Feb २५, २०२० १५:५८ Asia/Kolkata
  • आइए ईरान घूमेंः हाफ़िज़िया ईरान के प्रसिद्ध महाकवि, ख्वाजा शमसुद्दीन मुहम्मद शीराज़ी का मज़ार है जो हाफ़िज़ शीराज़ी के नाम से प्रसिद्ध हैं

ख्वाजा शमसुद्दीन मुहम्मद शीराज़ी या हाफ़िज़ शीराज़ी का जन्म 1315 ईसवी में हुआा था और 1390 में उनका देहान्त हो गया।  

ख्वाजा शमसुद्दीन मुहम्मद शीराज़ी  फार्सी के बेहद मशहूर कवि हैं जिन्हें "लेसानुलगै़ब" अर्थात, ईश्वरीय वाणी की उपाधि मिली है। वह ईरान ही नहीं बल्कि दुनिया के कुछ बड़े शायरों में गिने जाते हैं।

उनकी कविताओं का एक संकलन है। उनकी अधिकांश कविताओं में प्रेम व आध्यात्म से जुड़े विषय हैं। दुनिया के बहुत से प्रसिद्ध कवि उनके प्रशंसक हैं। जैसे जर्मनी के प्रसिद्ध दार्शनिक और कवि गोएटे को हाफिज़ बेहद पसन्द थे और वह अक्सर उनकी गज़लें गुनगुनाया करते थे। हाफिज़ की गज़लों का दुनिया की बहुत सी ज़बानों में अनुवाद हो चुका है यही वजह है कि उनके प्रशंसक पूरी दुनिया में फैले हैं। ईरान में हाफिज़ का विशेष स्थान है। उनके बहुत से शेर, ईरान में आम जनता की बोलचाल में कहावत की तरह इस्तेमाल किये जाते हैं। इसके अलावा हाफिज़ की शेरों को पढ़ कर सुनाने की ईरान में पुरानी परंपरा रही है। इसी प्रकार हाफिज़ के शेरों को सुलेखन और संगीत में भी हमेशा से इस्तेमाल किया जाता रहा है। 

ईरान के इस प्रसिद्ध शायर का मज़ार शीराज़ के " हाफिज़िया" सड़क पर है। उनकी आरामगाह को खूबसूरत पत्थरों से बनाया गया है और मज़ार में पत्थर के 20 खंभे बनाए गये हैं। इसी प्रकार उनके मज़ार में हरे भरे पेड़ों से भरा एक खूबसूरत बाग़ है। इस मज़ार की शिल्पकला, हखामनी और जंदिया शासन कालों से संबंधित है। हाफिज़ के मज़ार का डिज़ाइन, फ्रांस के शिल्पकार, आंद्रे गोडेर्ड हैं। वे एक बेहद मशहूर पूरबवादी हैं जिन्हें ईरान की सभ्यता और संस्कृति से बेहद लगाव था। 

ईरान के एक अन्य मशहूर शायर, सअदी का मज़ार भी शीराज़ जाने वाले पर्यटकों के लिए आकर्षण का केन्द्र है। तेरहवीं सदी के विश्व विख्यात कवि सअदी का नाम साहित्य से दिलचस्पी रखने वाले दुनिया के हर आदमी को पता है। उन्हें दुनिया में नैतिकता की वजह से हमेशा याद किया जाता है। उन्होंने ईरान पर मंगोलों के हमले की वजह से कई देशों की सैर की। शेख सअदी ने बेहद बारीकी के साथ अपने अनुभवों, लोगों से भेंट और बात चीत को  कविता में बयान किया है। उनका लेखन ईरान के आम लोगों की जीवन शैली का वर्णन है। 

शेख सअदी का मज़ार, शीराज़ के दिलकुशा नामक प्रसिद्ध बाग के पास है। उनकी कब्र के आस पास कई अन्य प्रसिद्ध लोगों की क़ब्रें भी हैं। शीराज़ वह जगह है जहां ईरान के इस मशहूर शायर ने अपने जीवन के अंतिम क्षण गुज़ारे थे। मरने के बाद उन्हें इसी नगर में दफ्न कर दिया गया। ईलखानी शासन काल में उनकी क़ब्र पर एक मज़ार बनाया गया और उसके बाद विभिन्न काल खंडों में उस इमारत की मरम्मत की गयी। पहलवी शासन काल में मज़ार को वर्तमान रूप दिया गया। 

शीराज़ नगर ने बहुत से उतार चढ़ाव देखे हैं । एक समय  था जब यह नगर ज़ंदिया शासन श्रंखला का केन्द्र था इस दौर में शीराज़ में कई इमारतों का निर्माण हुआ और यह नगर कला व संस्कृति का केन्द्र बन गया। यूं तो शीराज़ में बहुत सी इमारतें हैं जो इस नगर की कला व संस्कृति का नमूना हैं किंतु जंदिया शासन श्रंखला के संस्थापक करीम खान जंद का क़िला सब से अधिक महत्वपूर्ण है। 

