामी क्रान्ति की सफलता के बाद, स्पेस और सैटलाइट टेक्नॉलोजी के क्षेत्र में बड़े पैमाने पर कोशिश शुरु हुयी। इस फ़ील्ड के विकास के लिए हालिया वर्षों में उचित बजट विशेष किया गया है। 

ईरान के एरोस्पेस विभाग की सफलता के बाद, ईरान की इल्मो सनअत यूनिवर्सिटी के इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग की फ़ैकल्टी के वैज्ञानिकों ने स्वदेशी जीपीएस रिसेप्टर बनाया है जिस पर जान बूझ कर या अनजाने में होने वाली जैमिंग का असर नहीं होता।

 

जीपीएस रिसेप्टर

 

इल्मो सनअत यूनिवर्सिटी की इलेक्ट्रिकल फ़ैकल्टी के उस्ताद डॉक्टर मोहम्मद रज़ा मूसवी मीर कलाई ने इस यूनिवर्सिटी के दूसरे रिसर्च फ़ेलो के साथ मिलकर एक फ़्रिक्वेन्सी वाला जीपीएस रिसेप्टर बनाया। इस रिसेप्टर पर जान बूझ कर या अनजाने में पैदा की जाने वाली रुकावट का असर नहीं होता। इस रिसेप्टर पर, जैमिंग जैसी मुश्किल जिससे लोकेशन का पता नहीं लग पाता या डिसेप्शन जैसी मुश्किल का कि जिसकी वजह से लोकेशन ग़लत हो जाता है, असर नहीं होता। यह प्रोजेक्ट ईरान के एरोस्पेस उद्योग और इल्मो सनअत यूनिवर्सिटी के साइंस एन्ड टेक्नॉलोजी सहयोग कार्यालय के बीच हुए औद्योगिक समझौते के तहत अंजाम पाया है। यह जीपीएस रिसेप्टर आधुनिक है और इसका पर्फ़ार्मेन्स इसके जैसे विदेशी नमूनों की तुलना में बेहतर है। इस रिसेप्टर के बारे में कई प्रतिष्ठित अंतर्राष्ट्रीय मैग्ज़ीन में लेख छप चुका है। लोकेशन का पता लगाने के बारे में एक अहम बात जो सैन्य क्षेत्र में बहुत अहमियत रखती है वह रिसेप्टर पर जानबूझ कर या अनजाने में होने वाली जैमिंग का असर न होना है। रिसेप्टर का जैमिंग या डिसेप्शन जैसी रुकावट से पार पाकर सही लोकेशन का पता लगाना बहुत अहमियत रखता है और ऐसा जीपीएस रिसेप्टर ईरान की इल्मो सनअत यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिक बनाने में कामयाब हो गए।                

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