करीम ख़ान ज़ंद क़िला

करीम खान फार्स क्षेत्र के शासक थे और सन 1766 ईसवी में उन्होंने इस किले के निर्माण का आदेश दिया था। उन्होंने ईरान में जंद शासन श्रंखला की नींव रखी थी। करीम खान ने क़िला बनाने के लिए उस समय के अत्याधिक दक्ष शिल्पकारों और पत्थर तराशने वालों को शीराज़ बुलाया और उन्हें दक्ष मज़दूर और मसाले दिये ताकि इस क़िले का निर्माण अच्छी तरह से हो सके। करीमखान का क़िला , शीराज़ नगर की सब से अधिक महत्वपूर्ण इमारत है। इस क़िले के तीन भाग हैं। राजनीतिक, आर्थिक और सैनिक। करीमखान क़िले का निर्माण कुछ इस प्रकार से किया गया है कि जिससे उसे रहने और सैन्य उद्देश्यों के लिए भी प्रयोग किया जा सके। क़िले को बेहद सुरक्षित बनाया गया है। इस क़िले को बाहर से देख कर भय और कठोरता का आभास होता है किंतु अंदर जाने के बाद यह नज़र आता है कि इसे अत्यधिक सूक्ष्मता और कलात्मक तरीक़े से बनाया है।

क़िले की दीवारों और उसकी नींव को, पक्की ईंटों से बनाया गया है। खिड़कियों के फ्रेम यज़्द के मरमर के पत्थर से बनाये गये हैं जबकि शीशे से की जाने वाली तथा अन्य प्रकार की सजावट के साधनों को रूस और तुर्की से लाया गया है। क़िले के कमरों और उनकी छतों को अत्याधिक सुदंर चित्रों और डिज़ाइनों से सजाया गया है। इन चित्रों को सोने के पानी और विभिन्न रंगों से सजाया गया है। डिज़ाइनों में अधिकतर फूल पत्ती नज़र आती है तथा सजावट की शैली, अरबस्क है जो इस्लामी शैली होती है जिसकी वजह से कमरे के भीतर बाग जैसा वातावरण पैदा हो जाता है। कमरों की दीवारों और खिड़कियों को जालीदार बनाया गया है जिसमें रंग बिरंगे शीशे लगे हुए हैं। क़िले में बने हुए हालों पर दो दो छतें हैं एक मुख्य छत है जो ऊंची है और उसे चूने के काम से अच्छी तरह से सजाया गया है।

क़िले के प्रांगण के एक कोने में, एक सीढ़ी है । यह सीढ़ी दूसरी मंज़िल तक जाती है और वहां से घर के पिछले हिस्से में स्थित प्रागंण में जाने का रास्ता है। यह प्रांगण, करीम खान के विशेष स्नान गृह में प्रवेश का मार्ग है जो वास्तव में इस क़िले की सुन्दरता में चार चांद लगाता है। इस हम्माम को दो भागों में बनाया गया है। स्नानगृह के अगले भाग में कपड़ा बदलने का विशेष कक्ष है जिसमें एक पत्थर का हौज़ बना है जो अष्टकोणीय है और उसकी दीवारों और छते को बेहद खूबसूरत तरीक़े से सजाया गया है जिसकी वजह से यह जगह दर्शनीय बन गयी है। करीम खान किले के हम्माम को इस्लामी और ईरानी डिज़ाइनों से सजाया गया है तथा इसके साथ ही पशु पंछियों की आकृति भी उकेरी गयी है जिससे हम्मास की सुन्दरता बढ़ जाती है।

कुछ आगे बढ़ने पर एक अपेक्षाकृत लंबी दालान मिलती है जिसके बाद हम्माम का गर्म भाग मिल जाता है जहां गर्म पानी के अलावा दसियों सुविधाएं मौजूद हैं जिन्हें राजा और उसके विशेष दरबारी, वर्षों तक प्रयोग करते रहे हैं। इस भाग में भी खूबसूरत डिज़ाइन नज़र आते हैं जो पत्थर के खंभों के साथ वैभवशाली सुन्दरता लिए हुए हैं। इन सभी खंभों को दक्ष शिल्पकारों ने सुन्दरता के साथ तराशा है और उसके खूबसूरत इस्लामी डिज़ाइनों से अदभुत सुन्दरता प्रदान कर दी है। हम्माम के गर्म पानी वाले भाग में तीन जल भंडार हैं जिन्हें नहाने के लिए इस्तेमाल किया जाता रहा है। हम्माम के नीचे पानी गर्म करने की व्यवस्था है इस  लिए हम्मास की फर्श हमेशा गर्म रहता था। करीम खान क़िले के इस भाग को कई वर्षों से, ईरान के विभिन्न क्षेत्रों की परपंरागत पोशकों की प्रदर्शनों के लिए प्रयोग किया जाता है। (Q.A.)

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